Astrology

श्री महाकाल की पावन निश्रा और पलाश विधि

18views

I”श्री महाकाल की पावन निश्रा और पलाश विधि”

पाटन में महाकाल धाम के बाद अब एक नया युग प्रारंभ हुआ। जहाँ पहले लोग शापित जीवन जी रहे थे, वहाँ अब एक परिवर्तन आया। कई लोग जिन्होंने पितृ श्राप, अंगारक दोष, विवाह में विघ्न, संतान की मृत्यु या संतान प्राप्ति में विघ्न के कारण दुख भोगे थे, वे सब श्री महाकाल अमलेश्वर के दर्शन करने आए।

इनमें जैन संत विष्णुप्रभ ने विशेष निर्देश दिए, जो केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि कर्मकांडों और शास्त्रों के गहरे ज्ञान में आधारित थे।

संत ने कहा:“यहां श्री महाकाल के आश्रय में पलाश विधि से अज्ञात पितरों का श्राद्ध करें। इस विधि में न केवल पितरों का तर्पण होगा, बल्कि उन सभी दोषों से भी मुक्ति मिलेगी जो जीवन में बुरे परिणाम उत्पन्न करते हैं।”

पलाश विधि — यह एक प्राचीन विधि थी, जिसे विशेष रूप से श्री महाकाल की पूजा में किया जाता था। इसके अंतर्गत पलाश के पत्तों पर घी, तिल, तांबे के पात्र में पवित्र जल और बेलपत्र का संयोजन करके पितरों का श्राद्ध किया जाता और अकल मृत्यु से मृत जीव की एकाेडिस्ट श्राद्ध किया जाता है। यह विधि विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी मानी जाती थी, जिनकी संतान का जीवन संकुचित हो या जो किसी कारणवश संतान प्राप्ति में विघ्न का सामना कर रहे हों।

ALSO READ  श्री महाकाल धाम में महाशिवरात्रि के दुर्लभ महायोग में होगा महारुद्राभिषेक

श्राद्ध की विधि और उसका प्रभाव
जब भक्तों ने पलाश विधि द्वारा अपने अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया, तो उन्होंने महाकाल की कृपा से कई अद्भुत अनुभव प्राप्त किए। जैसे ही विधि समाप्त हुई, उन घरों में आकाश से एक दिव्य ध्वनि गूंजी:

“जन्म-जन्म के दोष समाप्त हुए। जीवन में संतुलन और शांति आई। पितर तृप्त हुए, अब वंश को वृद्धि मिलेगी।”

इसके पश्चात, वह समुदाय जिनके जीवन में संतान न हो पाने की समस्या थी, वे सब एक-एक करके संतान प्राप्ति में सफल हुए। साथ ही जो लोग अपनी संतान की असमय मृत्यु से परेशान थे, वे अब स्वस्थ संतानों के माता-पिता बने। विवाह में आ रही रुकावटें भी समाप्त हो गईं, और सुख-शांति का वास होने लगा। घरों में समृद्धि और खुशहाली का वातावरण छा गया।

वृद्धि और यश:
जिन्होंने पलाश विधि द्वारा श्राद्ध किया था, उनके वंश में अब निरंतर सुख और समृद्धि का प्रवेश हुआ। उनके घरों में हर वर्ष नवीन संतान का आगमन हुआ, और उनके वंश में वृद्ध, नायक, और संत पुरुष पैदा होने लगे। यद्यपि वे जैन धर्म का पालन करते थे, लेकिन इस विधि के कारण उनके घर में वृक्षों की शाखाओं की तरह उन्नति और वृद्धि होती गई। संतों ने कहा:
“श्री महाकाल की कृपा से, अब इस वंश की ओर कोई भी दुर्भाग्य नहीं बढ़ सकता। इस वंश का नाम अब न केवल पाटनपुरी में, अपितु समस्त भारतवर्ष में प्रसिद्ध होगा

निष्कर्ष:
यह कथा बताती है कि धार्मिक क्रियाएं, चाहे वह किसी भी पंथ से संबंधित हों, यदि सच्चे विश्वास और आस्था से की जाएं, तो वे निश्चित रूप से परिणाम देती हैं। श्री महाकाल के मार्गदर्शन में की गई पलाश विधि ने न केवल पितरों को शांति दी, बल्कि उन सभी व्यक्तियों के जीवन को एक नई दिशा भी दी। यह कथा हमारे जीवन में आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत बनती है, यह सिद्ध करती है कि कोई भी शाप या दोष तभी समाप्त हो सकता है जब हम श्रद्धा और संकल्प के साथ आध्यात्मिक क्रियाओं को आत्मसात करें

ALSO READ  रक्षा बंधन 8 अगस्त को क्या माने या 9 अगस्त 2025 को ?

पलाश विधि श्री महाकाल धाम अमलेश्वरमें ही क्यों ?
श्री महाकाल धाम अमलेश्वर उत्तर वाहिनी खारुन के तट पर स्थित एक दिव्य धाम है जहां सभी प्रकार के ताप श्राप और पापों का निदान होता है
खारून नदी को “उत्तर वाहनी” इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। यह एक दुर्लभ विशेषता है, क्योंकि भारत में अधिकांश नदियाँ पूर्व या पश्चिम की ओर बहती हैं।
इसकी उत्तर दिशा में प्रवाह को सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, क्योंकि उत्तर दिशा को भगवान शिव और आध्यात्मिकता से जोड़ा जाता है।

ALSO READ  कुम्भ/अर्क विवाह कैसे और क्यों करावें ?

श्री महाकाल धाम अम्लेश्वर:
श्री महाकाल धाम अम्लेश्वर खारून नदी के पवित्र तट पर स्थित है। यह मंदिर स्वयं भू भगवान शिव को समर्पित है, और यहाँ का शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है। इस मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों की महिमा से प्रेरित माना जाता है। खारून नदी के उत्तर वाहनी होने के कारण यह स्थान और भी पवित्र माना जाता है।
महत्व
• आध्यात्मिकता: उत्तर वाहनी नदियाँ, जैसे खारून, सनातन धर्म में विशेष रूप से पवित्र होती हैं। यहाँ स्नान करने से पापों का नाश और आध्यात्मिक शुद्धि होती है।
• भक्ति: श्री महाकाल धाम अम्लेश्वर में भक्त दीप और फूलों से सजी आरती करते हैं, जैसा कि आपके चित्रों में दिखता है। यह मंदिर भक्तों के कष्ट दूर करने और शांति प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है।इसलिए इस धाम में सभी प्रकार की पूजा विशेष फल दायिनी है