ग्रह विशेष

मेष लग्न की विशेषता, शुभ-अशुभ ग्रह

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आप साहसी व पराक्रमी होते हैं. आपके भीतर नेतृत्व का गुण होता है और आप अपनी टीम को बहुत अच्छे से चलाने की क्षमता भी रखते हैं.

मेष लग्न चर लग्न है और अग्नितत्व भी है इसलिए आप सदा जल्दबाजी में रहते हैं और निर्णय लेने में एक पल नहीं लगाते हैं जबकि आपको एक बार दूरगामी परिणामो पर ही एक नजर डालनी चाहिए.

मेष लग्न होने से आप आदेश सुनना कतई पसंद नहीं करते हैं और अपनी मनमानी ही चलाते हैं लेकिन आप बात सभी की सुनेगे लेकिन करेगें वही जो आपके मन में होता है. आपको किसी के दबाव में रहना नही भाता है और स्वतंत्र रुप से रहना पसंद करते हैं. अपनी स्वतंत्रता के साथ किसी तरह का कोई समझौता आप नहीं करते हैं.

आपको अति शीघ्र ही क्रोध भी आता है और आप एकदम से आक्रामक हो जाते हैं. यहाँ तक की मरने – मारने तक पर आप उतारू हो जाते हैं लेकिन आपके भीतर दया की भावना भी मौजूद रहती है.

आप दृढ़ निश्चयी होते हैं, आप व्यवहार कुशल भी होते हैं. आप जो भी बात कहते हैं उसे बिना किसी लाग लपेट के स्पष्ट शब्दों में कह डालते हैं. चाहे किसी को अच्छा लगे या बुरा लगे. इससे कई बार आपको लोग अव्यवहारिक भी समझते हैं.

आप बहुत जिद्दी होते हैं और आवेगी भी होते हैं और आवेश में कई बार मुसीबत भी मोल ले लेते हैं. आपको अपनी इस कमी को नियंत्रित करना चाहिए.

मेष लग्न के लिए शुभ ग्रह 

अब हम मेष लग्न के लिए शुभ ग्रहो की बात करेगें कि कौन से ग्रह इस लग्न के अच्छे फल दे सकते हैं. मेष लग्न के लिए मंगल लग्नेश होने से शुभ ही माना जाएगा. हालांकि मेष लग्न में मंगल की दूसरी राशि वृश्चिक अष्टम भाव में होती है जो कि एक अशुभ भाव है और बाधाओं का भाव माना गया है.

मेष राशि मंगल की मूल त्रिकोण राशि भी है और केन्द्र में है इसलिए बेशक मंगल की दूसरी राशि अष्टम भाव में स्थित हो पर मंगल आपके लिए शुभ ही माना जाएगा. आपका लग्न मेष होने से आपके लिए सूर्य भी शुभ होगा क्योकि सिंह राशि पंचम भाव में स्थित होती है और यह एक शुभ त्रिकोण माना गया है.

आपके लिए बृहस्पति को भी शुभ माना जाएगा क्योकि इसकी मूल त्रिकोण राशि धनु नवम भाव में स्थित होती है और नवम भाव आपका भाग्य भाव होता है और सबसे बली त्रिकोण भी है. चंद्रमा मेष लग्न के लिए सम होगा क्योकि इसकी राशि चतुर्थ भाव, केन्द्र में पड़ती है और केन्द्र तटस्थ माने जाते हैं.

मेष लग्न के लिए अशुभ ग्रह 

मेष लग्न के कौन से ग्रह अशुभ हो सकते हैं आइए उनके बारे में जाने. आपके लिए शुक्र अशुभ माना जाएगा. शुक्र आपकी कुंडली में दूसरे व सप्तम भाव का स्वामी होने से प्रबल मारक हो जाता है. इसलिए इसे अशुभ ही माना जाता है.

आपकी कुंडली में शनि भी दसवें और एकादश का स्वामी होने से अशुभ ही माना जाता है. दसवाँ भाव केन्द्र होने से तटस्थ हो जाता है और एकादश भाव त्रिषडाय भावों में से एक है. आपकी कुंडली में शनि बाधक का काम भी करता है क्योकि यह एकादश भाव का स्वामी है. आपकी कुंडली के लग्न में चर राशि मेष स्थित है और चर लग्न के लिए एकादशेश बाधक होता है. आपकी कुंडली के लिए बुध अति अशुभ है क्योकि यह तीसरे और छठे भाव का स्वामी होता है.

मेष लग्न के लिए पूजा व रत्न 

आइए अंत में अब हम मेष लग्न के जातको के लिए पूजा व रत्नों के बारे में बता दें कि उनके लिए क्या उचित रहेगा. आपके लिए हनुमान जी की पूजा करना अत्यंत लाभदायक होगा. आपको नियमित रुप से हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इसके लिए आप हनुमान चालीसा आदि का पाठ कर सकते हैं. मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ भी आपके लिए शुभ रहेगा.

आपकी जन्म कुंडली में सूर्य पांचवें भाव का स्वामी होता है और पांचवां भाव त्रिकोण भाव है. इस भाव से हम संतान, शिक्षा व प्रेम संबंध देखते हैं. इसलिए आपको सूर्य को जल अवश्य देना चाहिए और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना आपके लिए शुभ होगा. आपकी जन्म कुंडली में आपके भाग्य भाव के स्वामी बृहस्पति देव हैं. यदि भाग्य अगर कमजोर है तब विष्णु जी की पूजा नियमित रुप से आपको करनी चाहिए.

आप नियमित रुप से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करें. यह आपके लिए अत्यंत लाभदायक होगा.मेष लग्न होने से आपके लिए मूंगा, माणिक्य और पुखराज शुभ रत्न हैं. आप इन्हें धारण कर सकते हैं.

इसके अतिरिक्त कुंडली में जिस ग्रह की दशा चल रही होती है उसके मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए क्योकि जन्म कुंडली में जिस ग्रह की दशा चलती है उसी के अनुसार जीवन में फलों की प्राप्ति होती है.