गुरू दुसरे भाव में
1.मेष लग्न –
गुरू द्वादशेश – नवमेश होकर दूसरे भाव में वृष राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करना लाभदायक है।भाग्योदय में सहायक होगा। विदेश यात्रा प्राप्त होगा।
2. वृष लग्न –
गुरू अष्टमेश – लाभेश होकर दूसरे भाव में मिथुन राशि में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी। विरासत में धन सम्पत्ति का लाभ रहे,इन्शौरैन्स का पैसा मिले।किसी अज्ञात स्त्रोत से भी धन लाभ हो सकता है।
3.मिथुन लग्न –
गुरू सप्तमेश -दशमेश होकर दूसरे घर में उच्च राशि में होगा। पुखराज धारण करने से नौकरी में पदोन्नति मिलेगी। अपना कारोबार/बिजनेस करने वालों की भी उन्नति होगी। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
4. कर्क लग्न –
गुरू षष्ठेश – भाग्येश होकर दूसरे घर में सिंह राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करना अधिक लाभकारी नहीं । शुभ – अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।
5. सिंह लग्न –
गुरू पंचमेश – अष्टमेश होकर दूसरे घर में कन्या राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी । विरासत में धन सम्पत्ति का लाभ रहे,इन्शौरैन्स का पैसा मिले।किसी अज्ञात स्त्रोत से धन लाभ हो।
6. कन्या लग्न –
गुरू चतुर्थेश – सप्तमेश होकर दूसरे घर में तुला राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धरेलू सुख में वृद्धि होगी मकान/वाहन का लाभ होगा।व्यापार बढे़गा।
7.तुला लग्न –
गुरू तृतीयेश – षष्ठेश बनकर दूसरे घर में वृश्चिक राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करना लाभकारी रहेगा।
8.वृश्चिक लग्न –
गुरू द्वितीयेश – पंचमेश होकर दूसरे घर में अपनी राशि धनु में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। सन्तान सुख रहेगा। नौकरी में पदोन्नति होगी।
9.धनु लग्न –
गुरू लग्नेश – चतुर्थेश होकर दूसरे घर में मकर राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से शुभ/अशुभ मिश्रित फल मिलेंगे।
10.मकर लग्न-
गुरू द्वादशेश – तृतीयेश होकर दूसरे घर में कुम्भ राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करना लाभकारी है।
11.कुम्भ लग्न –
गुरू लाभेश-द्वितीयेश होकर दूसरे घर में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से धन लाभ वृद्धि होगी तथा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। अतः पुखराज अवश्य धारण करें।
12.मीन लग्न –
गुरू लग्नेश-दशमेश होकर दूसरे घर में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से कामकाज में उन्नति होगी। नौकरी में प्रोमोशन होगी।आर्थिक स्थिति मजबूज बनेगी।