विवाह को हिंदू समाज व धर्म में जन्म-जन्म का पवित्र व अटूट बंधन माना गया है। हमारी संस्कृति में विवाह को केवल दो व्यक्तियों के तन और मन के मिलन से बढ़कर दो परिवारों के आपस में धार्मिक सामाजिक, मानसिक व सांस्कृतिक मिलन का अपूर्व संगम माना गया है। भाग्य और ग्रह हमारे पक्ष में हो जायें तो शादी के समय जिस स्त्री पुरूष का विवाह अनचाहा और बेमेल भी हो तो भी गृहस्थी की राहों पर आते ही दोनों इतने संतुलित होकर समन्वय पूर्वक चलते हैं कि जीवन में विवाह के सुखों की झड़ी सी लग जाती है और जिंदगी खुशहाल एवं समृद्ध हो जाती है। इन सबको प्रभावित करती हैं हमारे हाथों की रेखाएं। 1- यदि हाथ में हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा एक हो (पुरुष के हाथ में) व स्त्री के हाथों में हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा अलग हो तो पति पत्नी के विचारों का कहीं से भी मेल नहीं बैठता है। अगर इस स्थिति के साथ-साथ मंगल ग्रह व शुक्र ग्रह अगर स्त्री के खराब हैं तो स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। 2- यदि हाथ स्त्री का सख्त है और उसके पति का नरम तो स्त्री के स्वभाव के कारण उसे विवाह का सुख चाहते हुए भी नहीं मिल पाता है। 3- यदि विवाह रेखा में कट-फट हो और वह आगे से फटी हुई हो व द्विभाजित हो या नीचे की तरफ मुड़ जाती हो तो भी वैवाहिक जीवन में बाधा आती रहती है। 4- यदि स्त्रियों के हाथ में हृदय रेखा खंडित हो, उस पर यव बनते हों और वहां से मोटी-मोटी रेखाएं मस्तिष्क रेखा पर गिरती हों तो ऐसी स्त्रियां छोटी-छोटी बात को बहुत अधिक महसूस करती हैं। पति की जरा सी भी अनदेखी उनसे बर्दाश्त नहीं होती है जिसकी वजह से छोटी-छोटी बातों पर घर का क्लेश वैवाहिक जीवन के सुख को खत्म कर देता है। 5- यदि भाग्य रेखा में द्वीप हो, और मस्तिष्क रेखा जजीराकार हो, हाथ सख्त हो तो भी वैवाहिक सुख को भंग कर देता है। 6- मंगल ग्रह पर कट-फट हो वहां से मोटी-मोटी रेखाएं मस्तिष्क रेखा को काट रही हो, हृदय रेखा भी टूटी-फूटी हो, विवाह रेखा पर जाल हो, हाथ सख्त हो अंगुलियां टूटी फूटी हों तो भी वैवाहिक सुख को कम या खत्म ही कर देती है। 7- अनुभव मं पाया गया है कि यदि हाथ सख्त हो, अंगुलियां मोटी या टेढ़ी हों- अंगूठा आगे की तरफ हो, तो सारी जिंदगी गिले शिकवे में कट जाती है। 8- शुक्र पर तिल व अत्यधिक उठा हुआ शुक्र भी गृहस्थ सुख में बाधक होता है।
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