व्रत एवं त्योहार

सूर्यदेव को समर्पित इस व्रत से मिलता है आरोग्य का आशीर्वाद

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सूर्यषष्ठी व्रत हर माह षष्ठी तिथि को रखा जाता है। भाद्रपद मास में सूर्यषष्ठी को भगवान सूर्य की पूजा भास्कर नाम से करनी चाहिए। सूर्य षष्ठी व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। इस तिथि पर विधिपूर्वक सूर्यदेव की उपासना करें। इस व्रत के प्रभाव से कई यज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

सूर्यदेव जीवन शक्ति के साथ आरोग्यकारक माने गए हैं। सूर्यदेव की उपासना से शरीर निरोगी रहता है। यह व्रत भगवान सूर्यदेव को अति प्रिय है। भाद्रपद मास में षष्ठी तिथि को विशेष रूप से इस व्रत के लिए शुभ माना जाता है। इस व्रत में मन को शांत रखें और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। सूर्यदेव की ओर मुख कर स्तुति करने से चर्मरोग नष्ट हो जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। व्रत करने के बाद शाम को नमक रहित भोजन करना चाहिए। सूर्यदेव को लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें केसर, लाल चंदन, लाल पुष्प, लाल फल, गुलाल, लाल कपड़ा, लाल रंग की मिठाई अर्पित करें। विभिन्न नामों से सूर्यदेव की उपासना करें। इस व्रत में भूमि पर ही शयन करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं। वस्त्र, धन आदि का दान करें। सूर्यदेव की उपासना सर्वदा शुभ फलदायी है। स्नान के पश्चात उगते हुए सूर्य की आराधना करें और अर्घ्य अर्पित करें। सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करें। इस व्रत को श्रद्धा तथा विश्वास से रखने पर पिता-पुत्र में सदैव प्रेम बना रहता है।