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Diwali 2019 Lakshmi Puja Mantra: वास्तु अनुसार इस दिवाली में माता लक्ष्मी की कैसी मूर्ति लें

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धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की पूजा का त्योहार दिवाली आज पूरे देश में मनाई जा रही है। इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की कैसी मूर्ति की पूजा करनी चाहिए, यह जानना महत्वपूर्ण होता है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा से वैभव की प्राप्ति होती है। जीवन यदि वैभव से विहीन है, तो उसका कोई मान-सम्मान नहीं है। वैभव के लिए वास्तु का अच्छा होना आवश्यक है।

वास्तु के मतानुसार, महालक्ष्मी पूजन से घर-परिवार में वैभव की प्रतिष्ठा की जा सकती है। शास्त्रों में कार्तिक मास को जागरण, प्रात:स्नान, तुलसी सेवन, उद्यापन और दीपदान का उत्तम अवसर कहा गया है-

हरिजागरणं प्रात: स्नानं तुलसिसेवनम्।

उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।

इन उपायों से सत्यभामा ने अक्षय सुख, सौभाग्य और सम्पदा के साथ सर्वेश्वर को सुलभ किया था। यदि दिवाली में लक्ष्मी मंत्र की जाप एक माला की जाय, तो वैभव की सिद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है। अर्थ जीवन का बड़ा सच है। यह कामादि तीन अन्य पुरुषार्थों की सिद्धि में सहायक है। घर की शुद्धता के मूल में सुख, स्वास्थ्य, सौभाग्य और सम्पदा की सिद्धि ही है।

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दिवाली में पूजा के लिए कैसी हो माता लक्ष्मी की मूर्ति

दीपावली में गजाभिषिक्त लक्ष्मी की आराधना से इष्ट सिद्धि होती है। वास्तुशास्त्र के ग्रन्थों में पूजा के लिए गजाभिषिक्त लक्ष्मी की प्रतिमा बनवाकर घर या देवालय में पूजन करने का विधान किया गया है।

माता लक्ष्मी की ऐसी प्रतिमा 11 अंगुल से कम होनी चाहिए। कमल के आसन पर विराजित और दोनों ही ओर हाथियों द्वारा जलाभिषेक वाली निश्चला लक्ष्मी की पूजा करने से घर में स्थाई वैभव की प्रतिष्ठा होती है। इसके लिए आगमोक्त विधान को स्वीकार किया जाना चाहिए।

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लक्ष्मी गायत्री मंत्र का निरंतर जाप भी इष्टप्रद है। दीपावली के अवसर पर जाप करने से यह शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है।

लक्ष्मी गायत्री मंत्र:

ऊँ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।

मनुष्यालय चंद्रिका में स्पष्ट किया गया है कि घर के द्वार की चौखट पर भगवान गणेश के साथ ही पद्मालया या लक्ष्मी की प्रतिष्ठा कर पूजन करना चाहिए। इससे वास्तुदोषों, वेध का निवारण होकर यश व वैभव की वृद्धि होती है। गृहस्थ को सदा ही कमलासन पर विराजित लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

देवी भागवत में कहा गया है कि कमलासन पर विराजित लक्ष्मी की पूजा से इन्द्र ने देवाधिराज होने का गौरव प्राप्त किया था। इन्द्र ने लक्ष्मी की आराधना “ऊँ कमलवासिन्यै नम:” मंत्र से की थी। यह मंत्र आज भी अचूक है।

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दीपावली को अपने घर के ईशान कोण में कमलासन पर मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी प्रतिमा विराजित कर, श्रीयंत्र के साथ यदि उक्त मंत्र से पूजन किया जाय और निरंतर जाप किया जाए तो चंचला लक्ष्मी स्थिर होती हैं। बचत आरंभ होती है, पदोन्नति मिलती है। साधक को अपने सिर पर बिल्वपत्र रखकर श्रीसूक्त का पाठ करने से इच्छित कार्य शीघ्र सिद्ध होते हैं, लक्ष्मी की अवश्य प्राप्ति होती है।