औद्योगिक समस्याओं में मनोबल की समस्या कर्मचारी तथा उद्योगपति दोनों के
दृष्टिकोण अत्यन्त जटिल तथा महत्त्वपूर्ण है। उच्च अथवा उन्मत औद्योगिक मनोबल से जहाँ कर्मचारी तथा उद्योगपति को लाभ पहुंचता है वहीँ निम्न औद्योगिक मनोबल से उन्हें निश्चित हानि पहुँचती है। इसीलिए प्रबंधन की ओंर से हमेशा इस बात का प्रयास किया जाता है कि कर्मचारी-मनोबल उन्नत बना रहे।
साधारण अर्थ में मनोबल का तात्पर्य किसी समूह के सदस्यों के बीच एकता, भाईचारा एवं आत्मीयता के भाव से है । इस दृष्टिकोण से औद्योगिक मनोबल का तात्पर्य किसी उद्योग के कर्मचारियों के बीच एकता, सौजन्य तथा भाईचारे से है किन्तु इस कथन से औद्योगिक मनोबल का स्वरूप समुचित रूप से स्पष्ट नाते हो पाता। इस संबंध में ब्लम तथा नेलर के द्वारा दी गयी परिभाषा समग्र तथा संतोषजनक मानी जाती है। उनेके अनुसार, – सामूहिक उद्देश्य तथा उस उद्देश्य की वांछनीयता में विश्वास रखते हुए उसकी पूर्ति का प्रयास कर स्वयं को समूह के द्वारा स्वीकृत कर लिए जाने तथा उस समूह का सदस्य होने की भावना को औद्योगिक मनोबल कहा जाता हैं?”
इस परिभाषा के विश्लेषण से औद्योगिक मनोबल के संबंध में निम्नलिखित बाते स्पष्ट होती है –
(1) औद्योगिक मनोबल का तात्पर्य किसी उद्योग के कर्मचारी या कर्मचारियों के एक निहित भाव से है। स्पष्टत: मनोबल का संबंध मुख्य रूप से कर्मचारी की भावात्मक प्रक्रिया से है।
(11) औद्योगिक मनोबल से इस बात का बोध होता है कि कर्मचारी का अपने कार्यसमूह द्वारा स्वीकृति के प्रति कैसा भाव है | यदि कर्मचारी को इस बात का बोध होता है कि उसके समूह द्वारा उसे स्वीकृति प्राप्त है तो समझा जाता है कि उसका मनोबल ऊँचा है । यदि उसे इस बात का बोध होता है कि उसके समूह द्वारा उसकी स्वीकृति संदिग्ध है तो समझा जाता है कि मनोबल नीचा है।
3) औद्योगिक मनोबल का संबंध समूह के प्रति निष्ठा के भाव से है। इससे इस बात का संकेत मिलता है कि किसी कर्मचारी में अपने समूह में होने का भाव है या नहीँ, और यदि है तो उसमें निष्ठा की मात्रा किस सीमा तक है।
4) औद्योगिक मनोबल का एक लक्ष्य सामूहिक लक्ष्य तथा लक्ष्यों के प्रति कर्मचारी की मनोवृति है। इससे इस बात का संकेत मिलता है कि कर्मचारी अपने सामूहिक लक्ष्य या लक्ष्यों के प्रति केसी मनोवृति रखता है। मनोवृति की दिशा तथा मात्रा से उच्च अथवा निम्न मनोबल का संकेत मिलता है।
5) मनोवृति का संबंध सामूहिक लक्ष्य तथा लक्ष्यों की वांछनीयता से भी है। इससे इस बात का संकेत मिलता है कि कर्मचारी अपने समूह के लक्ष्य या लक्ष्यों को कहॉ तक वांछनीय मानते है और उनमें उनका विश्वास किस सीमा तक है। इस विश्वास की सबलता या दुर्बलता से उच्च या निम्न मनोबल का पता चलता है।
औद्योगिक मनोबल के मापदण्ड का तात्पर्य उन भावों से है जिनके आधार पर इस बात की जानकारी मिलती है कि किसी उद्योग या संगठन के कर्मचारियों का मनोबल ऊँचा है या निम्न है। ऐसे मापों को या मापदण्डों को निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है :-
(क) वस्तुनिष्ठ माप तथा
(ख) आत्मनिष्ठ माप
(क) वस्तुनिष्ठ माप
वस्तुनिष्ठ माप का तात्पर्य उन मापों या मापदपडों से है जिनका निरीक्षण बाह्य रूप से किया जा सकता है। यहाँ कर्मचारियों के व्यवहारों तथा कार्य निष्पादन के निरीक्षण से
इस बात का प्रमाण मिलता है कि उनका मनोबल ऊंचा है या निम्न है। ऐसे मापदण्डों के निम्नलिखित प्रकार है-
1.हड़ताल-कर्मचारियों के द्वारा की जाने वाली हड़तालों से उनके मनोबल के संबंध में निश्चित जानकारी मिलती है। सामान्यत: हड़ताल से निम्न मनोबल का संकेत मिलता है जिस उद्योग में कर्मचारी प्राय: हड़ताल पर रहते हो वहां कर्मचारियों का मनोबल निश्चित रूप से निम्न होता है। इसके विपरीत जिन उद्योगो के कर्मचारी हड़ताल नहीं करते वे स्पष्ट रूप से अपने उच्च मनोबल का परिचय देते है। गीज तथा रटर ने भी कुछ इसी प्रकार के विचार व्यक्त किए हैँ।
2. कार्य से अनुपस्थिति-औद्योगिक मनोबल का एक मापदण्ड कार्य से कर्मचारियों की अनुपस्थिति है। यदि कर्मचारी अपने कार्य से प्राय: अनुपस्थित रहते हो तो इसका स्पष्ट अर्थ यह होगा कि उनका मनोबल निम्न है। दूसरी ओर यदि कर्मचारियों मेँ अनुपस्थिति की बारंबारता नगण्य हो तो समझा जाएगा कि उनका मनोबल ऊँचा है। स्पष्टत: मनोबल तथा अनुपस्थिति के बीच नकारात्मक सहसंबंघ पाया जाता है।
3. श्रमिक परिवर्तन -मनोबल की पहचान किसी उद्योग में श्रमिक परिवर्तन से भी होती है। किसी उद्योग के कर्मचारियों में श्रमिक परिवर्तन अधिक होने से निम्न मनोबल का संकेत मिलता है। दूसरी ओर श्रमिक परिवर्तन में कमी से कर्मचारियों के उच्च मनोबल का संकेत मिलता है। अत: श्रमिक परिवर्तन तथा औद्योगिक मनोबल के बीच भी नकारात्मक सहसंबंध पाया जाता है।
4. उत्पादन-उत्पादन के संतोषजनक अथवा असंतोषजनक होने के अनेक कारण हो सकते है । इनमें औद्योगिक मनोबल एक महत्त्वपूर्ण कारण है। उत्पादन जहाँ उच्च मनोबल से बढ़ता है वही निम्न मनोबल से घटता है। हॉथर्न अध्ययन से भी इस विचार का समर्थन होता है। अत: यदि किसी उद्योग का उत्पादन संतोषजनक हो तो समझा जाएगा कि कर्मचारियों का मनोबल ऊँचा है । इसके विपरीत यदि उत्पादन संतोषजनक नहीँ हो तो समझा जाएगा कि कर्मचारियों का मनोबल गिर गया है।
5. शिकायते -कर्मचारियों के द्वारा अधिकारियों के समक्ष की जाने वाली शिकायतों से भी उच्च तथा निम्न मनोबल का संकेत मिलता है। यदि किसी उद्योग के अधिकांश कर्मचारी अधिकरियों के समक्ष बार-बार विभिन्न प्रकार की शिकायतों को लेकर आते हो तो इसका अर्थ यह होगा कि उनका मनोबल गिर चुका है। दूसरी ओर यदि कर्मचारी शिकायत करने की आवश्यकता महसूस नहीं करते हो तो समझा जाएगा कि उनका मनोबल ऊँचा है ।
स्पष्ट है कि कईं बाहा मापों अथवा वस्तुनिष्ठ के उपर पर निम्न अथवा उच्च मनोबल की पहचान होने का दावा किया जाता है। किन्तु यह दावा अधिकांश परिस्थितियों में संदिग्ध ही रहता हे। ब्लम तथा नेलर ने इस संदर्भ में कहा है कि बाह्य मापों के आधार पर मनोबल की सही स्थिति का पता लगाना बहुत कठिन है क्योंकि निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि कोई बाह्य माप सही अर्थों में उच्च या निम्न मनोबल को ही इंगित काता है । जैसे, हड़ताल की स्थिति में कर्मचारियों का मनोबल निम्न ही हो
यह आवश्यक नहीं। कभी-कभी मनोबल उच्च होते हुए भी व्यावसायिक शर्तों के अन्तर्गत हड़ताल की जाती है। इसी तरह निम्न मनोबल वाले कर्मचारी हड़ताल पर जाएँ ही यह भी आवश्यक नहीं क्योंकि कभी-कभी वे अधिकारियों के भय और अपनी बाध्यता के कारण निम्न मनोबल के होते हुए भी हड़ताल पर नहीँ जाते। यहीं कठिनाई दूसरे बाह्य मापदण्डों के साथ भी हो सकती है। अत: मनोबल की सही स्थिति की जानकारी के लिए आत्मनिष्ठ मापदण्डों का उपयोग भी आवश्यक है।
(ख) आत्मनिष्ठ मापदण्ड
आत्मनिष्ठ मापदण्ड का तात्पर्य कर्मचारियों के दिए गए विभिन्न प्रतिवेदनों से है। इन मापों या मापदण्डों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है
1. एकता का भाव -जब एक कार्य समूह के सदस्यों में एकता का भाव होता है तो समझा जाता है कि औधोगिक मनोबल ऊँचा है। इसके विपरीत जिस हद तक एकता के भाव में कमी होती है उसी हद तक कर्मचारियों में मनोबल की कमी की धारणा बनती है |
2. सामूहिक लक्ष्य कै प्रति मनोवृति -यदि कर्मचारियों की मनोवृति अपने समूह लक्ष्य के प्रति अनुकूल होती है तो समझा जाता है की उनका मनोबल ऊँचा है। इसके विपरीत जब कर्मचारी में अपने समूह लक्ष्य के प्रति धनात्मक मनोवृति का अभाव होता है तो उसके निम्न मनोबल का संकेत मिलता है। अत: जहाँ धनात्मक मनोवृति उच्च मनोबल की सूचक है वहीँ ऋणात्मक मनोवृति निम्न मनोबल को इंगित करतीं है।
3. अहम् सन्निहितता का भाव- जब किसी कार्य समूह के कर्मचारियों में अपने समूह-लक्ष्य में अपने अहन्के सग्निहित होने का भाव हो तो यह समझा जाएगा कि उनका मनोबल ऊँचा है । समूह लक्ष्य में अहम् के सन्नि हित होने का अर्ध है उस लक्ष्य के प्राप्ति से संतुष्टि महसूस करना और उसकी प्राप्ति को दिशा में असफलता से असंतुष्टि का हैंत्मा। इसके विपरीत, अपने समूह-लक्ष्य में अहमू के सन्निहित नहीँ होने की स्थिति में निम्न मनोबल का संकेत मिलता है।
4. ‘हम’ का भाव -उच्च मनोबल की पहचान ‘हम’ का भाव है जबकि निम्न मनोबल की पहचान ‘मैं’ का भाव है। यदि किसी कार्य-समूह के सदस्यों में ‘हम’ का भाव है अर्थात् उनमें आपस में अटूट सम्बन्ध है तो यह समझना चाहिए किं उनका मनोबल ऊँचा है। और यदि कर्मचारियों में ‘मैं’ भाव की प्रधानता हो अर्थात् उनमें वैक्तिकता की भावना अधिक हो तो यह समझा जाएगा कि वे निम्न मनोबल के शिकार हो चुके है।
5. नेतृत्व के प्रति निष्ठा -किंसी उद्योग में नैतृत्व के प्रति यदि कर्मचारियों में पर्याप्त निष्ठा उपलब्ध हो तो समझा जाएगा कि उनका मनोबल ऊँचा है। इसके विपरीत नैतृत्व के प्रति निष्ठा का अभाव कर्मचारियों के निम्म मनोबल का परिचायक होता है। यह बात प्रजातांत्रिक तथा सत्तावादी दोनों प्रकार के नेतृत्व पर लागू होती है।
इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि उच्च तथा निम्न मनोबल की पहचान कई आत्मनिष्ठ मापदण्डो’ अथवा अतिरिक्त मापों से संभव होती हैं | यदि कर्मचारी अपने आत्मनिरीक्षण प्रतिवेदन, देने में तटस्थता तथा ईमानदारी बरते तो ये सभी आन्तरिक माप अत्यन्त विश्वसनीय प्रमाणित होगे और उनके आधार पर मनोबल की सही स्थिति को यथार्थ रूप से समझना संभव हो जाएगा। किन्तु यदि कर्मचारी कई कारणों से सही बात को छिपा कर गलत प्रतिवेदन प्रस्तुत करे तब उस स्थिति में मनोबल की सही जानकारी नहीं मिल पाएगी। अत: औद्योगिक मनोबल उच्च है अथवा निम्न है इसकी सही जानकारी के लिए बाह्य मापी के साथ आन्तरिक पापों का उपभोग सहायक म/घो’ के रूप में’ किया जाना अधिक वांछनीय प्रतीत होता है |
Pt.P.S.Tripathi
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