
शादी में देरी क्यों होती है ? कुंडली के अनुसार 7 ज्योतिषीय कारण
शादी हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। सही समय पर विवाह हो जाए तो जीवन सुखमय बन जाता है, लेकिन कई लोगों के जीवन में विवाह में अनचाही देरी होने लगती है। रिश्ते आते हैं पर बात बनती नहीं, मनपसंद जीवनसाथी नहीं मिल पाता, या अचानक रुकावटें आने लगती हैं। ज्योतिष के अनुसार, जन्मपत्री में कुछ योग और ग्रह स्थितियाँ ऐसी होती हैं जो विवाह में बाधाएँ पैदा करती हैं।

1. सप्तम भाव (7th House) में ग्रहों की समस्या
जन्मपत्री में सप्तम भाव विवाह, जीवनसाथी, और वैवाहिक जीवन का मुख्य कारक होता है।
अगर इस भाव में समस्या हो जाए, तो शादी में देर, विवाह न होना, या बाधाएँ आना — सामान्य बात है।
सप्तम भाव में कौन-कौन सी स्थितियाँ देरी लाती हैं?
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सप्तम भाव खाली हो और उसका स्वामी कमजोर हो
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शनि, राहु, केतु, मंगल का दुष्प्रभाव
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सप्तम भाव का पाप ग्रहों से पीड़ित होना
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7th lord (सप्तमेश) का नीच राशि में होना
संकेत:
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रिश्तों का टूट जाना
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मनपसंद साथी न मिलना
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रिश्तों में मिसअंडरस्टैंडिंग
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अनावश्यक देरी और झंझट
🪐 2. मंगल दोष (Mangal Dosha)
मंगल ग्रह ऊर्जा का ग्रह है, लेकिन शादी में यह बाधाएँ भी उत्पन्न कर सकता है।
कब बनता है मंगलीक दोष?
मंगल निम्न भावों में हो—
1, 4, 7, 8, 12
तो व्यक्ति मंगलीक कहलाता है।
इससे क्या होता है?
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विवाह में देरी
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रिश्ते फाइनल होते-होते टूट जाते
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पार्टनर चयन में भ्रम
उपाय:
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मंगलीक-मंगलीक विवाह
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मंगल शांति पूजा
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मंगलवार को व्रत
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हनुमान चालीसा/सुंदरकांड
3. शनि का प्रभाव (Saturn Delay Factor)
शनि ग्रह को देरी का ग्रह कहा जाता है।
यदि शनि —
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7th house में हो
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7th lord पर दृष्टि डालता हो
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शनि की साढ़ेसाती/धैया चल रही हो
तो शादी रुकी रहती है।
क्यों देता है शनि देरी?
क्योंकि शनि व्यक्ति को परिपक्व बनाना चाहता है। वह तब तक विवाह नहीं होने देता, जब तक ग्रह उसे योग्य नहीं मानते।
संकेत:
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28–32 की उम्र तक विवाह न होना
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रिश्तों में बाधा
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जिम्मेदारियों का बोझ
4. राहु-केतु का कुंडली पर क्लेशकारी प्रभाव
राहु और केतु छाया ग्रह हैं और भ्रम, रुकावट, और उलझन पैदा करते हैं।
कब देरी कराते हैं?
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राहु 7th house में
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केतु 7th house में
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राहु/केतु का सप्तमेश से संबंध
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राहु की महादशा या अंतर्दशा
प्रभाव:
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गलत रिश्तों में फँसना
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गलत निर्णय
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अचानक विवाह से पीछे हटना
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परिवार की सहमति में अड़चन
5. शुक्र (Venus) का कमजोर होना
शुक्र प्रेम, विवाह, दांपत्य सुख और आकर्षण का कारक है।
यदि शुक्र —
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नीच का
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पाप ग्रहों से पीड़ित
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राहु-केतु से ग्रस्त
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अपनी महादशा में कमजोर
तो शादी में रुकावट आती है।
संकेत:
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रिश्तों के मामले में असफलता
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प्रेम विवाह में मुश्किल
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रिश्तों में असंतोष
6. चंद्रमा और मानसिक स्थिति असंतुलित होना
चंद्र भावनाओं और मन का स्वामी है।
यदि चंद्र कमजोर हो, या राहु के साथ हो, तो शादी लगातार टलती रहती है।
क्यों?
क्योंकि व्यक्ति निर्णय नहीं ले पाता।
भावनात्मक अस्थिरता रिश्तों में अविश्वास और भ्रम पैदा करती है।
संकेत:
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रिश्ता तय होते-होते टूट जाना
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अधिक सोचने की आदत
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विवाह को लेकर भय
7. दशा (Mahadasha/Antardasha) की खराब अवधि4
महादशा-अंतर्दशा जीवन के हर बड़े फैसले को प्रभावित करती है।
यदि विवाह कारक ग्रहों की दशा प्रबल न हो, तो शादी रुक जाती है।
कौन-सी दशाएँ शादी में देरी करती हैं?
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शनि की प्रतिकूल दशा
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राहु-अशुभ दशा
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मंगल की कठोर दशा
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सप्तमेश की कमजोर दशा
कब खुलता है विवाह योग?
शुक्र, गुरु और चंद्र की शुभ दशाओं में सफल विवाह योग बनता है।
शादी में देरी के सामान्य ज्योतिषीय उपाय
नोट: उपाय तभी प्रभावी होते हैं जब कुंडली की सही जाँच के बाद किए जाएँ।
✔ 1. शुक्रवार का व्रत
शुक्र ग्रह को मजबूत करता है।
✔ 2. शिव–पार्वती पूजा
विवाह में शुभ फल देती है।
✔ 3. गुरु (बृहस्पति) को मजबूत करना
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पीली चीजों का दान
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गुरुवार का व्रत
✔ 4. मंगलीक के लिए विशेष उपाय
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मंगल शांति
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हनुमान जी की पूजा
✔ 5. राहु-केतु शांति
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चंद्र को मजबूत करना
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शनिवार का व्रत
सार — विवाह में देरी क्यों होती है? कुंडली में देरी के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण है सप्तम भाव का कमजोर होना या शनि–मंगल–राहु–केतु का प्रभाव।
सही समय और शुभ दशा आने पर विवाह आसानी से हो जाता है।





