इंदिरा एकादषी व्रत एवं श्राद्ध –
आष्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादषी को इंदिरा एकादषी व्रत तथा श्राद्ध किया जाता है। इस एकादषी के व्रत को करने से अनेकों पापों को नष्ट करने में समर्थ माना जाता हैं। माना जाता है कि आष्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादषी को भटकते हुए पितरों की गति सुधारने वाली एकादषी कहा जाता है। इस दिन भगवान शालीग्राम की पूजा का विधान है। इस व्रत के दिन मिट्टी का लेप कर स्नान कर भगवान शालीग्राम की पूजा कर तुलसीपत्र चढ़ाया जाता है। इस व्रत में दस चीजों के त्याग का महत्व है जिसमें जौ, गेहूॅ, उडद, मूंग, चना, चावल और मसूर दाल, प्याज ग्रहण नहीं करना चाहिए साथ ही इस दिन इन सभी वस्तुओं का दान करने का विधान है। ऐसा करने पर पितरों को यमलोक की यंत्रणा से मुक्ति प्राप्त होती है। पाप से बचना तथा हानि पहुॅचाने से बचना चाहिए। व्रत की समाप्ति पर दान-दक्षिणा कर फलो का भोग लगाया जाता है। व्रत की रात्रि जागरण करने से व्रत से मिलने वाले शुभ फलों में वृद्धि होती है।