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जब गुरू तीसरे भाव में हो

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गुरू तीसरे भाव में

गुरू तीसरे भाव में हो तो लाभकारी स्थिति होती है। पुखराज धारण करने से पत्नी सुख मिलता है,व्यक्ति भाग्यवान होता है।तथा धन लाभ रहता है। अगर गुरू अपनी नीच राशि मकर में हो तो पुखराज धारण करने से लाभ न होगा।

1.मेष लग्न –

गुरू नवमेश-द्वादशेश होकर तीसरे भाव में मिथुन राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ होगा,विदेश यात्रा का मौका मिलेगा। हर कार्य में सफलता मिलने की संभावना है।

2.वृष लग्न –

गुरू अष्टमेश-लाभेश होकर तीसरे भाव में कर्क राशि में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से धन में वृद्धि होगी। मित्रों से सहयोग मिलेगा,हर कार्य में सफलता मिलेगी। विरासत में धन वृद्धि होगी। मित्रों से सहयोग पैसा मिल सकता है। अज्ञात स्त्रोत से भी धन लाभ हो सकता है।

3.मिथुन लग्न –

गुरू सप्तमेश-दशमेश होकर तीसरे भाव में सिंह राशि में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से कामकाज में वृद्धि होगी।धन लाभ होगा। अविवाहितों के लिए शादी का योग बनेगा।

4.कर्क लग्न –

गुरू षष्ठेश-भाग्येश होकर तीसरे भाव में कन्या राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से लाभ ही रहेगा।

5.सिंह लग्न –

गुरू पंचमेश-अष्टमेश होकर तीसरे घर में तुला राशि में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से लाभ ही रहेगा। सेहत कभी-कभी ढीली रह सकती है।

6.कन्या लग्न –

गुरू चतुर्थेश-सप्तमेश होकर तीसरे घर में वृश्चिक राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से हर कार्य में सफलता मिलेगी। घरेलू सुख शान्ति में वृद्धि होगी। अविवाहितों के लिए शादि का योग बनेगा।

7.तुला लग्न –

गुरू तृतीयेश – षष्ठेश होकर तीसरे घर में धनु राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से हर कार्य में सफलता मिले।भाई बन्धुओं से सम्बन्ध बेहतर बने।धन लाभ में वृद्धि होगी।

8.वृश्चिक लग्न –

गुरू द्वितीयेश-पंचमेश होकर तीसरे घर में अपनी नीच राशि मकर में स्थित होगा। पुखराज धारण करने शुभ-अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

9.धनु लग्न –

गुरू लग्नेश-चतुर्थेश होकर तीसरे घर में कुम्भ राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन सम्पत्ति में वृद्धि होगी।सेहत में सुधार होगा । आपका व्यक्तिगत प्रभाव बढ़ेगा तथा हर कार्य में सफलता मिलेगी।

10.मकर लग्न –

गुरू द्वादशेश-तृतीयेश होकर तीसरे घर में अपनी राशि मीन में होगी। पुखराज धारण करने से आपका व्यक्तिगत प्रभाव बढ़ेगा। धन लाभ होगा। दूर प्रदेश की यात्रा करने का अवसर प्राप्त होगा।

11.कुम्भ लग्न –

गुरू लाभेश-द्वितीयेश होकर तीसरे घर में मेष राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करना लाभकारी है। धन दौलत में वृद्धि होगी,हर कार्य में सफलता मिलेगी।

12.मीन लग्न –

गुरू लग्नेश-दशमेश होकर तीसरे घर में वृष राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से कामकाज/व्यापार में वृद्धि होगी।नौकरी में पदोन्नति होगी। तथा हर कार्य में सफलता मिलने की संभावना बनेगी।

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