
ग्रहण दोष
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के दोषों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव माना गया है। इन्हीं दोषों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली दोष है ग्रहण दोष। यह दोष व्यक्ति के जीवन में अचानक आने वाली परेशानियों, मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याओं, विवाह में देरी और आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकता है। अक्सर लोग जीवन में बार-बार बाधाओं का सामना करते हैं लेकिन उन्हें इसके पीछे छिपे ज्योतिषीय कारणों की जानकारी नहीं होती। ग्रहण दोष भी ऐसा ही एक गुप्त लेकिन शक्तिशाली दोष है, जिसे जानना और समझना बेहद आवश्यक है।
ग्रहण दोष क्या है?
ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य या चंद्रमा पर राहु या केतु की युति या पूर्ण दृष्टि होती है, तब कुंडली में ग्रहण दोष बनता है। जैसे वास्तविक जीवन में सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय प्रकाश ढक जाता है, वैसे ही कुंडली में ग्रहण दोष होने पर व्यक्ति के जीवन से स्पष्टता, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा ढक जाती है।
विशेष रूप से:
- सूर्य + राहु / केतु = सूर्य ग्रहण दोष
- चंद्रमा + राहु / केतु = चंद्र ग्रहण दोष
यदि यह युति लग्न, पंचम, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
ग्रहण दोष बनने के प्रमुख कारण
ग्रहण दोष केवल इस जन्म के ग्रहों की स्थिति से नहीं बनता, बल्कि इसके पीछे पूर्व जन्मों के कर्म भी माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके प्रमुख कारण निम्न हो सकते हैं:
पूर्व जन्म में माता-पिता, गुरु या बुजुर्गों का अपमान करना
धर्म विरोधी कार्यों में लिप्त रहना
झूठ, छल और धोखे से दूसरों को कष्ट देना
निर्दोष लोगों को मानसिक या शारीरिक पीड़ा पहुँचाना
सूर्य और चंद्र से जुड़े कर्मों का अनादर (पिता, माता, धर्म, सत्य)
इन्हीं कारणों से आत्मा पर कर्मों का बोझ पड़ता है और अगले जन्म में ग्रहण दोष के रूप में उसका फल मिलता है।
सूर्य ग्रहण दोष के प्रभाव
सूर्य आत्मा, पिता, आत्मबल, मान-सम्मान और सरकारी क्षेत्र का कारक है। जब सूर्य ग्रहण दोष से पीड़ित होता है, तो व्यक्ति को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
आत्मविश्वास की कमी
पिता से मतभेद या पिता का स्वास्थ्य कमजोर होना
सरकारी कामों में अड़चन
मान-सम्मान में गिरावट
नेतृत्व क्षमता का अभाव
हड्डियों, आंखों और हृदय से संबंधित समस्याएं
ऐसे लोग चाहकर भी जीवन में स्थिर सफलता प्राप्त नहीं कर पाते।
चंद्र ग्रहण दोष के प्रभाव
चंद्रमा मन, माता, भावनाएं और मानसिक शांति का कारक है। चंद्र ग्रहण दोष व्यक्ति के मानसिक संतुलन को बुरी तरह प्रभावित करता है। इसके प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं:
मानसिक तनाव और अवसाद
नींद न आना या अत्यधिक चिंता
माता से संबंधों में कड़वाहट
भावनात्मक अस्थिरता
डर, भ्रम और नकारात्मक सोच
जल से जुड़ी बीमारियां
ऐसे लोग अक्सर भीतर से टूटे हुए होते हैं, भले ही बाहर से सामान्य दिखें।
जीवन के किन क्षेत्रों पर पड़ता है ग्रहण दोष का प्रभाव?
ग्रहण दोष का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के लगभग हर क्षेत्र पर देखा जा सकता है। यह दोष धीरे-धीरे जीवन को जकड़ लेता है और व्यक्ति कारण समझे बिना संघर्ष करता रहता है।
बार-बार नौकरी बदलनी पड़ना
मेहनत के अनुसार फल न मिलना
व्यवसाय में घाटा या धोखा
विवाह में देरी
वैवाहिक जीवन में तनाव
पार्टनर पर भरोसे की कमी
लंबे समय तक चलने वाली बीमारियां
मानसिक रोग
हार्मोनल समस्याएं
अचानक धन हानि
कर्ज बढ़ना
बचत न हो पाना
कुंडली में ग्रहण दोष की पहचान कैसे करें?
यदि आपकी कुंडली में:
- सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु बैठे हों
- सूर्य/चंद्र पर राहु-केतु की पूर्ण दृष्टि हो
- सूर्य-चंद्र कमजोर अवस्था में हों और राहु-केतु प्रबल हों
तो समझना चाहिए कि कुंडली में ग्रहण दोष उपस्थित है। कई बार यह दोष आंशिक होता है और कई बार पूर्ण, जिसके अनुसार उसका प्रभाव तय होता है।
ग्रहण दोष और कालसर्प दोष में अंतर
अक्सर लोग ग्रहण दोष और कालसर्प दोष को एक ही समझ लेते हैं, जबकि दोनों अलग-अलग दोष हैं। ग्रहण दोष सूर्य या चंद्र से जुड़ा होता है, जबकि कालसर्प दोष सभी ग्रहों के राहु-केतु के बीच फंसे होने से बनता है। हालांकि, यदि दोनों दोष एक साथ हों तो जीवन में संघर्ष और भी बढ़ सकता है।

ग्रहण दोष के अचूक ज्योतिषीय उपाय
ग्रहण दोष से मुक्ति के लिए केवल डरने की नहीं, बल्कि सही उपाय अपनाने की आवश्यकता होती है। नीचे दिए गए उपाय शास्त्र सम्मत और प्रभावशाली माने गए हैं।
विशेष मुहूर्त में योग्य ब्राह्मण द्वारा राहु-केतु शांति और सूर्य-चंद्र शांति कराना अत्यंत लाभकारी होता है।
रविवार को गेहूं, गुड़, तांबा दान करें
सोमवार को दूध, चावल, सफेद वस्त्र दान करें
अंधे, गरीब और बीमार लोगों की सेवा करें
सूर्य ग्रहण दोष के लिए:
ॐ घृणि सूर्याय नमः
चंद्र ग्रहण दोष के लिए:
ॐ सोम सोमाय नमः
राहु-केतु के लिए:
ॐ राहवे नमः, ॐ केतवे नमः
4. पितृ सेवा और माता का सम्मान
पिता और माता का सम्मान करना, उनकी सेवा करना ग्रहण दोष के प्रभाव को धीरे-धीरे कम करता है।
सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय मंत्र जाप और ध्यान करने से विशेष फल प्राप्त होता है, लेकिन सामान्य व्यक्ति को नियमों का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
क्या ग्रहण दोष पूरी तरह समाप्त हो सकता है?
ज्योतिष के अनुसार कोई भी दोष स्थायी नहीं होता। सही उपाय, सकारात्मक कर्म और धैर्य से ग्रहण दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कई मामलों में यह दोष पूरी तरह निष्क्रिय भी हो जाता है।
निष्कर्ष ग्रहण दोष कोई साधारण दोष नहीं है, लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं कि जीवन समाप्त हो गया। यह दोष व्यक्ति को आत्मचिंतन, सुधार और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यदि समय रहते कुंडली का सही विश्लेषण कराकर उचित उपाय कर लिए जाएं, तो ग्रहण दोष भी जीवन में सकारात्मक बदलाव का कारण बन सकता है।





