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05 /10/2019 का पंचांग एवं राशिफल

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  • शुभ संवत 2076 शक 1941 …
  • सूर्य दक्षिणायन का …आश्विन मास शुक्ल पक्ष…. सप्तमी … दिन को 09 बजकर 51 मिनट तक … शनिवार…. मूल नक्षत्र.. दोपहर को 01 बजकर 19 मिनट तक … आज चन्द्रमा … धनु राशि में… आज का राहुकाल दिन को 08 बजकर 54 मिनट से 10 बजकर 23 मिनट तक होगा …

मां कालरात्रि – काल का नाश करने वाली –

दूर करती हैं भय, निराशा व चिंता

मां कालरात्रि नाम से ही अभिव्यक्त होता है कि दुर्गा की यह सातवीं शक्ति घने अंधकार की तरह एकदम काली हैं। इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है। माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।

मां को गुड़ का भोग प्रिय है

सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए. ऐसा करने से शोकमुक्त हो सकते हैं।

मां कालरात्रि की पूजा करने से शनि ग्रह संबंधी दोष दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं मृत्यु तुल्य कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। मां की आराधना करने से सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। यह माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा से हड्डी संबंधी रोगों, श्वांस, फालिस आदि में लाभ होता है। इतना ही नहीं निराशा, चिंता व भय भी दूर होता है।

कथा

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि के पूजन में बेला का फूल मां को अर्पित करें। कथा है कि जब देवी पार्वती ने शुंभ व निशुंभ नामक दैत्यों के नाश के लिए अपनी वाह्य त्वचा को हटाया, तब उन्हें कालरात्रि नाम मिला। देवी पार्वती का यह सबसे भयंकर रूप है, वह अपने भक्तों को अभय व वरद मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं। अपनी शुभाशुभ शक्तियों के कारण देवी कालरात्रि को देवी शुंभकरी कहकर भी बुलाया जाता है।

पूजा विधिभोग –

माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा विधि

नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए, फिर मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए। सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें, इसके पश्चात माता कालरात्रि जी की पूजा कि जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है। सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती परंतु रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है। इस दिन कहीं कहीं तांत्रिक विधि से पूजा होने पर मदिरा भी देवी को अर्पित कि जाती है। सप्तमी की रात्रि ‘सिद्धियों’ की रात भी कही जाती है। लाल चम्पा के फूलों से माँ प्रसन्न होती हैं। दूध , खीर या अन्य मीठे प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। लाल चन्दन , केसर , कुमकुम आदि से माँ को तिलक लगाएँ। अक्षत चढ़ाएं और माँ के सामने सुगंधित धूप आदि भी लगाएँ। मंत्र पढ़ें

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

सावधानी –

मां काली की उपासना का सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि का होता है.

इनकी उपासना में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है.

शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए मां काली की उपासना अमोघ है.

किसी गलत उद्देश्य से मां काली की उपासना कतई नहीं करनी चाहिए.

मंत्र जाप से ज्यादा प्रभावी होता है मां काली का ध्यान करना.

ज्यादा बुराई से दूर होते जाएंगे, मां काली के उतने ही करीब होते जाएंगे. फिर संसार की हर विपत्ति से आपकी सुरक्षा करेंगी मां काली.

कालरात्रि की क्या पूजा करें और किस उपाय से करें अपने ग्रहो को शांत

मेष राशि –

         

मेष राशि वाले जातक सभी प्रकार के कष्टो और भय से मुक्त होने के लिए मां कालरात्रि की पूजा ॐ कालरात्र्यै नम: मंत्र से करें, साथ ही माता को ग्यारह नींबू की माला अर्पित करें एवं गुड़ का भोग लगायें।

वृषभ राशि –

इस राशि वाले जातक सभी प्रकार से सुख प्राप्ति एवं हानि से बचने के लिए मां कालरात्रि की मध्यरात्रि की पूजा ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा मंत्र से करें साथ ही माता को तिल से बनी मिठाईयां और नीली साड़ी अर्पित करें।

मिथुन राशि –

इस राशि वाले जातक माता को काई हरी साड़ी तथा महावर चरणों में अर्पित करें एवं उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाकर गरीबों में प्रसाद के रूप में वितरित करें साथ ही या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मंत्र का 108 जाप करें।

कर्क राशि –

इस राशि वाले जातक माता को चरण पादुका अर्पित करें एवं चांदी की गाय और बछिया की जोड़ी मां के चरणों में रखें तथा ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र से माता की पूजा करें, और केले का भोग लगायें।

सिंह राशि –

इस राशि वाले जातक मां कालरात्रि की पूजा में पंजीरी का भोग लगाकर माता को रक्तलाल चुनरी चरणों में अर्पित करें एवं ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ मंत्र का 108 माला जाप करें।

कन्या राशि –

कन्या राशि वाले जातक सभी प्रकार के शत्रुबाधा को दूर करने के लिए माता के मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा का जाप करें तथा माता को गुड़ और तिल से बनी मिठाई का भोग लगायें।

तुला राशि –

तुला राशि वाले जातक मां कालरात्रि की पूजा में सिंघाड़े का भोग लगायें और मिश्री का प्रसाद वितरित करें साथ ही मंत्र ॐ कालरात्र्यै नम: का जाप करते हुए किसी अपंग को तिल का तेल दें।

वृश्चिक राशि –

वृश्चिक राशि वाले जातक मां कालरात्रि की पूजा में मंत्र का जाप करते हुए अनार का दान करें एवं मां को जामुनिया रंग का वस्त्र अर्पित करें एवं ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ मंत्र का जाप करें, इससे उनके जीवन में कटुता दूर होकर रिश्तों में मधुरता आयेगी।

धनु राशि –

धनु राशि वाले जातक अपने जीवन में अपयश दूर करने के लिए माता के मंत्र ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का 11हजार बार जाप करें साथ ही किसी बुजूर्ग या गुरू तुल्य व्यक्ति को छाता तथा काला शाल अर्पित करें एवं पीठे का प्रसाद दें।

मकर राशि –

मकर राशि वाले जातक मां कालरात्रि की पूजा से अपने कर्मक्षेत्र के विरोध को दूर कर सकते हैं इसके लिए उन्हें नारंगी रंग का वस्त्र मां को अर्पित करते हुए खट्टे फल मां के चरणों में अर्पित करना चाहिए और ॐ कालरात्र्यै नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

कुंभ राशि –

कुंभ राशि वाले जातक आटे का दीपक बनाकर घी से प्रज्जवलित कर मां के निम्न मंत्र ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ का एक माला जाप करते हुए शहद का दान करें और माता को आरेंज रंग की चुड़िया अर्पित करें।

मीन राशि –

मीन राशि वाले लोग अपने जीवन में सभी सुख प्राप्ति हेतु मां को चीनी एवं चावल से बने लड्डू का भोग लगाते हुए मां को ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा मंत्र अर्पित करें एवं सुहाग की सामग्री मां के चरणों मे रखें।