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“श्री महाकाल धाम: जहाँ खारुन विभाजन नहीं, जीवन का प्रवाह है”

  “श्री महाकाल धाम: जहाँ खारुन विभाजन नहीं, जीवन का प्रवाह है” 📜 इतिहास में दर्ज़ एक कथा (संवत् 1124 - वर्तमान) आज से लगभग हज़ार वर्ष पूर्व, जब छत्तीसगढ़ "दक्षिण कोसल" कहलाता था और रतनपुर की गद्दी पर कलचुरी वंश के प्रतापी राजा भोजदेव का शासन था, तब उनके प्रधान पुजारी और तांत्रिक विद्वान ऋषि वेदारण्य ने एक भविष्यवाणी की थी: > "जत्र स्थिता खारुणा, तत्र स्थिरं प्राणशक्तिः। यत्र तिष्ठति महाकालः, तत्र न भूखण्डभेदः।"   (जहाँ खारुन बहती है, वहाँ प्राणशक्ति स्थिर रहती है। जहाँ महाकाल विराजते हैं, वहाँ...