उपाय लेख

जब गुरू पंचम भाव में हो

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गुरू पंचम भाव में

गुरू पंचम भाव में अच्छा फल देता है। गुरू पंचम भाव में हो तो भाग्य की वृद्धि करता है। सेहत ठीेक रहती है। तथा सन्तान सुख के साथ धन सम्पत्ति भी देता है। अतः पुखराज धारण करना लाभकारी ही रहता है।

1.मेष लग्न – गुरू नवम एवं द्वादश भाव का मालिक होकर पंचम भाव में मित्र राशि सिंह मंे स्थित होगा। पुखराज धारण करने से सन्तान सुख मिले,सौभाग्य की वृद्धि होगी, विदेश यात्रा का मौका मिले।

2.वृष लग्न – गुरू अष्टमेश – लाभेश होकर पंचम भाव में कन्या राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी। विरासत में धन सम्पत्ति का लाभ होगा। इन्श्यौंरैन्स का पैसा मिले।किसी अज्ञात स्त्रोत से धन लाभ हो। परन्तु सेहत कुछ ढीली रह सकती है।

3.मिथुन लग्न – गुरू सप्तमेश – दशमेश होकर पंचम भाव में स्थित होगा। लव मैरेज का योग बन सकता है। कामकाज/व्यापार में उन्नति होगी। नौकरी में पदोन्नति का योग बन सकता है।

4. कर्क लग्न – गुरू षष्ठेश – भाग्येश होकर पंचम घर में वृश्चिक राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन सम्पत्ति,मित्रों सम्बन्धि लाभ रहेगा। परन्तु रोग और गुप्त शत्रु पैदा होंगे।

5. सिंह लग्न – गुरू पंचमेश – अष्टमेश होकर पंचम घर में धनु राशि में स्थित होगा। अज्ञात स्त्रोत से धन लाभ होगा। सन्तान सुख में वृद्धि होगी। अतः पुखराज धारण करना लाभदायक रहेगा।

6.कन्या लग्न – गुरू चतुर्थेश – सप्तमेश होकर पंचम भाव में अपनी नीच राशि मकर में स्थित होगा। अतः पुखराज धारण करना हानिकारक साबित होगा। पति – पत्नी में झगड़ा अथवा वियोग होगा, घरेलू अशान्ति पैदा होगी। धन सम्पत्ति का नुक्सान हो सकता है।

7.तुला लग्न – गुरू तृतीयेश – षष्ठेश होकर पांचवें घर में कुम्भ राशि में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से शुभ/अशुभ मिश्रित फल मिलेंगे।

8.वृश्चिक लग्न – गुरू द्वितीयेश – पंचमेश होकर पंचम घर में अपनी मीन राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी तथा सन्तान सुख मिलेगी। सेहत में भी सुधार होगा।

9.धनु राशि – गुरू लग्नेश – चतुर्थेश होकर पांचवें घर में मेष राशि में स्थित होगा। मकान – वाहन का सुख मिलेगा। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। सेहत सम्बन्धि चिन्ता दूर होगी।

10. मकर लग्न – गुरू द्वादशेश – तृतीयेश होकर पांचवे भाव में वृष राशि में राशि होगा। पुखराज धारण करने से शुभ – अशुभ मिश्रित फल मिलेंगे ।

11. कुम्भ लग्न – गुरू लाभेश – द्वितीयेश होकर पांचवें भाव मंे मिथुन राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने धन लाभ में वृद्धि होगी। सेहत में भी सुधार होगा।

12.मीन लग्न – गुरू दशमेश – लग्नेश होकर पंचम भाव में कर्क राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से कामकाज/व्यापार में वृद्धि होगी,यश – मान बढ़ेगा। नौकरी में पदोन्नति होगी।