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किसी भी जातक की कुंडली में लग्न, दूसरे, तीसरे तथा एकादष स्थान के ग्रहों तथा इन स्थानों पर मौजूद ग्रहों का आकलन करने से ज्ञात होता है अगर किसी जातक की कुंडली में लग्न या तीसरा स्थान स्वयं विपरीत हो जाए अथवा इस स्थान पर क्रूर ग्रह हो तो ऐसे जातक के जीवन में आत्मविष्वास तथा आत्मसंयम की कमी के कारण जीवन में सफलता दूर रहती है
इसी प्रकार एकादष स्थान का स्वामी क्रूर ग्रहों से पापक्रांत हो अथवा छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए तो ऐसे लोग अनियमित दिनचर्या के कारण अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते अर्थात् स्वयं अपने जीवन में प्रकाश का समय तथा आवश्यकतानुसार उपयोग नहीं कर पाते जिसके कारण परेशान रहते हैं।
इनसे बचने के लिए जीवन में आत्मसंयम तथा अनुशासन के साथ ग्रह शांति करनी चाहिए।नियमित भगवान सूर्य को अर्घ्य दें आदित्य ह्रदय स्तोत्र का
पाठ करें और सूक्ष्म जीवों का आहार यानि एक मुट्ठी शक्कर और दो मुट्ठी आटा किसी पीपल की जड में रखें
बाल्य अवस्था में हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें तथा बड़ो का आदर करें युवा अवस्था में शनि के मंत्रों का जाप, तिल दान करें तथा नित्य चर्या नियमित रखें