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जानिए ? कौन से ग्रह कराते है घटना और विवाद…

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जानिए ? कौन से ग्रह कराते है घटना और विवाद…

राहु-मंगल की युति से जातकों के जीवन में होती हैं ऐसी घटनाएं, व्यक्तिगत रूप से भी मंगल राहु का योग नकारात्मक परिणाम देने वाला ही होता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को क्रोध, वाद विवाद, लड़ाई झगड़ा, हथियार, दुर्घटना, एक्सीडेंट, अग्नि, विद्युत आदि का कारक ग्रह माना गया है। वहीं, राहु ग्रह को आकस्मिकता, आकस्मिक घटनाएं, शत्रु, षड़यंत्र, नकारात्मक ऊर्जा, तामसिकता, बुरे विचार, छल, और बुरी आदतों का कारक ग्रह माना गया है। ज्योतिष में मंगल और राहु के योग को बहुत नकारात्मक और उठापटक कराने वाला योग माना गया है। मंगल और राहु स्वतंत्र रूप से अलग-अलग इतने नाकारात्मक नहीं होते पर जब मंगल और राहु का योग होता है तो इससे मंगल और राहु की नकारात्मक प्रचंडता बहुत बढ़ जाती है। जिस कारण यह योग विध्वंसकारी प्रभाव दिखाता है, मंगल राहु का योग प्राकृतिक और सामाजिक उठापटक की स्थिति तो बनाता ही है पर व्यक्तिगत रूप से भी मंगल राहु का योग नकारात्मक परिणाम देने वाला ही होता है।

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यदि जन्मकुंडली में मंगल और राहु एक साथ हो अर्थात कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो सर्वप्रथम तो कुंडली के जिस भाव में यह योग बन रहा हो उस भाव को पीड़ित करता है और उस भाव से नियंत्रित होने वाले घटकों में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। कुंडली के प्रथम भाव में मंगल-राहु का योग बनता है तो ऐसी स्थिति में सेहत पक्ष की और से हमेशा कोई न कोई समस्या बनी रहती है।

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  • कुंडली के प्रथम भाव में मंगल-राहु का योग बनता है तो ऐसी स्थिति में सेहत पक्ष की और से हमेशा कोई न कोई समस्या बनी रहती है।
  • कुंडली के दूसरे भाव में मंगल-राहु का योग होने पर आर्थिक संघर्ष और घर के सुख में कमी होती है।

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  • कुंडली के तीसरे भाव में मंगल-राहु का योग बहन भाई की हानि या बहन भाई को कष्ट देता है।
  • कुंडली के चौथे भाव में मंगल-राहु का योग माता के सुख में कमी या माता को कष्ट जमीन जायदाद की हानि देता है।
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  • कुंडली के पांचवे भाव में मंगल-राहु का योग शिक्षा और संतान पक्ष को बाधित करता है।
  • कुंडली के षष्ठ भाव में मंगल-राहु की युति से रोग, शत्रु की बढ़ोतरी नशा आदि का सेवन कर शरीर को हानि पहुंचाता है।

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  • कुंडली के सप्तम भाव में मंगल युति होने के कारण जीवनसाथी से अनबन दांपत्य सुख से वंचित होना एवं किसी अन्य स्त्री या पुरुष से संबंध हो जाता है।
  • कुंडली के अष्टम भाव में मंगल राहु की युति होने कारण आकस्मिक दुर्घटना से चोट या मृत्यु तक संभव हो जाती है।

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  • कुंडली के नवम भाव में मंगल-राहु होने पर विदेश यात्रा, धर्म यात्रा, धर्मी बनता है लेकिन कष्ट भी मिलता है।
  • कुंडली के दशम भाव में मंगल-राहु होने पर पिता से बेर या पिता को रोग स्थान हानि देता है।
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  • कुंडली के एका दशम भाव में मंगल-राहु होने पर आपराधिक कारणों से धन प्राप्त करता है और थाना अदालत आना जाना बना रहता है।
  • कुंडली के द्वादश भाव में मंगल-राहु होने के कारण धन का व्यय व्यसन (नशे) का आदि बनता है कारावास तक करवाता है।

इन तरह के सभी कार्मिक ज्योतिष के बाधाओं निवृत्ति के लिए विगत 20 वर्षों से श्री अमलेश्वर महाकाल धाम में नारायणबलि, नागबलि, त्रिपिंडि श्राद्ध, कालसर्प , अर्क विवाह , कुंभ विवाह , कराये जा रहे है। खारून के तट पर बना श्री महाकाल धाम तिर्थ जहां देश भर से श्रद्धालु पधारते है। संपर्क सूत्र – पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ज्योतिषाचार्य  – 9753039055 / 9893363928