
भागवत गीता मंदिर में किस दिशा में रखनी चाहिए?
हिंदू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता मात्र एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का वह दिव्य मार्गदर्शन है जिसके उपदेशों ने अर्जुन को धर्म, कर्तव्य, कर्म और आत्मज्ञान का प्रकाश दिया। जिस घर में गीता का वास होता है, वहाँ आध्यात्मिक ऊर्जा, सकारात्मक कंपन और लक्ष्मी-कृपा का विशेष प्रभाव माना जाता है। परंतु बहुत से लोग यह नहीं जानते कि भागवत गीता को घर या मंदिर में किस दिशा में रखना शुभ माना गया है, इसके क्या नियम हैं और किन गलतियों से बचना चाहिए।ज्योतिष और वास्तु दोनों के अनुसार, किसी भी धार्मिक ग्रंथ की दिशा, स्थान और संरक्षण का सीधा प्रभाव उस घर की ऊर्जा पर पड़ता है।
1. भागवत गीता क्यों है घर के लिए शुभ?
भागवत गीता को घर में रखना क्यों आवश्यक माना गया है, इसके कई आध्यात्मिक कारण हैं:
1 गीता घर में आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाती है
गीता में श्रीकृष्ण के उपदेश हैं, जो घर के वातावरण को पवित्र व ऊर्जावान बनाते हैं।
2 नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा
ज्योतिष के अनुसार, गीता घर में वैराग्य, धर्म और सत्य की भावना को मजबूत करती है, जो नकारात्मक विचारों और दोषों को कमजोर करती है।
3 मानसिक शांति और बुद्धि का विकास
जहाँ गीता रखी जाती है, वहाँ तनाव, भय, चिंता और अस्थिरता कम होती है।
4 ग्रहदोषों का शमन
विशेषकर ग्रहों में
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राहु प्रभाव
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केतु दोष
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शनि का मानसिक दबाव
इनसे मुक्ति पाने में गीता का पाठ व उसकी उपस्थिति सहायक मानी गई है।
2. मंदिर में भागवत गीता किस दिशा में रखनी चाहिए?
ज्योतिष के अनुसार गीता रखने की सर्वश्रेष्ठ दिशा—पूर्व (East) और उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) मानी गई है।
1 पूर्व दिशा (East) – सबसे शुभ दिशा
पूर्व सूर्य देव की दिशा है और ज्ञान का प्रतीक है।
गीता ज्ञान का सबसे बड़ा स्रोत है। इसलिए गीता को पूर्व दिशा में रखना अत्यंत शुभ माना गया है।
इसके लाभ
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बुद्धि तीक्ष्ण होती है
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घर में शांति और सद्भाव बढ़ता है
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नकारात्मक विचार दूर रहते हैं
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पढ़ाई से जुड़ी समस्याएँ कम होती हैं
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बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है
2 उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) – देवताओं की दिशा
यह दिशा भगवान शिव और विष्णु की मानी जाती है, इसलिए धार्मिक वस्तुओं और ग्रंथों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है।
इसके लाभ
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घर में दिव्य ऊर्जा बढ़ती है
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लक्ष्मी-कृपा आती है
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स्वास्थ्य लाभ मिलता है
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घर में आध्यात्मिक शांति बनी रहती है
3. गीता को मंदिर में कैसे रखें? — ज्योतिषीय नियम
1 गीता हमेशा ऊँचे स्थान पर रखें
फर्श या नीचे रखने से यह अपमान माना जाता है।
मंदिर में छोटी सी लकड़ी की चौकी या शेल्फ उपयोग करें।
2 गीता को लाल या पीले कपड़े में रखें
लाल रंग शक्ति का प्रतीक है
पीला रंग ज्ञान का प्रतीक है
दोनों ही गीता के लिए शुभ हैं।
3 गीता की दिशा – मुख किस ओर हो?
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यदि गीता पूर्व में रखी है → उसका मुख उत्तर की ओर हो।
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यदि गीता उत्तर-पूर्व में रखी है → मुख पूर्व की ओर हो।
इससे घर में ज्ञान और शांति का प्रवाह बढ़ता है।
4. मंदिर में गीता रखने से पहले कौन-सी सावधानियाँ रखें?
1 गीता को अकेले सम्मानित स्थान दें
उसे कपड़ों, मोबाइल, पैसे, चाबियों, बिलों या किसी भी सामान्य वस्तु के साथ न रखें।
2 गीता को उल्टा या खुला न छोड़ें
यह अशुभ माना जाता है।
हमेशा पढ़ने के बाद बंद कर दें।
3 गंदे हाथ या गीले हाथ से न छुएँ
पहले हाथ धोकर साफ मन से गीता को छुएँ।
4 टूटे, फटे या धूल भरे पन्नों वाली गीता न रखें
यदि गीता खराब हो गई हो, उसे नदी में प्रवाहित करें या किसी मंदिर में दान करें।

5. गीता रखने के बाद घर में क्या सकारात्मक परिवर्तन आते हैं?
1 तनाव और परिवारिक कलह कम होते हैं
घर में आध्यात्मिक और सकारात्मक कंपन बढ़ते हैं।
2 धन और समृद्धि के मार्ग खुलते हैं
क्योंकि लक्ष्मी शास्त्रों का सम्मान पसंद करती हैं।
3 ग्रहदोष शांत होने लगते हैं
विशेषकर राहु, केतु और शनि से राहत मिलती है।
4 बच्चों की पढ़ाई में सुधार होता है
गीता ज्ञान और बुद्धि का स्रोत है।
5 स्वास्थ्य संबंधी लाभ
मानसिक तनाव कम होने से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
6. किन दिशाओं में गीता बिल्कुल नहीं रखनी चाहिए?
❌ 1. दक्षिण दिशा (Yama दिशा)
यह पितृ, संघर्ष और तामसिक ऊर्जा की दिशा मानी जाती है।
धार्मिक ग्रंथों के लिए अशुभ।
❌ 2. पश्चिम दिशा
यह दिशा स्थिरता देती है, पर धार्मिक पुस्तकें रखने के लिए उत्तम नहीं।
❌ 3. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण)
यहाँ नकारात्मक ऊर्जा सबसे अधिक रहती है।
धन हानि, कलह और मानसिक भ्रम बढ़ सकता है।
❌ 4. रसोई, बाथरूम, बेडरूम
इन स्थानों में गीता रखना अपमान माना जाता है।
7. गीता रखने का शुभ समय और दिन
✔ गुरुवार (बृहस्पतिवार)
सबसे शुभ दिन।
क्योंकि बृहस्पति ज्ञान, गुरु और धर्म के प्रतीक हैं।
✔ एकादशी
विष्णु जी का दिन, अत्यंत पवित्र।
✔ पूर्णिमा
आध्यात्मिक ऊर्जा का चरम।
यदि गीता नई हो तो इन दिनों में मंदिर में स्थापित करना शुभ माना गया है।
8. घर में गीता के साथ क्या करें?
1 प्रतिदिन एक श्लोक पढ़ें
पूरा अध्याय पढ़ना जरूरी नहीं।
1 श्लोक भी पूरे घर की ऊर्जा बदल देता है।
2 विष्णु सहस्रनाम या कृष्ण मंत्र के साथ रखें
हरी नाम जहाँ रहता है, वहाँ शांति रहती है।
3 सप्ताह में एक बार धूप-बत्ती जलाएँ
ग्रंथ को शुद्धता और सम्मान मिलता है।
9. गीता रखने के आध्यात्मिक नियम
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गीता को हमेशा सम्मान से उठाएँ।
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उसे पैर के पास या बिस्तर पर न रखें।
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गुस्सा, लड़ाई या क्लेश के समय गीता के पास न जाएँ।
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गीता के ऊपर अन्य ग्रंथ न रखें—यह सर्वोच्च है।
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पढ़ते समय मन शांत रखें—क्योंकि गीता “बुद्धि-योग” का मार्ग है।
10. क्या डिजिटल गीता भी रखी जा सकती है?
हाँ, परंतु पूजा स्थान में नहीं।
डिजिटल गीता मोबाइल/लैपटॉप में पढ़ी जा सकती है।
परंतु मंदिर में केवल भौतिक पुस्तक ही रखें।
निष्कर्ष —
सही दिशा में गीता रखने से जीवन बदलता है
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पूर्व दिशा सबसे श्रेष्ठ दिशा है।
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उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) धार्मिक एवं आध्यात्मिकता की दिशा है।
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लाल/पीले कपड़े में रखें।
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ऊँचे सम्मानित स्थान पर रखें।
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प्रतिदिन एक श्लोक पढ़ें।
जहाँ श्रीमद्भागवत गीता का वास होता है, वहाँ ज्ञान, समृद्धि, वैराग्य और सकारात्मक ऊर्जा की धारा कभी खत्म नहीं होती।
ज्योतिष भी मानता है कि गीता की उपस्थिती घर को दिव्य, पवित्र और सुखी बना देती है।





