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संतान उत्पत्ति में बाधा ? तो करें ये उपाय

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संतान उत्पत्ति में बाधा ? तो करें ये उपाय

कुंडली में पांचवां भाव संतान का भाव होता है. यानी संतान उत्पत्ति की संभावना, संतान की प्रवृति और उसके भविष्य का विचार इसी भाव से किया जाता है. आज संतान प्राप्ति, संतान की लंबी आयु और सुखद भविष्य के विषय पर चर्चा करेंगे.वैसे तो संतान चर्चा में माता की कुंडली की प्रधानता है किंतु पिता की कुंडली का भी विचार कम महत्वपूर्ण नहीं. संतान की बाधा का अर्थ संतान प्राप्ति में बाधा, गर्भपात की समस्या, संतान के अल्पायु होने के साथ-साथ यदि संतान हुई तो उसके उत्तम भविष्य की बाधा को भी समझना चाहिए।

कब होती है अच्छी संतान की प्राप्तिः-

-लग्न से पंचम भाव, चंद्रमा से पंचम भाव और बृहस्पति से पंचम भाव की स्थिति अच्छी होनी चाहिए, स्वगृही हों, शुभ ग्रह के साथ युति हो और पापग्रह से पीड़ित न हो तो वंशवृद्धि होती है और उत्तम संतान की प्राप्ति होती है.

-कुछ दंपत्तियों की संतान प्राप्ति में बहुत बाधा होती है. बार-बार गर्भपात हो जाता है या संतान जन्म के बाद लंबे समय तक जीवित नहीं रहती. ज्योतिष में इसके बहुत से कारण बताए गए हैं. कारण के साथ-साथ इसके उपाय भी बताए गए हैं. पहले कारणों को समझते हैं.

इसे समझने के लिए आप सबसे पहले अपनी कुंडली को सामने खोलकर रखें और देखकर समझने का प्रयास करें कि किस कारण आपको संतान बाधा हो रही है. मैं ग्रहों की वह स्थिति विस्तार से बता रहा हूं जो संतान के लिए बाधा बनते हैं.

-पंचम भाव का स्वामी यदि कुंडली के छठे, आठवें या बाहरवें भाव में जाकर बैठा हो या छठे, आठवें और बाहरवें भाव के स्वामी पंचम भाव में आकर बैठ जाएं तो संतान प्राप्ति में विलंब होगा ही या फिर बार-बार गर्भपात होगा. संतान की जन्म के बाद शीघ्र ही मृत्यु हो जाएगी.

-कुंडली में यदि पंचम भाव में पापग्रहों की युति हो जाए, दृष्टि हो जाए या फिर उस पर किसी शुभग्रह की दृष्टि न हो तो संतान में बाधा आती ही है.

-यदि संतान भाव के स्वामी की शनिग्रह से युति हो जाए, शनि पंचम भाव में हो तथा चंद्रमा लग्न में हो तो बार-बार गर्भपात की आशंका रहती है.

-संतान भाव में सूर्य हो, एकादश भाव में शनि हो, द्वितीय भाव में चंद्रमा और मंगल हो तो बार-बार संतान नष्ट होते हैं.

-संतान भाव या एकादश भाव में मंगल बैठा हो और उस पर शनि की दृष्टि हो तो संतान में लगातार बाधा आती है.

-सूर्य, शनि, मंगल, राहू यदि संतान भाव में ही हों तो बार-बार संतान नष्ट होते हैं. यदि संतान उत्पति हो भी गई तो उसका शीघ्र नाश कर देते हैं.

संतान बाधा का संभव है निवारणः-

ज्योतिष में ऐसे तमाम अन्य कारण भी बताए गए हैं. इन पर आगे चर्चा करूंगा. पहले जो कारण बताए हैं उनके निदान की बात कर लेते हैं.

संतान की बाधा को दूर करने के उपाय भी ज्योतिषशास्त्र में बताए गए हैं. कुछ स्थितियों को छोड़कर ज्यादातर स्थितियों में ग्रहों की पीड़ा को दूर कर संतान प्राप्ति की बाधा मिटाई जा सकती है.   किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श लें, ज्यादातर मामलों में बाधा दूर करना संभव है.

संतान गोपाल मंत्र का अनुष्ठान कराना चाहिए. उत्तम वैदिक ब्राह्मणों द्वारा 51,000 से 64,000 की संख्या में जप एवं हवन करावें.

बहुत ज्यादा बाधा आ रही है. विवाह के लंबे समय उपरांत भी संतान की संभावना नहीं बन रही हो तो सवा लाख संतान गोपाल मंत्र का जप एवं अनुष्ठान करावें.

भौम यंत्र स्थापित करके मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. पति-पत्नी दोनों मंगलवार का व्रत तब तक करें जब तक कि संतान प्राप्ति न हो जाए.

उत्तम वैदिक ब्राह्मणों द्वारा ग्यारह सोमवार को रूद्राभिषेक कराना चाहिए.

शिव-पार्वती का नियमित पूजन स्वयं करें.

सूर्य उपासना करें. सूर्य को नियमित जल दें.

पुत्रदा एकादशी का व्रत करें.

जिन ग्रहों से बाधा है उनका मंत्र जप एवं शांति कराएं.

शनि प्रदोष व्रत करें ।