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महाकाल कृपा की तीन कथाएं

अमावस्या की पार्थिव-पूजा (पिंडदान) से श्री महाकाल अमलेश्वर की साक्षात् प्रकट्‌ता होती है एवं असीम रूप से कामनाएँ पूर्ण होती हैं। निष्काम भक्ति: वृद्धा सावित्री का प्रकट्‌ दर्शन कथासार: वृद्धा सावित्री पूरे जीवन को पति-पूजन में समर्पित होकर भी विधवा-श्राद्ध से अनियंत्रित व्यथित रहती थी। अमावस्या की रात्रि उसने पार्थिव-पिंडदान किया, अंतःकरण से “महाकालो भव” मंत्र जपा। अचानक मंदिरप्रांगण की घनघोर नीरवता टूटकर, गर्भगुहा से ओजस्वी उज्जवल ज्योति प्रकट हुई। सामने खड़ी शिवलिंग के नेत्र से अमृतसलिलों का झरना गिरा और सावित्री के चरणस्पर्श कर स्वयं बोली— “नमो महाकाले, तव...