बुद्ध पूर्णिमा –
वैषाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्म तथा निर्वाण दोनो तिथि का उत्सव मनाया जाता है। पूर्णिमा का व्रत गृहस्थों के लिए अति शुभ फलदायी होता है। प्रायः स्नान कर व्रत के साथ भगवान सत्यनारायण की पूजा कथा कर दिनभर उपवास करने के उपरांत चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अध्र्य देने के साथ खीर का भोग लगाकर मीठा भोजन ग्रहण करने का रिवाज है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म दिवस है जोकि 544बीसी को लुबिनी, नेपाल में हुआ था, उस दिन वैषाल शुक्लपक्ष की पूर्णिमा थी साथ ही उनको वैषाखषुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही निर्वाण की प्राप्ति हुई। इस दिन व्रत करके चंद्रोदय होने पर दीपदान करने के उपरांत भगवान बुद्ध की याद में बरगद के वृक्ष पर दीये जलाकर उत्सव मनाया जाता है। साथ ही मान्यता है कि चंद्रमा मन का कारक ग्रह है अतः पूर्णिमा व्रत के करने से मानसिक शांति के साथ पारिवारिक सामंजस्य और सौहार्द बढ़ता है।
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