पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी प्राणी आकाशचारी ग्रहों से पूर्णरूपेण प्रभावित होते है। आज से हजारों वर्ष पूर्व भारतीय मनीषियों ने ’यत्पिण्डे तत्ब्रहांण्डे’ के आधार पर अपनी सूक्ष्म प्रज्ञा द्वारा शरीरस्थ सौरमंडल का भली-भांति पर्यवेक्षण करके तदनुरूप आकाशीय सौरमंडल की व्यवस्था की थी।
साथ ही आकाशीय ग्रहो द्वारा मानव-शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अन्वेषण किया था। बाद मे देश-काल की सीमाऔं को लांघती हुई भारतीय ज्योतिष-विद्या संपूर्ण विश्व में प्रचारित एवं प्रसारित हुई।
तत्पश्चात अनेक विदेशी विद्वानों ने भी इस शास्त्र के विभिन्न अंगो को विकसित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान किया। किन्तु मूल ’लाल किताब’ के लेखक पंडित गिरधारी लाल शर्मा ने भारतीय ज्योतिष को ऐसे नए और अद्भुत आयाम दिए कि संपूर्ण विश्व चमत्कृत रह गया।
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