गणगौर व्रत
गणगौर व्रत चैत्र शुक्ल तृतीया को किया जाता है। कहा जाता है कि इस तिथि को शिवजी ने पार्वती जी को और पार्वती जी को और पार्वतीजी ने सम्पूर्ण स्त्रियों को सौभाग्य का व्रत दिया था।
इस तिथि पर सौभागयवी स्त्रियाँ जब तक पूजा ना हो जाए, कुछ भी नहीं खाती हैं। महिलाएँ पार्वती की पूजा करती हैं और अपने लिए अमर सुहाग और पति की दीर्घ आयु के साथ सुख और अच्छा स्वास्थ्य भी माँगती हैं।
कुँआरी लड़कियाँ मनभावन पति पाने की कामना के साथ वह व्रत करती हैं। पूजा में महिलाएँ काँच की चूड़ियाँ, सिंदूर, कपड़े आदि सुहाग की सामग्री चढ़ाते हैं। विधिवत् पूजन के पश्चात् कथा सुनी जाती है और बाद में महिलाएँ पार्वती पर चढ़ा हुआ सिंदूर अपने माथे पर लगाती हैं। दिन में एक बार भेजन कर पति की लत्बी आयु और स्वास्थ्य की कामना की जाती है।