कुछ उपरत्न अपने विशेष गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हें धारण करने से नीचे लिखे लाभ उठाए जा सकते हैं-
ओपन – सफेद दिखने वाला यह उपरन्त अगर तिरछा करके देखा जाए तो इसमें अलग-अलग रंगो की चमक दिखाई देती है। किसी में एक रंग,किसी में दो रंग और किसी में तीन रंग उभरते हैं। इस रत्न को हीरे की जगह पहना जा सकता है। कुछ लोग हीरे की कीमत अत्यधित होने से हीरा नहीं खरीद सकते।वह ओपल धारण करके लाभ उठा सकते हैं। का कहना था कि यह विवाहित जीव एवं गृहस्थ जीवन के लिए शुभ नहीं है। ओपल आपके लिए कितना शुभ अथवा अशुभ यह धारण करके ही आजमाया जा सकता है।
अकीक – यह उपरत्न बहुत ही अच्छा लक्की स्टोन माना गया है। जो व्यक्ति चिन्ता एवं मुश्किलों में फंसा हुआ हो,वह सफेद अकीक धारण करके लाभ उठा सकता है। वैसे तो अकीक कई रंगों में मिलता है। मोती और हीरे की जगह सफेद अकीक पहना जा सकता है। पन्ने की जगह हरा अकीक पहना जा सकता है। इसी तरह माणिक्य की जगह पीले रंग का अकीक पहना जा सकता है। पुखराज की जगह पीले रंग का अकीक निर्धन व्यक्ति पहन सकते हैं। शनि,राहु,केतु के लिए काले रंग का अकीक पहना जा सकता है।
सगड़ सुलेमानी – वास्तव में यह पत्थर अकीक का ही एक प्रभेद है। मुस्लिम धर्माचार्य एवं फकीर लोग इसे बहुत प्रभावशाली मानते हैंं।यह अकेला ही नव-रत्नों का संयुक्त प्रभाव अपने में समेटे रहता है। इसका धरातल काला,सफेद,बादामी अथवा हल्का श्याम होता है। हरे रंग के धरातल पर बाल जैसी पतली धारियां होती है। जो प्रायः समानान्तर रहती हैं। जिस पत्थर पर अधिक रेखाएं हो वह उतना ही प्रभावशाली माना जाता है। जो व्यक्ति यह पत्थर धारणकर्ता है उसे नज़र टोना,भूत-प्रेत जैसी बाधा नहीं तंग कर सकती।
तामड़ा – यह पत्थर पारदर्शी तथा गहरे लाल रंग (तांबे) जैसा होता है। इसे सुर्य रत्न ‘माणिक्य‘ की जगह धारण किया जा सकता है। यह उपरत्न धारणकर्ता को दृढ़ता,आत्म विश्वास,सदाचार और सम्मान प्रतिष्ठा की प्रेरणा देता है।
चन्द्रकान्त मणि – यह उपरत्न पारदर्शी,किन्तु धुंधला होता है। और मुख्यतः सफेद पानी जैसे रंग पाया जाता है। यह पत्थर पीले,गुलाबी रंग में भी पाया जाता है। सफेद चन्द्रकान्त मणि ‘मोती‘ रत्न की जगह पहना जा सकता है। इसको धारण करने से मानसिक तनाव कम होता हैै,ब्लडप्रेशर ठीक होता है। हृदय रोग से पीड़ीत व्यक्ति यह उपरत्न धारण करके लाभ उठा सकते हैं।
फिरोजा़ – नीले आसमानी रंग का यह पत्थर बुध और शनि का मिला जुला प्रभाव देता है। यह रत्न सौभाग्यदायक,सुरक्षाकारी,रोग-बीमारी- दुर्घटना का निवारक और शरीर पोषक होता है। इसके पहनने से रक्त दोष,खून की कमी,नेत्र विकार आदि रोग दूर होते हैं। स्त्रियों के लिए यह उपरत्न सौभाग्यशाली है। भूत,प्रेत,नजर दैवी आपदा से बचाव करने में फिरोजा प्रसिद्ध है।
अम्बर – यह एक तैलीय पदार्थ है तथा किसी वृक्ष की गोद जैसा प्रतीत होता है। इसे पत्थर तो नहीं कहा जा सकता है। यह भी सौभग्य वर्द्ध्रक उपरत्न माना जाता है। जिसका बुखार न उतरता हो उसे एक मनका बाजू पर बांध कर लाभ उठाया जा सकता है। इसे गले में भी डाला जा सकता है।
कटैला – स्फटिक जाति का यह उपरत्न बैंगनी रंग का होता है। इसे जामुनिया भी कहते है। यह पारदर्शि पत्थर होता है। कुछ लोग उसे नीलम की जगह धारण करने की सलाह देते हैं। शराबी को अगर यह उपरत्न अंगूठी में जड़वाकर पहनाया जाए तो उसकी शराब छूट जाती है। क्रोध,ईर्ष्या,द्वेष से छुटकारा मिलता है। और आध्यात्मिक और धार्मिक विचार बनते हैं। इसको धारण करने से भटके हुए मन को शान्ति मिलती है। विवाहित जीवन को सुखमय बनाने के लिए स्त्रियां इसे ‘दिल‘ की शक्ल का कटवाकर हार में जड़वाकर गले में पहन सकती है।
सुनैला – यह पीले रंग का पारदर्शक चमकीला उपरत्न है। इसे ‘पुखराज‘ की जगह धारण किया जा सकता है। इसे धारण करने से विद्या,मान सम्मान,पति,पुत्र,भाई तथा बूढ़ों का सुख प्राप्त होता है। इससे शान्ति मिलती है। तथा धन वृद्धि भी होती है।
पितौनिया – यह हरे रंग का ठोस अपारदर्शी पत्थर है। इस पर लाल रंग की छींटे दीख पड़ती हैं। इसे पहनने से घाव,रक्त दोष और दुर्बलता समाप्त हो जाती है। साहस पौरूष और बल बढ़ता है। स्त्रियों को इसका प्रयोग वर्जित है। बवासीर रोग से पीड़ित व्यक्ति इसे धारण करके लाभ उठा सकते है।
कार्नेलियन – जिनको रात को बुखार चढ़ता हो उनको यह स्टोन लॉकेट के रूप में धारण करने से लाभ होता है। यह उपरत्न आयुवर्द्धक और सुख सौभाग्य का प्रदाता कहा जाता है।
संगयवश – इसे धारण करने से लोगों को शक्ति एवं स्फूति मिलती है। यह रत्न उपरत्न खिलाड़ियों तथा कम्पीटीशन में बैठने वालों के लिए शुभ इसे धारण करने से कोर्ट में न्याय मिलता है।
मरगज़ – यह पत्थर जेड जाति का ही एक प्रभेद है। इसको पन्ने की जगह पहना जाता है।
जबरजद्ध – यह हरे रंग का सुन्दर पारदर्शी उपरत्न है। इसे भी पन्ने की जगह पहना जाता है। इसे धारण करने से बुध का शुभ फल मिलता है।
किडनी स्टोन – यह हरे रंग अपारदर्शक पत्थर है। इसे धारण करने से गुर्दे,मुत्राशय के रोग ठीक होते हैं।पत्थरी टूट कर पेशाब के रास्ते से बाहर आ जाती है।
टाइगर आई – यह लहसुनिया जाति का पत्थर है। इसमें चीते की आँख जैसी चमक होती है जो लोग डरपोक होते है। उनमें आत्म विश्वास जगाने के लिए धारण किया जाता है।
तुरमली – यह हल्के रंग में मिलता है। इसे हीरे की जगह धारण किया जा सकता है।
चुम्बक – यह एक विचित्र पत्थर है। इसे रक्तचाप, अधरंग जोड़ दर्द,गठिया जैसे रोगों में धारण किया जा सकता है।
जानें,रोग के हिसाब से कौन से रत्न पहनना चाहिए…