औद्योगिक संगठनों में कर्मचारी चयन अथवा व्यावसायिक चयन मौलिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि औद्योगिक मनोविज्ञान के उद्देश्य की प्राप्ति एक बडी सीमा तक सही कर्मचारी चयन पर निर्भर करती हे। इसी बात को ध्यान में रखकर वाड़टलै ने कहा है कि, कर्मचारी को उपर्युक्त कार्य पर लगाना उद्योग में वैयक्तिक कुशलता एव समायोजन को बढाने से प्रथम तथा संभवत: सर्वाधिक महत्वपूर्ण चरण है | कर्मचारी चयन अथवा व्यावसायिक वयन का महत्त्व उपयुक्त उक्ति से स्पष्ट हो जाता है
वैयक्तिक कुशलता के लिए -कर्मचारी चयन वस्तुत्त: किसी कर्मचारी की व्यक्तिगत कुशलता के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। सही कर्मचारी चयन के होने पर व्यक्ति की अपनी योंग्यताएँ समुचित रूप से विकसित होती है जिससे उसकी कार्यकुशलता में भी वृद्धि होती है। इसके विपरीत व्यवसाय से व्यक्ति के गलत नियोजन की स्थिति में उसकी योग्यताएँ समुचित रूप से विकसित नहीं हो पाती न ही उसकी कार्यकुशलता समुचित बन जाती है। अत: वैयक्तिक कुशलता को समुचित बनाने के लिए यह आवश्यक है कि कर्मचारी का नियोजन सही हो।
वैयक्तिक समायोजन के लिए-कर्मचारी चयन का सही होना न केवल व्यक्ति की कार्य कुशलता के दृष्टिकोणा से महत्त्वपूर्ण है बल्कि उसके वैयक्तिक समायोजन के दृष्टिकोण से भी है। जब सही कार्यं के लिए किसी सही व्यक्ति का चयन किया जाता है तो वह अपने उद्योग में समायोजित होता है। यह बात उल्लेखनीय है कि उद्योग एक सामाजिक संगठन है जिसमेँ अन्य सामाजिक-मकानो की तरह सामाजिक पारस्परिक क्रिया होती है। जो कर्मचारी किसी कार्य में सही रूप से नियोजित होते है वे उद्योग में पारस्परिक संबंधो को समुचित रूप से निभाने में सफल होते है। किन्तु गलत कार्य में नियोजित होने पर कर्मचारी में अन्तवैक्तिक संबंध दोषपूर्ण हो जाता है| जिसके कारण वह नाना प्रकार के कुशोमायोजन के लक्षणों से पीडित हो जाता है। इस दृष्टिकोण से भी यह आवश्यक है कि व्यावसायिक चयन को यथासम्भव सफल बनाने का प्रयास किया जाए।
उत्पादन के लिए- कर्मचारी चयन तथा उत्पादन के बीच घनिष्ट संबंध होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जब कर्मचारियों का कार्यनियोजन सही तौर पर होता है तब उत्पादन संतोषप्रद होता है क्योंकि कर्मचारी में कार्यं के प्रति संतुष्टि तथा अनुकूल मनोवृति होती है जिससे कार्य करने में रुचि मिलती है और आनंद का अनुभव होता है। दूसरी ओर गलत कार्य नियोजन की स्थिति में कर्मचारी अपने कार्य से असंतुष्ट होता है, कार्यं में रुचि नहीं मिलती, अत: कार्यं के प्रति उदासीनता बद जाती है और कार्यं कुशलता घट जाती है। अत संतोषजनक उत्पादन के लिए यह अनावश्यक है कि कार्य में व्यक्ति का सही नियोजन हो।
बेहतर आय के लिए- कर्मचारी की आय के दृष्टिकोण से भी व्यवसायिक चयन की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। सही कार्य के लिए सही व्यक्ति के चयन होने पर उसे अपने कार्यं से संतुष्टि का अनुभव होता है इसलिए वह अधिक मेहनत के साथ काम करता है जिससे उत्पादकता बढ़ जाती है और उसके बदले उसे प्रबंधन की ओर से अतिरिक्त पारिश्रमिक दिया जाता है। ऐसे कर्मचारियों को प्रबंधन की ओर से अधिक समय की भी व्यवस्था होती है, उजरती-विधि की स्थिति में बढ़ते हुए उत्पादन के साथ उसकी आय बढती है। लेकिन गलत कार्य नियोजन की स्थिति मेँ जाय घट जाती है क्योंकि अपने कार्य से असंतुष्ट कर्मचारी नीरसता का अनुभव करता है और उत्पादन घट जाता है जिसके करण उसे उजरती विधि में भी कम आय होती है और अधिसमय की संभावना भी नगण्य बन जाती है। अत: आय के दृष्टिकोण से भी कर्मचारी चयन का सही होना अनावश्यक है। नियोजित नहीँ हो पाता तो वह अपने कार्य से असंतुष्ट रहा करता है, कार्यं के प्रति उदासीन बन जाता है, नीरसता एवं प्रतिक्रियात्मक अवरोध की मात्रा बढ़ जाती है तथा ध्यान भंग अधिक होता है जिससे दुर्घटना करने की प्रवृति बढ़ जाती है। दुर्घटना से कर्मचारी तथा उद्योग दोनों को हानि होती है। अत दुर्घटना प्रवृत्ति को घटाने के लिए भी यह आवश्यक है कि कार्यं में कर्मचारी का नियोजन सही हो।
प्रोन्नति के लिए -कर्मचारी चयन का महत्त्व कर्मचारी की प्रोन्नति केक दृष्टिकोण से भी कम नहीं है। जब सही कार्य के लिए सही व्यक्ति का चयन किया जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे कार्य संतुष्टि प्राप्त होती है जिससे उसकी वैयक्तिक कुशलता बढ़ जाती है और उत्पादकता काफी संतोषप्रद होती है। वह अपने कार्य से पूरी तरह समायोजित होता है। ऐसे कर्मचारियों के प्रति प्रबंधन की मनोवृति अनुकूल होती है और पुरस्कार के रूप में उनकी पदोन्नति दी जाती है। इसके साथ- साथ प्रबंधन की ओर से ऐसे कर्मचारियों को प्रशंसा के रूप में पुरस्कार मिलता है तथा उसकी तृप्ति में उनका सम्मान बढ़ जाता है। दूसरी ओर जो कर्मचारी अपने कार्य से सही तौर पर नियोजित नहीँ हो पाते वे कार्य असंतुष्टि का अनुभव करते है जिससे उत्पादन घट जाता है। फलत: प्रबंधन की दृष्टि में उनका सम्मान घट जाता है, निदा के रूप में दण्ड मिलता है तथा प्रोन्नति की संभावना क्षीण हो जाती है। इससे भी यह प्रमाणित होता है कि कर्मचारी चयन का सही होना बहुत आवश्यक है।
बेहतर पारिवारिक समायोजन के लिए- आज से बहुत पहले इस वास्तविकता की ओर संकेत किया था कि कर्मचारी अपने उद्योग के भीतर जो अनुभव करता है उसे वह परिवार तक ढोकर ले जाता हैं। उनका यह विचार आज भी संगत प्रतीत होता गलत कर्मचारी चयन की स्थिति में जब कर्मचारी अपने कार्य, अपने अपने अधिकारियो के साथ समायोजित नही हो पाता और कुसमायोज़न के लक्षणों का शिकार बन जाता है, वह अपने परिवार के अदर पति-पत्नी या बच्चों के साथ भी समायोजित नहीं हो पाता। इस प्रकार उसका परिवार ही नष्ट हो जाता है। दूसरी ओर जो कर्मचारी अपने कार्य में समायोजित होते है वह न केवल अपने सहकर्मियों अधिकारियों के साथ बेहतर समायोजन स्थापित कर पाते है बल्कि उनका जीवन भी सफल तथा सुखद होता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए-मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी व्यावसायिक चयन काफी महत्त्वपूर्ण है। सही व्यावसायिक चयन स्थिति में कर्मचारी मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है क्योंकि वह अपने कार्यं से संतुष्ट रहता है, कार्यं में रुचि रखता है तथा कार्यं करते समय आनंद का अनुभव करता है | उसका संबंध सहकर्मियों तथा मैनेजरों के साथ संतोषजनक रहता है। उसके संबंध परिवार तथा समाज के विभिन्न वर्गों के साथ भी संतोषजनक रहता है। इस तरह वह उधोग के भीतर या बाहर मानसिक द्वंदों चिन्ताओं, कुषठाओं आदि से मुक्त रहता है| मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। ऐसे स्वस्थ कर्मचारियों से ही स्वस्थ वातावरण का निर्माण होता है। इसके विपरीत गलत कर्मचारी चयन की ‘ कर्मचारीगण मानसिक रूप से अस्वस्थ होते है जिसके कारणा संगठनात्मक प्रदूषित हो जाता है। यह बात उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में भी मनोवैज्ञानिकों अथवा संगठनात्मक मनोवैज्ञानिकों का सबसे कर्त्तव्य किसी संगठन के वातावरण को स्वस्थ बनता है जिसके बिना उद्योग के लक्ष्यों को प्राप्त करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है।
Pt.P.S.Tripathi
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