आषाढ़ मास की गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई को है। 16 जुलाई को ही खंडग्रास चंद्र ग्रह रात्रि 01 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर 17 जुलाई प्रातः 04:31 पर समाप्त होगा। सूतक 16 जुलाई को सायंकाल 04:30 बजे लग जाएगा। यह ग्रहण धनु राशि के उत्तराषाढा नक्षत्र में लग रहा है।
सूतक काल से लेकर ग्रहण काल तक मंदिरों के कपाट बन्द रहते हैं। इस बीच किसी भी भगवान या देवी देवता की मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए। चंद्रग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। माना जाता है कि चंद्रमा की अपेक्षा सूर्य की रोशनी अत्यधिक तेज होती है जो आंखों के लिए नुकसानदायक होती है। सूर्य ग्रहण के दौरान सोलर रेडिएशन के कारण आंखों के नाजुक ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिसके कारण आंखों की रेटिना पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जबकि चंद्रग्रहण के दौरान सोलर रेडिएशन का कोई खतरा नहीं रहता है और ना ही आंखें प्रभावित होती हैं। यही कारण है कि चंद्र ग्रहण को खुली आंखों से देखा जा सकता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य मत करें। भोजन न ही पकाएं और न ही ग्रहण करें।
चंद्रग्रहण का राशियों के अनुसार उपाय-
1. मेष- सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमान जी की उपासना करें। मसूर की दाल का दान करें।
2. वृष- श्री सूक्त का पाठ करें। दुर्गासप्तशती का पाठ करें। चावल का दान करें।
3. मिथुन- श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। मूंग का दान करें। श्री गणेश उपासना करें।
4. कर्क- शिव उपासना करें। श्री रामचरितमानस के अरण्यकाण्ड का पाठ करें।
5. सिंह- हनुमान जी की उपासना करें। गेहूं तथा गुड़ का दान करें।
6. कन्या- विष्णु उपासना करें। श्री रामचरितमानस का पाठ करें।
7. तुला- श्री सूक्त का पाठ करें। सिद्धिकुंजिकस्तोत्र का पाठ करें। चावल का दान करें।
8. वृश्चिक- हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें। गेहूं का दान करें।
9. धनु- इसी राशि पर ग्रहण है। भगवान के नाम का जप करें। अन्न दान करें।
10. मकर- सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमान जी की उपासना करें। गुड़ का दान करें।
11. कुंभ- हनुमान बाहुक का पाठ करें। अन्न तथा गुड़ का दान करें।
12. मीन- श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। अन्न तथा मीठे चीजों का दान करें।
चंद्र ग्रहण के बाद स्नान इत्यादि करके घर के मंदिर को गंगाजल से धो कर पुनः पूजा और हवन करें। दान का अपना विशेष महत्व है।