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क्‍या है मांगलिक दोष ?

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क्‍या है मांगलिक दोष ?
ज्‍योतिषानुसार जन्‍मकुंडली में मंगल दोष को मांगलिक दोष भी कहा जाता है। कुंडली में मंगल की स्थिति के आधार पर मांगलिक दोष निर्भर करता है। कुंडली में मांगलिक दोष है यह जानकर ही लोग घबरा जाते हैं क्‍योंकि इसका प्रभाव वैवाहिक जीवन के लिए अत्‍यंत घातक होता है। मांगलिक दोष के बारे में यह अटूट विश्‍वास है कि जिनकी कुंडली में यह दोष हो उन्‍हें मंगली जीवनसाथी से ही विवाह करना चाहिए तभी उनका वैवाहिक जीवन सफल हो सकता है।

कैसे बनता है मंगल दोष…
मंगल दोष अत्यधिक प्रभावशाली दोष है। मंगल ग्रह की स्थिति व दृष्टी दोनों ही मारक प्रभाव रखते हैं। मंगल दोष का सर्वाधिक प्रभाव विवाह सम्बंधों में पडता हैं। अत: जन्मकुंडली मिलान के समय मंगल दोष विचार अवश्य करना चाहिये। मंगल की जन्म कुंडली में विशेष भाव स्थिति मंगल दोष को उत्पन्न करती है।
जब मंगल जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवम बारहवें स्थान में स्थित हो तो व्यक्ति मंगल दोष से युक्त होता हैं। मंगल का इन स्थानों में स्थित होने का मतलब है कि विवाह स्थान पर मंगल का प्रत्यक्ष प्रभाव पडना।
मांगलिक को शादी में परेशानी क्‍यों आती है ?
मांगलिक जातकों के विवाह में देरी का कारण है मंगल ग्रह का एकांत पसंद स्‍वभाव। दरअसल मंगल ग्रह को अकेला रहना पसंद है एवं किसी अन्‍य ग्रह के निकट आने पर यह उससे झगड़ा कर लेता है। मंगल के इसी स्‍वभाव के कारण ही मांगलिक जातक की अपने जीवनसाथी के साथ अनबन रहती है।

प्रभावित जातक
मंगल ग्रह को युद्ध का देवता कहा जाता है क्‍योंकि स्‍वभाव ही यह दूसरों से दूर रहना पसंद करता है और इसकी प्रवृत्ति क्रोधी है। इस ग्रह के प्रभाव में जातक क्रोधी, लडाई झगडों या विवादों से युक्त रहता है। मंगल प्रभावी जातक चाहे अपने को विवादों से जितना दूर रखने का प्रयास करें परन्तु अधिकतर दूसरों के द्वारा कुछ न कुछ ऐसी परिस्थिति तैयार हो जाती है, जिनके कारण व्यक्ति को क्रोध जनित फैसले लेने ही पडते हैं। यह जातक चिड़़चिड़े और झगडालू होते हैं।

प्रभाव –

विवाह में देरी होना
विवाह संबंध तय होने के बाद टूट जाना
विवाह में किसी प्रकार का विघ्‍न आना
शादी के बाद जीवनसाथी के साथ अनबन होना एवं संबंधों में खटास आना
वैवाहिक जीवन में काफी परेशानियां आती हैं
जातक बिना बात के क्रोध करने लगता है
मांगलिक दोष के प्रभाव में जातक क्रोधी, अहंकारी और झगड़ालू बनता है

मांगलिक दोषों के निवारण हेतु उपाय –

मांगलिक दोषों का सबसे उत्‍तम और सरल उपाय है कि मांगलिक जातक को विवाह किसी मांगलिक से ही करना चाहिए। ऐसा करने से मंगल दोष का वैवाहिक संबंधों पर प्रभाव काफी कम हो जाता है।
यदि कोई मांगलिक जातक सामान्‍य ग्रह वाले व्‍यक्‍ति से विवाह करना चाहे तो ऐसी स्थिति में मांगलिक जातक को ‘पीपल’ विवाह, कुंभ विवाह, शालिग्राम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन आदि करना चाहिए। इस उपाय से मंगल का दोष जातक पर से उतर जाता है।

मांगलिक दोषों से युक्‍त जातक को हनुमान चालीसा का पाठ एवं गणेश जी और मंगल यंत्र की पूजा करना लाभकारी रहता है।
प्रत्‍येक मंगलवार व्रत रखें और हनुमान मंदिर जाएं। ऐसा करने से मंगल के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

यदि किसी मांगलिक कन्‍या का विवाह इस दोष से रहित वर से होता है तो दोष निवारण हेतु मंगला गौरी और वट सावित्री का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से सारे कष्‍टों का निवारण होता है।

आंशिक मांगलिक दोष

यह दोष जातक की 18 वर्ष की आयु के बाद समाप्‍त हो जाता है। इसका दुष्‍प्रभाव काफी कम होता है एवं इसका निवारण पूजन एवं अनुष्‍ठान से किया जा सकता है। शांति पूजा से भी इस दोष को हमेशा के लिए समाप्‍त किया जा सकता है।

एकाधिक मांगलिक दोष

यदि आपकी कुंडली में गंभीर मांगलिक दोष है तो इसे एकाधिक मांगलिक दोष कहा जाता है। इस दोष का उपाय कुभ विवाह है जिसके अंतर्गत मांगलिक जातक की कुंभ विवाह कराया जाता है। विवाह के पश्‍चात् इस कुम्भ को बहते जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। इस उपाय से मांगलिक दोष पूरी तरह खत्‍म हो जाता है।

[2:11 PM, 8/21/2022] Jyotish Samadhan: ज्योतिष शास्त्र में षष्ठम, अष्टम, द्वादश स्थान एवं मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल के कमजोर होने पर या पाप ग्रह से संबंधित होने पर, अष्टम, द्वादश, षष्ठम स्थान पर नीच या अस्त स्थिति में होने पर व्यक्ति सदैव ऋणी बना रहता है।

ओम आं ह्रीं क्रौं श्रीं श्रियै नमः ममालक्ष्मीं नाशय ममृणोत्तीर्णं कुरु कुरु संपदं वर्धय स्वाहा मंत्र का जाप करने से कर्ज से मुक्ति मिल जाती है। 44 दिनों तक 10,000 बार इस मंत्र से जाप करने से धन का लाभ जीवन में होता है साथ ही इंसान को अपने कर्ज से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है।

आप शनिवार के दिन काले कुत्ते को सरसों के तेल में चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं। ऐसा करने से आपको कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी। लाल किताब के अनुसार, काले कुत्ते को रोटी खिलाने से व्यक्ति को राहु, केतु और शनि इन तीनों ही ग्रह के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा आप सवा 5 किलो आटा और सवा किलो गुड़ मिलाकर रोटियां बना लें। इसके बाद गुरुवार को दिन शाम के वक्त इस रोटी को गाय को खिला दें। या प्रक्रिया आपको तीन गुरुवार तक करनी है। लाल किताब के मुताबिक तीन गुरुवार तक इस उपाय को करने से व्यक्ति को दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।