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संतानसुख प्राप्ति का समय निर्धारण –

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संतानसुख प्राप्ति का समय निर्धारण –
विवाह के उपरांत प्रत्येक परिवार की प्राथमिकता संतान प्राप्ति का समय जानने की होती है। यदि किसी व्यक्ति की विवाह के उपरांत संतान प्राप्ति में विलंब हो तो कई प्रकार की चिंताएॅ सताने लगती है। अतः किसी जातक की कुंडली में यदि पंचमेष पंचम भाव में या लग्नेष के निकट हो तो विवाह के बाद शीघ्र संतान प्राप्ति का योग बनता है। अगर ऐसा ना हो तो संतान प्राप्ति में विलंब होता है। लग्नेष, पंचमेष, बृहस्पति जिस ग्रह के नवांष में होता है, उसकी दषा में, पंचमेष के नवांष के अधिपति की दषा अंतरदषा में या पंचम पर स्थित या दृष्ट ग्रहों की दषा या अंतरदषा में संतानसुख की प्राप्ति होती है। पंचमेष और सप्तमेष के स्फुट जोड़कर जो राषि और अंष आवे उसके नक्षत्र में भी संतानसुख की प्राप्ति के योग बनता है। सर्वप्रथम संतान सुख प्राप्ति का काल निर्धारण उसके उपरांत दषा या अंतरदषा का ज्ञान तथा उसके उपरांत नक्षत्र की जानकारी का संयुक्त होने पर ही संतानसुख की प्राप्ति होने के योग बनते हैं।

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