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जानें,मोती रत्न के प्रकार ? जानिए चमत्कारी फायदे…

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मोती रत्न
मोती की भी प्राचीन काल में पाश्चात्य देशों में बड़ी मान्यता थी। कहा जाता है कि जब एक बार महारानी एलिजाबेथ सर टामस ग्रेशम की अतिथि थी तो उनके स्वास्थ्य की कामना करते हुये सर टामस ने शराब के साथ मोती भी भेंट किये। मोती धारण करने से अनिष्टों का नाश होता है और सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है। हिन्दुओं मे लगभग सभी जातियों में यह विश्वास है कि मोतियों की नथ स्त्रियो के पहनने से उनका सौभाग्य बना रहता है।जो व्यक्ति आठ गुणों से युक्त अर्थात सुतार, सुकृत, स्वच्छ, निर्मल, धन, स्निग्ध, सुच्छाय और अस्फुटित, मोती धारण करता है तो उस पर लक्ष्मी की असीम कृपा होती है और आयु में वृद्धि होती है। उसके समस्त पापों का नाश होता है बल प्राप्त होता है। बुद्धि में कुशाग्रता आती है और धारणकर्ता उच्च स्थान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।जिन व्यक्तियों का चन्द्रमा कमजोर होता है उनको मोतीी नग अवश्य ही धारण करना चाहिये।

गजमुक्तक
यह विश्व का सर्वश्रेष्ठ मोती माना जाता है। यह मोती हाथी के मस्तक से प्राप्त होता है। इसलिये इसका नाम गजमुक्ता रखा गया है। लेकिन यह मोती सभी हाथियों के मस्तक से नहीं प्राप्त होता है यह मात्र उन्ही हाथियों से प्राप्त होता है जिनका जन्म पुष्य या श्रवण नक्षत्र में सोमवार या रविवार के दिन सूर्य के उत्तरायण काल में होता है।गजमुक्ता हाथियों के दन्तकोपों व कुम्भ-स्थलों से भी प्राप्त होता है। ये मोती सुडौल, स्निग्ध एवं तेजयुक्त होते हैं। इसके शुभ तिथि में धारण करने से सभी प्रकार के कष्ट शान्त होकर मन को शक्ति प्रदान होती है। गजमुक्तक को न तो छेदना चाहिये और न ही इसकी कीमत ही लगानी चाहिये।

शूकर मुक्तक
यह मोती सुअर के मस्तिष्क में पाया जाता है। यह मोती पीत-वर्ण का गोल, सुन्दर व चमकदार होता है। इसके धारण करने से स्मरण शक्ति व वाक शक्ति की वृद्धि होती हैं तथा इस मोती से केवल कन्या संतान वाली स्त्री के गर्भ धारण करने पर निश्चय ही पुत्र लाभ होता है।

मीन मुक्तक
यह मोती मछली के पेट से प्राप्त होता है। यह चने के आकार का पाण्डु रंग का चमकदार आभा युक्त होता है। इसको पहनकर पानी में डूबकी लगाने से पानी के अन्दर की वस्तुएं साफ-साफ दिखाई देती हैं।

आकाश मुक्तक
यह विद्युत की भांति चमकदार एवं गोल होता है। पुष्प नक्षत्र की घनघोर वर्षा में कहीं एकाध मोती गिरता है। इसके प्राप्त करने से मनुष्य भाग्यशाली एवं तेजस्वी, यशस्वी बनता है तथा अपार गुप्त सम्पत्ति को प्राप्त करता है।

सर्पमुक्तक
यह मोती उच्च कोटि के वासुकि जाति के सर्प के मस्तक में पाया जाता है। जैसे-जैसे सर्प दीर्घायु होता जाता है, वैसे-वैसे यह मोती हरे नीले रंग का तेजमय व अत्यन्त प्रभावशाली होता जाता है। यह मोती अत्यन्त ही भाग्यशाली पुरूष को भी अति दुर्लभता से प्राप्त होता है। शुभ तिथि में इसकें धारण करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।

वशमुक्तक
यह मोती बांस में उत्पन्न होता है, जिस बांस में यह मोती होता है उस बांस में से स्वाति, पुष्य अथवा श्रवण नक्षत्र के एक दिन पहले से ही विशेष प्रकार की आवाज निकलने लगती है तथा उस नक्षत्र की समाप्ति तक वेदध्वनि की तरह आवज आती रहती है। उस बांस को बीच में से फाड़कर मोती निकाल लेते हैं। इसका रंग हल्का हरा तथा आकार में गोलाकार होता है। इस मोती के धारण करने से भाग्य का उदय तथा अपार धन सम्पति की प्राप्ति होती है तथा राज्यपक्ष व समाज में भी उच्च पद व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

शंख मुक्तक
यह समुद्र में प्राप्त होने वाले पांचजन्य नामक शंख की नाभि से प्राप्त होता है। इसका रंग हल्का नीला सुडौल और सुन्दर होता है। इस पर यज्ञोपवीत की भांति तीन रेखाएं अंकित रहती हैं। इसमें कोई चमक नहीं होती है। इसके धारण करने से स्वास्थ्य व लक्ष्मीवर्द्धक तथा सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है इसे बींधना नही चाहिय।

मेघ मुक्तक
रविवार के दिन पड़ने वाले पुुष्य या श्रवण नक्षत्र की वर्षा में एक-दो मोती कहीं गिर पड़ता है। इसका रंग मेघवर्ण के सदृश्य श्यामवर्ण का चमकदार होता है, तथा यह सभी प्रकार के अभाव को दूर करता है।

सीप मुक्तक
ये मोती सीप से प्राप्त होते हैं। इन्हे भी छेदा जाता है। स्वाति नक्षत्र में होने वाली वर्षा की बूंद यदि सीप में पड़ती है तो यह मोती बनता है। ये आकार में विभिन्न प्रकार के होते हैं। लम्बे, गोल, बेडौल, सुडौल, तीखे और चपटे। श्याम व बसरे की खाड़ी में प्राप्त मोती श्रेष्ट होता है। बसरा का मोती हल्के पीत वर्ण का मटमैला होता है। इसके धारण करने से धन प्राप्ति, स्वास्थ्यवर्द्धक तथा सुख की प्राप्ति होती है।