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आज का राशिफल 29 सितंबर: धनु वालों के गृहस्थ जीवन में आएगा आनंद, विवाद से बचें तुला राशि के लोग

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  • दिनांक 29.09.2019 का पंचाग
  • शुभ संवत 2076 शक 1941 …
  • सूर्य दक्षिणायन का …आश्विन मास शुक्ल पक्ष…. प्रतिपदा … रात्रि को 08 बजकर 14 मिनट तक … रविवार…हस्त नक्षत्र.. रात्रिः को 07 बजकर 07 मिनट तक … आज चन्द्रमा … कन्या राशि में… आज का राहुकाल दोपहर को 04 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक होगा …

मां के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा से पायें संतान का स्थिर स्वास्थ्य

दुर्गा-दुर्गतिनाशिनी आद्याशक्ति के दुर्गा नाम का निर्वचन करते हुए प्रतिपादित किया गया है कि जो दुर्ग के समान अपने भक्तों की रक्षा करती है अथवा जो अपने भक्तों को दुर्गति से बचाती है, वह आद्याशक्ति दुर्गा कहलाती है।

“नवरात्रि के प्रथम तीन दिन के समूह को देवी दुर्गा को समर्पित किया गया हैं, जो कि शक्ति और ऊर्जा की देवी हैं और मान्यता ये है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों की आराधना से मनुष्यों को शक्ति व उर्जा की प्राप्ति होती है। संतान के जन्म के पश्चात् मां और बच्चे को स्थिर स्वास्थ्य और प्रारंभिक जीवन का संपूर्ण सुख स्थाई रूप से प्राप्त करने के लिए मां के पहले रूप मां शैलपुत्री की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए क्योंकि हमारे जीवन प्रबंधन में दृढ़ता, स्थिरता व आधार का महत्व सर्वप्रथम है, क्योंकि जीवन का प्रथम सुख निरोगी काया है और अगर बच्चे के जन्म से ही शरीर निरोगी हो तो संपूर्ण जीवन में एक सुख तो शुरूआत से ही प्राप्त हो गई। हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा है। उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और सुमंगल प्राप्त होता है।

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कलश (घटस्थापना) के लिए पूजन सामग्री

रूई, कलावा, रोली, सिंदूर, नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, सुपारी, हल्दी की गांठ, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चैकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचमेवा, पंच मिठाई, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शर्करा ), फल, बताशे, मिठाईयां, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन, जौ, तिल, प्रतिमा, आभूषण व श्रृंगार का सामान, फूल माला, आरती की थाली, पूजा में बैठने हेतु आसन,

घटस्थापना की विधि

सुबह नित्य कार्य करके पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ पूर्व दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ कर विधि अनुसार पूजा प्रारंभ करें.

दुर्गा पूजन शुरू करने से पूर्व चैकी को सजाकर, कलश इत्यादि स्थापन के साथ मंत्रजाप के साथ माता की चैकी सजायें और माता को विराजित करें।

गणपति पूजन से शुरू कर  वरूण देव के आवाहन के साथ

इसके बाद बारी-बारी से पूजन सामग्री, अक्षत धूप, दीप नैवेध और वस्त्र के साथ विधिवत पूजा करें।

अंत में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

घट स्थापन के उपरांत व्रत का संकल्प कर मंत्र ॐ शैल पुत्रैय नमः का जाप करना चाहिए. मां शैलपुत्री की आराधना से अनन्त शक्तियाँ प्राप्त होती है और इससे नवजात शिशु को स्थिर स्वास्थ्य का वर प्राप्त होता है अतः परिवार में गर्भवती स्त्री हो तो उसके शिशु के स्वास्थ्य और समृद्धि हेतु मां के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा जरूर करनी चाहिए।

राशि अनुसार संतान के जन्म एवं स्थिर स्वास्थ्य हेतु उपाय –

मेष राशि –

मेष राशि के लिए संतान का कारक पंचम भाव अर्थात सूर्य स्वामी है आज के दिन संतान के स्वास्थ्य संबंधी कष्ट को दूर करने के लिए माता को लाल चुनरिया चढ़ाई गेहूं से बने हुए मिठाइयां अर्पित करें.

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वृषभ राशि –

वृषभ राशि वाले जातकों के संतान से संबंधित ग्रह है बुध और इस समय बुध षष्ठम स्थान पर है अतः संतान से संबंधित स्थिर सुख प्राप्त करने के लिए हरी चुड़ियां और हरी चुनरी माता में अर्पित करें। मूंग का हलवा प्रसाद में वितरित करें।

मिथुन राशि –

इस राशि वालें जातको के लिए पंचम भाव का स्वामी होता है शुक्र, इस राशि के लिए माता को सुहाग की सामग्री चढ़ायें और लाल चुड़ियां अर्पित करें। कलाकंद का प्रसाद वितरित करें।

कर्क राशि –

कर्क राशि वालें जातको के लिए पंचम भाव का कारक ग्रह है मंगल और मंगल की प्रियता प्राप्त करें जिससे जन्म लिये संतान का संपूर्ण जीवन स्थिर स्वास्थ्य और चिर लक्ष्मी से परिपूर्ण रहें उसके लिए माता में चमेली का तेल, ध्वज और गुड़ की मिठाई का भोग लगायें।

सिंह राशि –

इस राशि वाले जातकों का संतान सुख का कारक ग्रह होता है गुरू और गुरू को प्रसन्न करें जिससे संतान सभी प्रकार से स्थाई स्वास्थ्य और समृद्धि को प्राप्त करें, और उपाय करें माता को पीली साड़ी, पीली चुड़िया और संपूर्ण सुहाग की सामग्री के साथ बेसन से बने लड्डू का भोग लगाकर ब्राम्हण भोज करायें।

कन्या राशि –

कन्या राशि वाले जातको के लिए संतान प्राप्ति के उपरांत स्वास्थ्य एवं सुख की स्थिर प्राप्ति के लिए शनिजी को प्रसन्न करना चाहिए जिसके लिए माता को काली दाल, काला कंबल, लोहे के बर्तन और सरसो का तेल भगवती में चढ़ायें और गजक का भोग लगायें।

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तुला राशि –

इस राशि वाले जातको के लिए संतान से संबंधित ग्रह है शनि। शनि की प्रियता के लिए माता के मंदिर में स्वास्थ्य से जुड़े पदार्थ जैसे फल, सूखे मेवे और तिल अर्पित करें।

वृश्चिक राशि –

इस राशि वाले जातको के लिए संतान कारक ग्रह है गुरू और गुरू की प्रियता के लिए रसीले फल, पीले सुनहरे वस्त्र और पाठ्य सामग्री माता को अर्पित करें।

धनु राशि –

धनु राशि वाले जातको के लिए संतान सुख का कारक है मंगल और मंगल की प्रियता के लिए सुंदरकांड की पुस्तक तथा लाल सुर्ख जोड़ा तथा लाल मसूर की दाल माता के चरणों में रखें।

मकर राशि –

मकर राशि वाले जातको के लिए संतान के जन्म और प्रारंभिक जीवन में सुख स्वास्थ्य की स्थिरता के लिए शुक्र के सामग्री जिसमें सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न तथा कुंवारी कन्या को विवाह हेतु पंच पात्र का दान करने के लिए माता के चरणों में अर्पित करें।

कुंभ राशि –

कुंभ राशि वाले जातको का संतान से संबंधित ग्रह है बुध और बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए मूँग के लड्डुओं, हरे पौधे और हरी इलायची माता के चरणों में अर्पित करें।

मीन राशि –

मीन राशि वाले लोग संतान से संबंधित समस्त स्थिर सुख प्राप्त करने के लिए चंद्रमा की सामग्री जैसे सफेद वस्त्र, चांदी, चावल, चीनी और शंख माता के चरणों में अर्पित करें।