जानें क्या है सर्पमुक्तक ?
शंख मुक्तक
यह समुद्र में प्राप्त होने वाले पांचजन्य नामक शंख की नाभि से प्राप्त होता है। इसका रंग हल्का नीला सुडौल और सुन्दर होता है। इस पर यज्ञोपवीत की भांति तीन रेखाएं अंकित रहती हैं। इसमें कोई चमक नहीं होती है। इसके धारण करने से स्वास्थ्य व लक्ष्मीवर्द्धक तथा सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है इसे बींधना नही चाहिय।
सर्पमुक्तक
यह मोती उच्च कोटि के वासुकि जाति के सर्प के मस्तक में पाया जाता है। जैसे-जैसे सर्प दीर्घायु होता जाता है, वैसे-वैसे यह मोती हरे नीले रंग का तेजमय व अत्यन्त प्रभावशाली होता जाता है। यह मोती अत्यन्त ही भाग्यशाली पुरूष को भी अति दुर्लभता से प्राप्त होता है। शुभ तिथि में इसकें धारण करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
वशमुक्तक
यह मोती बांस में उत्पन्न होता है, जिस बांस में यह मोती होता है उस बांस में से स्वाति, पुष्य अथवा श्रवण नक्षत्र के एक दिन पहले से ही विशेष प्रकार की आवाज निकलने लगती है तथा उस नक्षत्र की समाप्ति तक वेदध्वनि की तरह आवज आती रहती है। उस बांस को बीच में से फाड़कर मोती निकाल लेते हैं। इसका रंग हल्का हरा तथा आकार में गोलाकार होता है। इस मोती के धारण करने से भाग्य का उदय तथा अपार धन सम्पति की प्राप्ति होती है तथा राज्यपक्ष व समाज में भी उच्च पद व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।