सपनों के विश्लेषण के संबंध में ‘सिगमंड फ्रायड’ का कथन है कि ‘सपने उन दमित इच्छाओं को व्यक्त करते हैं जो मस्तिष्क के अंधेरे कोने में घर किये रहते हैं’ परंतु आधुनिक विज्ञान एवं आधुनिक वैज्ञानिकों के मत फ्रायड के मत से एकदम भिन्न हैं। इससे पूर्व कि स्वप्नों के विषय में वैज्ञानिकों का मत जाना जाय, यहां यह जान लेना उचित होगा कि वैज्ञानिकों को सपनों के विषय में जानकारी जुटाने की आवश्यकता क्यों हुई? बिना इसे जाने स्वप्नों के विषय में फलित ज्योतिष का मत ही जान सकते हैं। परंतु आधुनिक वैज्ञानिकों एवं ऋषि-महर्षि रूपी वैज्ञानिकों में कितनी समानता है, इसे नहीं जान पायेंगे। फलतः स्वप्न एवं उनके फलों के विषय में स्पष्टता नहीं आ पायेगी। ब्रितानी मनोवैज्ञानिक एवं कम्प्यूटर मनोवैज्ञानिक क्रिस्टोफर इवांस ने मानव मस्तिष्क की तुलना कम्प्यूटर से की थी। स्वप्न एवं उनके फल दोनों ही अलग-अलग प्रकार के नेटवर्क हैं जो विद्युतीय संकेतों को लाने ले जाने का कार्य करते हैं। दोनों में ही ये संकेत विभिन्न स्विचों और फाटकों से गुजरते हुए अंत में एक सार्थक रूप ले लेते हैं। स्वप्नों के विषय में विगत पांच हजार वर्षों से बराबर शोध हो रहा है और अभी तक अधिकांश गुत्थियां ज्यों की त्यों उलझी हुई हंै कि ‘क्या स्वप्नों का वास्तविक जीवन में कोई महत्व है भी या नहीं। कुछ लोगों की यह धारणा है कि स्वप्न वास्तव में भविष्य के पथ प्रदर्शक हैं और जब व्यक्ति उलझ जाता है व जहां उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं देता, वहां स्वप्न उसकी बराबर मदद करते हैं। इस संबंध में आधुनिक वैज्ञानिकों का कथन है कि, हमारे मस्तिष्क के आसपास चैबीस करोड़ रक्त वाहनियों और शिराओं की मोटी पट्टी बनी हुई है जो मानव चेतन और अचेतन व दृष्य और अदृष्य बिंबों को लेकर उस पट्टी पर सुरक्षित जमा रखते हैं और समय आने पर वे बिंब ही स्वप्न का आकार लेकर व्यक्ति के सामने प्रकट होते हैं। रूसी वैज्ञानिकों का भी मत है कि, ‘स्वप्न को व्यर्थ का समझ कर टाला नहीं जा सकता। वास्तव में स्वप्न पूर्ण रूप से यथार्थ और वास्तविक होते हैं। यह अलग बात है कि हम इसके समीकरण सिद्धांत व अर्थों को समझ नहीं पाते।’ दूसरी बात यह है कि ‘स्वप्न कुछ क्षणों के लिए आते हैं और अदृश्य हो जाते हैं, जिससे कि व्यक्ति प्रातःकाल तक उन स्वप्नों को भूल जाता है। परंतु यह निश्चित है कि एक स्वस्थ व्यक्ति, प्रत्येक रात्रि में तीन से सात स्वप्न अवश्य देखता है। अमेरिका के प्रसिद्ध स्वप्न विशेषज्ञ ‘जाॅर्ज हिच’ ने पुस्तक ड्रीम में प्रमाणों सहित यह स्पष्ट किया है कि, ”व्यक्ति स्वप्नों के माध्यम से ही अपने जीवन में पूर्णता प्राप्त कर सकता है, प्रकृति ने मानव शरीर की रचना इस प्रकार से की है कि, “जहां मानव के जीवन में गुत्थियां और परेशानियां हैं, बाधायें और उलझनें हैं, वहीं उन उलझनों या समस्याओं का हल भी प्रकृति स्वप्नों के माध्यम से दे देती है। मानव शरीर के अंदर दो प्रकार की स्थितियां होती हैं चेतन व अवचेतन मन जैसा कि सर्व विदित है। चेतन मन जहां बाहरी दृश्य और परिवेश को स्वीकार कर जमा करता रहता है, वहीं आंतरिक मन हमारे पूर्व जन्मों की घटनाओं से पूर्ण रूप से संबंधित रहता है। इसमें अब तो कोई दो राय नहीं है कि व्यक्ति का बार-बार जन्म और बार-बार मृत्यु होेती है। हमारे आर्ष ऋषि आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने भी ‘चर्पटपंजरिका’ में कहा है ”पुनरपि जननं, पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनं“ पिछले जीवन के कार्यों, दृष्यों और घटनाओं का प्रभाव भी वह जीवन में प्राप्त करता रहता है, उसे वहन करता रहता है। यह अचेतन मन ही स्वप्नों का वास्तविक आधार है और इस अचेतन मन के पास अपनी बात को बताने या समझाने का और कोई रास्ता नहीं है, फलस्वरूप वह निद्राकाल में मानव को चेतावनी भी देता है, उन दृष्यों को स्पष्ट भी करता है और उसका पथ प्रदर्शन भी करता है। इस दृष्टि से अचेतन मन व्यक्ति के लिए ज्यादा सहयोगी और जीवन निर्माण में सहायक होता है। स्वप्न एक पूर्ण विज्ञान है हमारे जीवन की कोई भी घटना व्यर्थ नहीं है, सावधान और सतर्क व्यक्ति प्रत्येक घटना से लाभ उठाता है, वह उसको व्यर्थ समझकर नहीं छोड़ता। यदि जीवन में सफलता और पूर्णता प्राप्त करनी है तो जहां चेतन अवस्था में उसके जीवन के कार्य प्रयत्न तो सफल व सहायक हो हीे जाते हैं, इसके अलावा स्वप्नों के माध्यम से भी वह अपनी समस्याओं का निराकरण कर सकता है। संसार में देखा जाय तो स्वप्नों ने व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़े-बड़े परिवर्तन किये हैं और वैज्ञानिक शोधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। फ्रांस के दार्शनिक डी. मार्गिस की आदत थी कि वे बराबर काम में जुटे रहते थे और काम करते ही जब गणित के किसी समीकरण या विज्ञान की किसी समस्या का समाधान नहीं मिलता था तो वे वहीं काम करते-करते सो जाते, तब ‘स्वप्न’ में उन समस्याओं का समाधान उन्हें मिल जाता था। इससे यह सिद्ध होता है कि वास्तव में ही स्वप्न अपने आपमें एक अलग विज्ञान है। उसको उसी प्रकार से ही समझना होगा। कभी-कभी स्वप्न सीधे और स्पष्ट रूप से नहीं आते अपितु वे गूढ़ रहस्य के रूप में निद्राकाल में आते हैं और वे स्वप्न उन्हें स्मरण रहते हैं। व्यक्ति को चाहिए कि वह उस स्वप्न का अर्थ समझे व स्वप्न विशेषज्ञ से सलाह लें और उसके अनुसार अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करें। स्वप्नों के स्वरूप: फलित ज्योतिष में स्वप्नों को विश्लेषणों के आधार पर सात भागों में बांटा गया है:- 1. दृष्ट स्वप्न, 2. श्रृत स्वप्न, 3. अनुभूत स्वप्न, 4. प्रार्थित स्वप्न, 5. सम्मोहन स्वप्न, 6. काल्पनिक स्वप्न एवं 7. भावित स्वप्न। इनमें से उपरोक्त छः प्रकार के स्वप्न निष्फल होते हैं क्योंकि ये सभी छः प्रकार के सवप्न असंयमित जीवन जीने वाले व्यक्तियों के स्वप्न होते हैं।
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