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कर्ज से बचने के लिए वास्तु के कुछ उपाय

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कर्ज चुकाने की स्थिति व्यक्ति को अत्यंत दुविधा में डाल देती है, व्यक्ति के मन में रात-दिन सिर्फ उसे चुकाने के लिए मानसिक उद्वेग बने रहते हैं. कुछ परिस्थितियों के कारण कर्ज लेने की स्थिति बन जाती है और न चाहते हुए भी कर्ज खत्म होने का नाम नहीं लेता, इसका कारण हमारे घर का वास्तु दोष भी हो सकता है, जिसके कारण कर्ज का बोझ परेशान करता है ऐसी स्थिति में एक कर्ज उतरा नहीं, दूसरा लेने की नौबत आ जाती है तथा इस स्थिति से छुटकारा नहीं मिलता. अतः ऐसी परिस्थिति में एक बार वास्तु से जुड़े तथ्यों पर ध्यान देकर भी कर्ज से छुटकारा पा सकते हैं, इस बारे में वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण उपाय आप कर सकते हैं।

कर्ज से बचने के लिए वास्तु के कुछ उपाय-

  • कर्ज से बचने के लिए उत्तर व दक्षिण की दीवार बिलकुल सीधी बनवाएँ।
  • उत्तर की दीवार हलकी नीची होनी चाहिए, कोई भी कोना कटा हुआ न हो, न ही कम होना चाहिए क्योंकि गलत दीवार से धन का अभाव हो जाता है।
  • यदि कर्ज अधिक बना हुआ है और परेशान हैं तो ईशान कोण को 90 डिग्री से कम कर दें।
  • इसके अलावा उत्तर- पूर्व भाग में भूमिगत टैंक या टंकी बनवा दें, टंकी की लम्बाई, चौड़ाई व गहराई के अनुरूप आय बढ़ेगी, उत्तर-पूर्व का तल कम से कम 2 से 3 फीट तक गहरा करवा दें।
  • दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण दिशा में भूमिगत टैंक, कुआँ या नल होने पर घर में दरिद्रता का वास होता है।
  • दो भवनों के बीच घिरा हुआ भवन या भारी भवनों के बीच दबा हुआ भूखण्ड खरीदने से बचें क्योंकि दबा हुआ भूखंड गरीबी एवं कर्ज का सूचक है।
  • उत्तर दिशा की ओर ढलान जितनी अधिक होगी संपत्ति में उतनी ही वृद्धि होगी।
  • यदि कर्ज से अत्यधिक परेशान हैं तो ढलान ईशान दिशा की ओर करा दें, कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
  • पूर्व तथा उत्तर दिशा में भूलकर भी भारी वस्तु न रखें अन्यथा कर्ज, हानि व घाटे का सामना करना पड़ेगा।
  • भवन के मध्य भाग में अंडर ग्राउन्ड टैंक या बेसटैंक न बनवाएँ, मकान का मध्य भाग थोड़ा ऊँचा रखें, इसे नीचा रखने से बिखराव पैदा होगा।
  • यदि उत्तर दिशा में ऊँची दीवार बनी है तो उसे छोटा करके दक्षिण में ऊँची दीवार बना दें।
  • इसके अलावा दक्षिण-पश्चिम के कोने में पीतल या ताँबे का घड़ा लगा दें, उत्तर या पूर्व की दीवार पर उत्तर-पूर्व की ओर लगे दर्पण लाभदायक होते हैं, दर्पण के फ्रेम पर या दर्पण के पीछे लाल, सिंदूरी या मैरून कलर नहीं होना चाहिए, दर्पण जितना हलका तथा बड़े आकार का होगा, उतना ही लाभदायक होगा, व्यापार तेजी से चल पड़ेगा तथा कर्ज खत्म हो जाएगा।
  • दक्षिण तथा पश्चिम की दीवार के दर्पण हानिकारक होते हैं।
  • दक्षिणी-पश्चिमी, पश्चिमी-उत्तरी या मध्य भाग का चमकीला फर्श या दर्पण गहराई दर्शाता है, जो धन के विनाश का सूचक होता है, फर्श पर मोटी दरी, कालीन आदि बिछाकर कर्ज व दिवालिएपन से बचा जा सकता है, दरवाजे उत्तर-पूर्व दिशा में होने चाहिए।
  • पश्चिमी-दक्षिणी भाग में फर्श पर उल्टा दर्पण रखने से फर्श ऊँचा उठ जाता है, फलतः कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  • उत्तर या पूर्व की ओर भूलकर भी उल्टा दर्पण न लगाएँ, अन्यथा कर्ज पर कर्ज होते चले जाएँगे।
  • गलत दिशा में लगे दर्पण जबरदस्त वास्तुदोष के कारक होते हैं।
  • सीढ़ियाँ कभी भी पूर्व या उत्तर की दीवार से न बनाएँ और ध्यान रखें कि सीढ़ियों का वजन दक्षिणी दीवार पर ही आना चाहिए, ऐसा न होने पर आय के लाभ के साधन खत्म हो जाते हैं।
  • सीढ़ी हमेशा क्लाक वाइज दिशा में ही बढ़ाएँ कर्ज से बचने के लिए उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर बढ़ें।
  • सीढ़ी की पहली पेड़ी मुख्य द्वार से दिखनी नहीं चाहिए, नहीं तो लक्ष्मी घर से बाहर चली जाती है।
  • जिस घर में उसके बीच कहीं भी तीन या तीन से अधिक दरवाजे हों उसके बीच में कभी भी न बैठें नहीं तो ज्ञान में कमी आएगी एवं तिजोरी भी खाली हो जाएगी।
  • यदि मुख्य द्वार या भवन पर पेड़, टेलीफोन, बिजली का खम्भा या अन्य किसी चीज की परछाई पड़ रही हो तो उसे तुरन्त दूर कर दें या पाकुआ दर्पण लगा लें।
  • पाकुआ दर्पण का मुख घर से बाहर होना चाहिए।
  • मुख्य द्वार के पास एक और छोटा-सा द्वार लगाएँ, कर्ज से छुटकारा मिलेगा।
  • कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर एक या दो खिड़कियाँ बनवा लें, उन्हें ज्यादा खोलकर रखें।
  • उत्तर-पूर्व भाग में निचले तल पर फर्श पर दर्पण रखकर उत्तरी-पूर्वी भाग की गहराई दिखाई जा सकती है, इस प्रकार बिना तोड़फोड़ के फर्श में गहराई आ जाती है और लाभप्रद होता है।
  • ईशान कोण में पूजास्थल के नीचे पत्थर का स्लैब न लगाएँ अन्यथा कर्ज के चंगुल में फँस जाएँगे।
  • उत्तर-पूर्व के भाग में दीपक जलाना घातक सिद्ध हो सकता है, इस कोने में हवन करने से व्यापार में घाटा प्राप्त होता है तथा ऐसा करना कर्ज एवं मुसीबत को न्योता देने के समान है क्योंकि यह दिशा पानी की है।
  • पूजा घर के अग्निकोण में पूजा करें, उत्तर-पूर्व में लकड़ी का मन्दिर रखें जिसके नीचे गोल पाए हों, लकड़ी के मन्दिर को दीवार से सटाकर न रखें, जहाँ तक हो सके पत्थर की मूर्ति न रखें, वजन बढ़ेगा।
  • घर में टूटे बर्तन व टूटी हुई खाट नहीं होनी चाहिए, न ही टूटे-फूटे बर्तनों में खाना खाएँ। इससे दरिद्रता बढ़ती है।
  • घर के द्वार पर जो उत्तर दिशा की ओर हो वहाँ पर अष्टकोणीय आईना लगाएँ, घर विभिन्न प्रकार के विघ्नों से बचेगा।