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कालसर्पयोग को प्रभावहीन करने वाले योग
जन्मपत्रिका में रूचक,शश,मालाव्य,बुधादित्य एवं गजकेशरी आदि योग हो। जन्मपत्रिका में त्रिकोणेश एवं केन्द्रेश के परस्पर वाले सम्बन्ध से राजयोग होता है। अर्धचन्द्र योग जन्मपत्रिका में विद्यमान हो। कुण्डली में गुरू केन्द्रगत हो। चन्द्र मंगल की युति हो। राहु जिस नक्षत्र में बैठा हो उस नक्षत्र का स्वामी जन्मपत्रिका में शुभ और बलवान हो।
राहु के नक्षत्र आद्र्रा,स्वाति और शताभिषा में कोई ग्रह शुभ और बलवान होकर केन्द्र या त्रिकोण में हो।जन्मपत्रिका में राहु स्थित राशि का स्वामी बलवान होकर केन्द्र में स्थित हो। कालसर्प योग को तीव्र करने वाले योग कुण्डली में जितने अधिक होंगे जातक को उतना अधिक अशुभ फल मिलेगा। ठीक इसके विपरीत प्रभावहीन करने वाले योग जितने अधिक रहेंगे जातक को अशुभ फल उतना अधिक मिलेगा।