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जीवनसाथी से अलगाव दूर करने का विकल्प

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भगवान षिव के प्रिय मास सावन में किया गया षिव पूजन, व्रत तथा दान बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में षिव का मतलब कल्याण करने वाला बताया गया है। सावन मास के हर दिन में किए गए तप का अपना अलग ही महत्व होता है। श्रावण मास में सभी प्रकार के दुख दूर करने हेतु व्रत का विधान है इस हेतु जीवनसाथी से किसी बात पर अलगाव या विलगता की स्थिति को दूर करने हेतु सूर्य तथा पार्थिव पूजन का बहुत महत्व है। इसमें रविवार को ब्रम्ह मूहुर्त में स्नान करने के उपरांत षिवपावर्ती का पूजन करने के लिए दूध से षिव एवं पावर्ती को स्नान कराकर षिव महिम्र स्त्रोत के श्लोकों से पूजा और अभिषेक करें। सूर्य को अध्र्य दें, जिसमें सफेद कनेर, बेलपत्र, चावल, दूध, शक्कर चढ़ाकर आरती करने के उपरांत दान करें तथा भजन कीर्तन करें। सूर्यास्त के पूर्व दान देने के उपरांत बिना नमक का आहार ग्रहण करें। सूर्य अलगाव का कारक हो तो इसके करने से जीवन में सुख तथा जीवनसाथी का साथ प्राप्त होगा। इस व्रत में आदित्य हृद्य स्त्रोत का जाप करना विषेष हितकर होता है।

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