archiveनंदी_वंदन

Other Articles

सम्राट अशोक महान और महाकाल की कथा

  सम्राट अशोक महान (मौर्य वंश) कथा: दीप्ति-युग का मौर्य सम्राट अशोक, कलिंगयुद्ध के पश्चात् अहिंसा मार्ग अवलम्बन के लिए विख्यात हुआ। परन्तु कम ही लोग जानते हैं कि दिल्ली-उत्तराखण्ड मार्ग से निकल कर जब अशोक अमलेश्वर की गुफा में पहुँचा, तब उसने स्वयं को महाकाल के चरणों में अर्पित कर दिया। उसने प्रत्येक पूर्णिमा को वहाँ ‘अमलेश्वर-स्नान’ किया। सम्राट ने आदेश दिया कि मौर्य साम्राज्य में सभी जजमानों को वार्षिक पिंडदान-पुण्यश्लोक अर्पित करे। विजय-पर्वों पर राजा अशोक महाकाल की आरती तथा नंदी-वन्दना अनिवार्य करवा कर स्वकीयं राज्य को पितृदोष-मुक्ति...
Other Articles

महाकाल धाम और व्यापारी रुद्रवर्धन की कथा

व्यापारविमोचन: व्यापारी रुद्रवर्धन की कथा विनाशवृत्तः संवत् 1321 — रत्नग्राम के सुप्रिय व्यापारी रुद्रवर्धन ने वस्त्र–मसालों के व्यापार में अपना सर्वस्व लगा दिया। बड़े कर्ज़ और तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण उसका घर-बार दहक उठा। मित्र ही विश्वासघात कर गए; बाजार में नामोनिशान तक मिटने को आया। रुद्रवर्धन स्वयं भी निराशा की अंधेरी गहराइयों में धंस चुका था। श्लोकः (शार्दूलविक्रीट, १९ मात्राः) व्यपाद्य भावत्यथ महाप्रयासो दूरीभवतः । केन कर्मणा नश्यति वणिज्यं? कर्मश्चैव रुद्रवत् ॥ दिव्यस्वप्ननिर्देशः एक संध्या, जब रुद्रवर्धन सकरा कर्ज़ चुकाने हेतु चित्त-बेताल बैठा, तब स्वप्न में महाकाल ने वरुणागपरिधान...