भूमि पूजन कैसे करें ? ये रहा विधि…
घर निर्माण करते समय नींव पूजन की विधि,नया घर का निर्माण करते समय हमें नीव पूजन विधि को जानना बहुत जरुरी है मैंने कई जगह देखा है लोग भूमि पूजन नीव पूजा तो करा लेते है लेकिन पूरी बिधि के साथ नहीं करते है उन्हें पता ही नहीं है की नीव की खुदाई करते कैसे है ? भूमि पूजा करते समय क्या क्या सामग्रीचाहिये? नीव में कलश की स्थापना कैसे करे? सबसे महत्वपूर्ण बात नींव हि घर की मजबूती का आधार होता है।
नींव रखने से पहले संक्षिप्त पूजन क्रम में षट्कर्मों के अन्तर्गत पृथ्वी पूजन करके उस भूमि में पवित्रता के संस्कार उभारे जाते हैं, उसी का थोड़ा विस्तृत क्रम पंचभू- संस्कार के रूप में किया जाता है। कहा जाता है भूमि का इस विधि से पूजन करने पर वहां होने वाले यज्ञ या अन्य शुभ संस्कारों का शुभफल मिलता है और उश भवन में रहने वाले के जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं आती
पंच भू- संस्कार केवल मुख्य पूजन करने वाले व्यक्ति से कराया जा सकता है। पंच भू- संस्कार कराने से पहले भूमि को बुहारने के लिए कुशाएं, लेपन के लिए गाय का गोबर, रेखांकन के लिए स्रुवा, स्फ्य या पवित्र काष्ठ का टुकड़ा तथा सिंचन के लिए जल तैयार रखे।
नींव खुदाई करने से पहले किसी योग्य पंडित जी से शुभ मुहूर्त का चयन अवश्य करें। शुभ माह, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र, शुभ दिशा, शुभ लग्न का निर्णय करने के बाद ही निव पूजन का कार्य करें।
ये रहा भूमि पूजन की विधि
- भूमि पूजन करने से पहले सुबह उठकर जिस भूमि की पूजा करनी है उस भूमि को अच्छी तरह से साफ और शुद्ध कर लें
- भूमि पूजन करने के लिए किसी ब्राह्मण को बुलवाना चाहिए
- पूजा करते समय ब्राह्मण को उत्तर की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए
- पूजा करवाने वाले व्यक्ति को पूर्व की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए
- अगर व्यक्ति शादीशुदा हैं तो उसे अपनी पत्नी को अपनी बायीं तरफ बैठाना चाहिए
- मंत्रोच्चारण द्वारा शरीर, आसन और स्थान की शुद्धि की जाती है
- इसके बाद श्री गणेश जी की पूजा करके भूमि पूजन करने के लिए चांदी के नाग और कलश की पूजा की जाती है
- कलश में दूध, दही , घी डालकर मंत्रो द्वारा शेषनाग का आह्वान करना चाहिए
- कलश में सिक्का और सुपारी डालकर गणेशजी और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करनी चाहिए
- कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक और विष्णु भगवान का रूप मानकर पूजा करें ताकि विष्णु भगवान मां लक्ष्मी के साथ उसकी भूमि पर सदैव विराजमान रहें
- शेषनाग से हमें प्रार्थना करनी चाहिए की जैसे आपने पृथ्वी को संभाला है उसी प्रकार उसकी भूमि को संभालकर अपनी कृपा बनाए रखें
नींव की खुदाई कैसे करे
लोग अक्सर भूमि पूजन में एक ही गड्ढा ईशान कोण में खोदते है जो कि गलत है।
भूमि पूजन का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद सबसे पहले नींव की खुदाई ईशान कोण से ही शुरू करें। ईशान के पश्चात आग्नेय कोण की, आग्नेय के बाद वायव्य कोण फिर नैऋत्य कोण की खुदाई करें। जब कोणों की खुदाई पूरी हो जाये फिर दिशा की खुदाई करें पूर्व, उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में क्रम से खुदाई करें ध्यान दे जिस प्रकार से यहाँ लिखा है आपको ठीक वैसे ही करना है।
नींव की भराई
जिस विधि से हमने नीव की खुदाई की है भराई करते समय भी हमे कुछ बातों का ध्यान देना चाहिये। नींव की भराई, नींव की खुदाई के उल्टे क्रम से करें सबसे पहले नेऋत्य कोण की भराई करनी चाहिये फिर वायव्य, आग्नेय, ईशान कोन की भराई करें। कोण की भराई के बाद दिशाओं में बनाई गई नींव की भराई करें। सबसे पहले दक्षिण दिशा की भराई करें। फिर पश्चिम ,उत्तर और अंत पूर्व दिशा की भराई करें।