दत्तात्रेय अवतार की उपासना से प्राप्त करें संतान कष्ट से मुक्ति –
श्री दत्तात्रय याने अत्रि ऋषि और अनुसूया की तपस्या का प्रसाद …‘‘दत्तात्रय’’ शब्द , दत्त व अत्रेय की संधि से बना है। त्रिदेवों द्वारा प्रदत्त आशीर्वाद “दत्त “ … अर्थात दत्तात्रेय !
मार्गशीर्ष (अगहन) मास की पूर्णिमा को दत्त जयंती मनाई जाती है। शास्त्रानुसार इस तिथि को भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवताओं की परमशक्ति जब केंद्रित हुई तब त्रिमूर्ति दत्त का जन्म हुआ। अगहन पूर्णिमा को प्रदोषकाल में भगवान दत्त का जन्म होना माना गया है। दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं और इसलिए उन्हें परब्रह्ममूर्ति सदगुरु और श्री गुरुदेव दत्त भी कहा जाता है। माना गया है कि भक्त के स्मरण करते ही भगवान दत्तात्रेय उनकी हर समस्या का निदान कर देते हैं इसलिए इन्हें “ स्मृति गामी व स्मृतिमात्रानुगन्ता “ भी कहा गया है। अपने भक्तों की रक्षा करना ही श्री दत्त का आनंदोत्सव है। भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है और तीनो ईश्वरीय शक्तियो से समाहित महाराज दत्तात्रेय की साधना अत्यंत ही सफल और शीघ्र फल देने वाली है।
Pt.P.S.Tripathi
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