तनाव मनःस्थिति से उपजा विकार है। मनःस्थिति एवं परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं असामंजस्य उत्पन्न होने के कारण तनाव पैदा होता है। तनाव के कारण मन पर गहरी दरार पड़ती है, जिससे कई प्रकार के मनोविकार दिखाई देते हैं, जिसके कारण मन अषांत होना, अस्वस्थता महसूस होने के साथ कई बार तनाव की इस स्थिति में लगातार भूख का अहसास होता है। चूॅकि तनाव में कार्य के प्रति अनिच्छा होने के साथ ही नींद कम होती है अतः इस स्थिति में लगातार भूख का अहसास होने से भोजन या किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का लगातार सेवन करने के कारण व्यक्ति मोटापा का षिकार होने लगता है। अगर तनाव की दषा में भूख बढ़ गई हो या मोटापा बढ़े तो उस तनाव के कारण उत्पन्न मोटापा को दूर करने हेतु तनाव के कारण कारणों की खोज कर दूर करने हेतु ज्योतिषय निदान लाभकारी उपाय हो सकता है। चूॅकि तनाव के लिए जातक का तृतीयेष भाव या भावेष कारक होता है। अगर तनाव के कारण ओवर इटिंग हो तो इसका कारण जातक के तृतीयेष का षष्ठम, अष्टम या द्वादष स्थान में होने के साथ शनि या शुक्र का लग्नस्थ या चतुर्थ भाव में होकर राहु से पापाक्रंात होने पर या दूसरे या छठवें स्थान से किसी भी प्रकार से संबंध स्थापित करने पर जातक तनाव की स्थिति में ज्यादा भोजन करने लगता है। ऐसी स्थिति में तनाव को उत्पन्न उस ग्रह की शांति तथा उपाय कर तनाव को कम कर मोटापे को दूर किया जा सकता है। अगर तनाव के कारण मोटापा उत्पन्न हो रहा हो तो जातक को ग्रह शांति के साथ नित्य एक माला उॅ नमः भगवते वायुदेवाय का जाप करना चाहिए।
Pt.P.S Tripathi
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