
मंदिर से लौटकर क्या न करें ?
मंदिर जाना सिर्फ पूजा करना नहीं है, बल्कि यह एक ऊर्जा यात्रा है। जब कोई व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करता है, तो वह अपने भीतर की नकारात्मक ऊर्जा को पीछे छोड़कर देवत्व की सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करता है। यही कारण है कि मंदिर से लौटते समय मन अत्यंत शांत, हल्का और सात्त्विक होता है।
लेकिन कई बार हम कुछ ऐसी गलतियाँ कर देते हैं, जो इस प्राप्त दिव्य ऊर्जा को क्षणों में नष्ट कर देती हैं। शास्त्रों, वास्तु और आध्यात्मिक परंपराओं में मंदिर से लौटकर कुछ कार्यों को कठोरता से वर्जित बताया गया है।
1. घर आते ही क्रोध या झगड़ा न करें
मंदिर की ऊर्जा अत्यंत कोमल और सात्त्विक होती है।
अगर घर आकर आप–
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किसी से झगड़ते हैं
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गुस्सा करते हैं
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कटु वचन बोलते हैं
तो मंदिर से लाई हुई पूरी शुभ ऊर्जा तुरंत नष्ट हो जाती है।
शास्त्र कहते हैं:
“क्रोध ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।”
इस समय प्रेम, शांति और संयम बनाए रखना सबसे आवश्यक है।
2. तुरंत नकारात्मक बातें या शिकायतें न करें
कई लोग मंदिर से लौटते ही बोल देते हैं—
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“मेरी किस्मत बहुत खराब है।”
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“कुछ अच्छा नहीं होता।”
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“बहुत परेशान हूँ।”
यही बातें आपके ऑरा पर भारी असर डालती हैं और ऐसी वाणी देवकृपा को कमजोर करती है।
मंदिर के बाद केवल सकारात्मक शब्द ही बोलने चाहिए।
3. मंदिर से लौटकर झाड़ू न लगाएँ
यह सबसे बड़ा वर्जन माना गया है।
झाड़ू लगाने का मतलब है—
ऊर्जा को बहार निकालना।
शास्त्रों में कहा गया है कि मंदिर से लौटकर झाड़ू लगाने से पुण्य घटता है और सकारात्मक ऊर्जा घर से निकल जाती है।
कम से कम 1–2 घंटे तक सफाई न करें।
4. तुरंत मोबाइल, टीवी, सोशल मीडिया न देखें
मंदिर की ऊर्जा सूक्ष्म और शांत होती है, जबकि
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न्यूज
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सोशल मीडिया
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टीवी
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तेज आवाज
मन को अशांत कर देते हैं।
इससे मंदिर से प्राप्त दिव्य स्पंदन कमजोर हो जाता है।
मंदिर से लौटकर 10–15 मिनट शांति में बैठना अत्यंत शुभ माना जाता है।
5. शराब, मांसाहार या तामसिक भोजन न करें
सात्त्विक ऊर्जा और तामसिक भोजन एक-दूसरे के विपरीत होते हैं।
अगर मंदिर से आते ही आप—
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मांसाहार
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शराब
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प्याज-लहसुन
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भारी भोजन
कर लेते हैं, तो ऊर्जा तुरंत भारी हो जाती है।
शास्त्र कहते हैं कि मंदिर से लौटकर कम से कम कुछ समय तक सात्त्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
6. तुरंत सोना या बिस्तर पर लेटना न करें
कई लोग मंदिर से लौटकर थकान में सीधे सो जाते हैं।
लेकिन मंदिर से आई ऊर्जा शरीर और मन को जाग्रत करती है।
सो जाने से यह ऊर्जा भीतर सक्रिय होने के बजाय स्थिर हो जाती है और असर कम हो जाता है।
बेहतर है कि कुछ देर शांत बैठें, दीपक देखें या मंत्र सुनें।
7. मंदिर के फूल, प्रसाद या चढ़ावा कहीं भी न फेंकें
धार्मिक सामग्री को आदरपूर्वक संभालना चाहिए।
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फूलों को पौधों के नीचे रखें
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प्रसाद को सही व्यक्ति तक पहुँचाएँ
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थैली या कलावा को साफ जगह पर रखें
अनादर से ऊर्जा में बाधा आती है।
8. घर आकर तुरंत स्नान या बाल न धोएँ
मंदिर में जो दिव्य ऊर्जा मिलती है, वह आपके शरीर, ऑरा और मन पर कुछ समय तक रहती है।
इसलिए मंदिर से लौटकर तुरंत स्नान नहीं करना चाहिए।
स्नान करने से वह ऊर्जा धुल जाती है।
9. मंदिर के कपड़े तुरंत न बदलें
मंदिर में पहने वस्त्रों पर भी सकारात्मक स्पंदन रहते हैं।
उन्हें कुछ देर पहनकर रखना अच्छा माना गया है।
कम से कम 30 मिनट बाद कपड़े बदलना सही है।
10. पैसा गिनना, तिजोरी खोलना या लेन-देन न करें
मंदिर की ऊर्जा मन को शांत और आध्यात्मिक बनाती है।
ऐसे समय में धन का लेन-देन आपके मन की स्थिरता को प्रभावित करता है।
धन संबंधी निर्णय उस समय नहीं लेने चाहिए।
11. तुरंत भारी कार्य न करें
जैसे—
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तेज गाड़ी चलाना
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भारी सामान उठाना
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कठोर परिश्रम
मंदिर से लौटने के बाद शरीर और मन दोनों हल्की तरंगों में होते हैं, इसलिए कठिन कार्य ऊर्जा को बाधित करते हैं।

मंदिर से लौटकर क्या करना चाहिए?
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5 मिनट शांत बैठें
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घर के मंदिर में दीपक देखें
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प्रभु को धन्यवाद दें
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सकारात्मक सोच रखें
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हल्का प्रसाद खाएँ
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परिवार से प्रेमपूर्वक बात करें
ये सब आपकी ऊर्जा को स्थिर करते हैं और देवकृपा को बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष
मंदिर से लौटना केवल पूजा के बाद घर आना नहीं है, बल्कि एक पवित्र ऊर्जा-यात्रा का पूर्ण होना है।
अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हैं, तो मंदिर से प्राप्त दिव्य स्पंदन आपके जीवन में—
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शांति
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समृद्धि
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सौभाग्य
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मानसिक स्थिरता
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और सकारात्मकता
लेकर आता है।





