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बच्चों का भटकाव ज्ञात करें उसके दोस्तो की संख्या से –

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भारतीय ज्योतिष शास्त्र में जिस प्रकार ग्रहों में आपस में मित्रता-श्षत्रुता तथा समता होती है, उसी का असर जीवन में दोस्तो या साथियों तथा उसके लाभ तथा हानि से होता है। युवा होते बच्चों में दोस्ती करने की सबसे प्रबल इच्छा बलवती होती है, दोस्तो के साथ ज्यादा समय बिताना, बाहर रहना, नियम-कायदों की अनदेखी करना युवा बच्चों का जुनून बन गया है। अतः यदि आपका भी बच्चा इस प्रकार का आदी हो रहा हो तो देखें कि उसकी शनि या शुक्र की दषा तो नहीं चल रही और यदि ऐसा है तो जिस प्रकार जीवन साथी के चयन में गुण मेलापक को महत्व दिया जाता है, उसी के अनुरूप कैरियर या षिक्षा के दौरान दोस्त या सहपाठियों में गुण-दोषों का मिलान कर जीवन में कैरियर या अध्ययन के प्रयास में सफलता तथा दोस्तों के गुण-दोष से लाभ या हानि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए दोस्त का चयन करते समय अपनी ग्रह स्थितियों के अलावा, अपने ग्रहों की दिषा, दषा तथा स्थिति के अनुरूप व्यक्तियों से नजदीकी या दूरी बनाकर तथा किस व्यक्ति का संबंध किस स्थान है, जानकारी प्राप्त कर उस व्यक्ति से उस स्तर का संबंध बनाकर समस्या से निजात पाया जा सकता है। दोस्तो के चुनाव तथा व्यवहारगत संबंध तथा साथ में अध्ययन या प्रतियोगिता में लाभ-हानि तथा मानसिक शांति हेतु आवष्यक भूमिका का निभाता है। दोस्तो से व्यवहारिक हानि रोकने के लिए भृगु-कालेंद्र पूजा कराना चाहिए। अनुषासन बनाये रखने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

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