archiveAmleshwar Shivling Reappearance

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हर 131 वर्षों में जब धरती के पाताल में छिपे पाप प्रबल होंगे, तब मैं भूमिशयन कर कुछ काल तक लुप्त रहूंगा

श्री महाकाल अमलेश्वर के भूमिशयन का गूढ़ रहस्य (विशेषतः 2004 की श्रावण प्रतिपदा पर जागृति की ऐतिहासिक घटना के संदर्भ में)  प्राकट्य की महागाथा: पुराकाल में खारून तट पर तप कर रहे एक महान अघोर ऋषि — सप्तऋषियों के परंपरा-वंशज — ने इस क्षेत्र को महाकाल की स्थली घोषित किया था। कहा जाता है कि महाकाल स्वयं उनके आह्वान पर तीव्र अग्निकुण्ड से प्रकट हुए थे। यह प्रकट्य अद्भुत था — ना शिवलिंग भूमिपृष्ठ पर था, ना कोई प्रतिमा — बल्कि अग्नि में स्वयं प्रकट हुए ज्वालामय महाकाल। तब स्वयं...