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कालसर्प योग को अशुभ बनाने वाले योग

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कालसर्प योग को अशुभ बनाने वाले योग

1. गुरू-राहु युति – ’’चाण्डाल योग’’।
2. सूर्य-राहु युति – ’’ग्रहण योग’’।
3. चन्द्र-राहु युति – ’’ग्रहण योग’’ अथवा
’’चन्द्र चाण्डाल योग’’।
4. शुक्र-राहु युति ’’अभोत्वक योग’’।
5. मंगल-राहु युति ’’अंगारक योग’’।
6. बुध-राहु युति ’’जडत्व योग’’।
7. शनि-राहु युति ’’नन्दी योग’’।

कालसर्प योग के साथ उपरोक्त कोई योग हो तो जातक को काफी संघर्ष करना पड़ता है। मेष से मीन लग्न तक के लग्नों में मिलने वाला कालसर्प योग सम्बन्धी कुछ तथ्य यहाॅ प्रस्तुत कर रहा हूॅ।

मेष-वृश्चिक लग्न:

मेष और वृश्चिक लग्न की कुण्डली में ’’कालसर्प योग’’ बनता हो, तो उस जातक को न तो नौकरी से सन्तुष्टि मिलती है और न व्यापार में सफलता मिलती है। भारी उतार चढ़ाव देखने पड़ते है। उत्तरोत्तर सघ्ंार्षो के कारण इनका आत्मविश्वास ढल जाता है। जीवनभर कमाई का ठोस मार्ग नहीं मिलता। असन्तोष और बेचैनी बढाने वाले कई कारण पैदा होते रहते है। कुल मिलाकर जीवन अशान्त एवं निराश बनता है।

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वृषभ-तुला लग्न

वृषभ और तुला लग्न की कुण्डली में ’’कालसर्प योग’’ बनता है, जो जातक अपनी आय के विषय में चिन्तित रहता है। उसे भय बना रहता है कि जो साधन उसके हाथ में है वह न जाने कब हाथ से निकल जायेगा। इसी विचार के कारण उसकी जीवन-गाडी लडखड़ाती हुई कब डूब जायेगी, यही विचार उसे भयभीत बनाता है। जातक को विश्वास नही होता कि वह अपनी मंजिल तक पहुॅच चुका है और अब उसे केवल दो-चार कदम ही आगे बढ़ना है। आत्मविश्वास कम होता है और वह अशान्त एवं बेचैन होकर घबराहट से उसी स्थान पर लौट आता है, जहांॅ से वह चला था। आत्मघात करने वाली घटनाओं का वह शिकार बनता है।

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मिथुन-कन्या लग्न:

मिथुन और कन्या लग्न की कुण्डली में ’’कालसर्पयोग’’ बनता है तो ऐसे जातक नौकरीजीवी होकर नौकरी में उॅचा ओहदा पाने के स्वप्न अवश्य देखते हैं पर उन्हे सफलता प्राप्त नही होती। व्यापार करें तो उसमें वड़ी दिक्कतों का सामना करना पडता है। केवल गुजारेभर की आय ही मुश्किल से कर पाते है।