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क्यूँ लोग कभी कभी कहते है की मन नहीं लगता

क्यूँ लोग कभी कभी कहते है की मन नहीं लगता या मन नहीं लग रहा जाने ज्योतिष की नजरिये से मन नहीं लगता या नहीं लग रहा ये अकसर सुनने में आता है। मन अति चंचल है। कहा जाता है कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। अतः मन किसी व्यक्ति में इतना मायने रखता है। और कई बार मन कुछ भी करने को नहीं करता है। मन की भटकन को रोकने के लिए ज्योतिष कारगर साबित होता है। मन को हम कुंडली के तीसरे स्थान...
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जब सद्संग कम हों तो जीवन में आते हैं कष्ट:

जब भी किसी का समय खराब आता है तो उसके जीवन में सद्संग तथा सद्व्यवहार दोनो कम होते हैं या समाप्त होने लगते हैं। बुरे समय का सबसे पहला असर बुद्धि पर पड़ता है और वह बुद्धि को विपरित करके भले को बुरा व बुरे को भला दिखलाने लगता है। विनाशकाल समीप आ जाने पर बुद्धि खराब हो जाती है, अन्याय भी न्याय के समान दिखने लगती है। मनुष्य का जीवन उसके निर्णयों पर आधारित है। हर व्यक्ति को दो या अधिक रास्तों में से किसी एक को चुनना पड़ता...
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महाभद्रा अष्टमी में सूर्य पूजन से पायें स्वास्थ्य –

मानव जाति त्रिविध (आध्यात्मिक, आधिभौतिक, आधिदैविक) कष्ट भोगता है उनमें मृत पूर्वजों की अतृप्ति के कारण वंशजों को जो कष्ट होता है वह आध्यात्मिक कारणों से होने वाले कष्टो में से एक है। समस्याओं से मुक्ति के अनेक उपाय करने के बावजूद भी राहत नहीं मिलती है। सामान्यतः दैनिक जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। शारीरिक रूप से कमजोर, मानसिक रूप से विक्षिप्त, विकलांग रूप में जन्म लेना इत्यादि। भद्राअष्टमी में सूर्य की पूजा करने से स्वयं और आने वाले वंष को शारीरिक कष्टो से छुटकारा मिलकर...
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शनि देव की कथा

आकाश में ग्रह नक्षत्रों की चाल बदलते ही किस्मत बदल जाती है। यह सब नौ ग्रहों के 12 राशियों में संचरण से होता है। इन्ही नौ ग्रहों में से एक है शनि देव। शनि देव सदैव से जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। पौपौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव कश्यप वंश की परंपरा में भगवान सूर्य की पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनिदेव को सूर्य पुत्र के साथ साथ पितृ शत्रु भी कहा जाता है। शनिदेव के भाई-बहन मृत्यु देव यमराज, पवित्र नदी यमुना व क्रूर स्वभाव की भद्रा हैं। शनिदेव का...
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कुंडली में अनिष्टकारी योग और उसके उपाय

1. केमद्रुम योग ज्योतिष शास्त्र के दुर्लभ ग्रंथ मानसागरी के अनुसार जब चंद्र किसी ग्रह से युत न हो, चंद्र से द्वितीय तथा द्वादश स्थान में जब कोई ग्रह न हो तथा शुभ ग्रह चंद्र को न देखते हों तो ‘‘केमद्रुम योग’’ की रचना होती है। राजयोग और मंगलकारी योग जन्मपत्रिका में चाहे जितने निर्मित होते हों परंतु यदि एक ‘केमद्रुम योग’ बनता है तो सारे राजयोग और मंगलकारी योग उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे एक सिंह सारे गजसमूह को भगा देता है। यह योग दुःख का मूल...
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गुणवान संतान पाने हेतु जन्म से पूर्व कुछ ज्योतिष्य उपाय आपनाएं

उत्तम एवं सर्वगुण संतान उत्पन्न करने के लिए हमारे पूर्वजों ने कुछ संस्कारों को करने हेतु अनिवार्य कहा है। जिन्हें संतान उत्पन्न करने से पूर्व करना चाहिए प्रत्येक पति पत्नी की पारस्परिक इच्छा, अभिलाषा होती है कि वह एक बुद्धिमान, मेधावी, धैर्यवान, भाग्यवान संतान के माता-पिता बने, परंतु मालूम न होने के कारण कि एक सर्वगुण संतान का माता-पिता कैसे बना जा सकता है वह चूक जाते हैं और संतान जनम के बाद जीवन भर उससे कष्ट पाते हैं। इसलिए आइये जानें कि सर्वगुण संपन्न संतान प्राप्त करने हेतु उसके...
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पुनर्जन्म : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

एक ऊंची सी समुद्र की लहर दूसरी छोटी लहर से इठलाकर बोली कि मुझे देखो, मैं कितनी बड़ी और ताकतवर हूं, और फिर कुछ ही क्षणों उपरांत वह समुद्र के किनारे पड़े एक पत्थर से टकराई और शांत हो गई। उसी के साथ फिर दूसरी लहर आई और वह भी पत्थर से टकराकर शांत हो गई और यह क्रम चलता रहा। क्या अब उस पहली लहर का पुनर्जन्म होगा? एक तालाब के किनारे कुछ बच्चे खेल रहे थे। तालाब में पत्थर फेंक रहे थे जिससे कुछ बुलबुले उठ रहे थे।...
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कुंडली के विभिन्न योगों में नक्षत्रों का प्रभाव

प्रत्येक व्यक्ति किसी शुभ कार्य को शुभ समय में प्रारंभ करना चाहता है ताकि वह कार्य सफल, लाभकारी तथा मंगलमय हो। ऐसे अनेक शुभ समय (अवसर) विभिन्न कालांगों तथा वार, तिथि, नक्षत्र आदि के सम्मिश्रण से बनते हैं जिन्हें योग कहा जाता है। इसी प्रकार के शुभ योग प्रत्येक कार्य के लिए आचार्यों ने निर्धारित किए हैं। शुभ योगों की भांति अशुभ योग (कुयोग) भी इन्हीं कालांगों से मिलकर बनते हैं जिनमें शुभ कार्यों का प्रारंभ वर्जित है। इस आलेख में उन्हीं योगों का वर्णन करेंगे जिनकी रचना में नक्षत्रों...
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कुंडली से जाने रियल स्टेट में निवेश या व्यवसाय में लाभ या हानि

हस्त रेखा एवं ज्योतिष द्वारा जानें रियल स्टेट में लाभ एवं हानि भारती आनंद हाथ की रेखाओं के द्वारा हर एक क्षेत्र को समझा तथा जाना जा सकता है। यदि आप रीयल एस्टेट में पैसा इनवेस्ट करना चाहते हैं, तो उससे पहले आपको अपने हाथ की रेखाओं का अध्ययन जरूरी है। यदि आपके हाथ में रेखाएं रीयल एस्टेट के हिसाब से ठीक हैं तो आप उससे फायदा उठा सकते हैं अन्यथा नहीं। यदि हाथ भारी, अंगुलियां चौकोर, ग्रह पर्वत सीधे खासकर शनि और मंगल के उठे हुए हों और जीवन...
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