कुछ ऐसे दुर्लभ उपाय होते हैं, जिनकी जानकारी जनसामान्य को आम-तौर पर नहीं होती। परन्तु इनका उपयोग करने से निश्चित रूप से लाभान्वित हो सकते हैं और कठिन परिस्थितियों व आर्थिक अभाव की स्थिति में इनका आश्रय ग्रहण किया जा सकता है। इसी कारण इस लेख का नाम लक्ष्मी प्राप्ति के उपायों को चमत्कारी बताना तर्क संगत है, क्योंकि इसमें बताए गये लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय विद्वत् समाज में सर्वमान्य है। इस लेख में लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय़ जिनमें धन लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय, लक्ष्मी प्राप्ति मन्त्र जप, श्री धन...
जल जीवन है। इसलिए जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। संसार के सभी प्राणी, वनस्पति आदि जल के बिना नहीं जी सकते अतः जल का महत्व जीवन में विशेष है। जल का प्रयोग पीने में, स्नान करने में विशेष रूप से किया जाता है। इसके फलस्वरूप हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है। जल की उपयोगिता चिकित्सा के क्षेत्र में भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से स्नान करना अति आवश्यक है। गर्मी के मौसम में दो बार और सर्दी के मौसम में एक...
अंक से जानिए रोग और उसका बचाव पं. एम. सी भट्ट जन्म कुंडली में छठे भाव से रोगों की पहचान की जाती है और उसके ज्योतिषीय उपाय भी बताये जाते हैं जो ज्यादा खर्चीले होते हैं लेकिन अंक ज्योतिष से रोग की पहचान और उससे बचाव का जो अनोखा तरीका इस लेख में बताया गया है वह आम आदमी के करने और पढ़ने लायक है। जीवन में सफलता के लिये व्यक्ति का स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है। लेकिन प्रत्येक जन्मांक के साथ अंतर्निहित सहज रोग संभावनाएं होती हैं और जन्मांक...
एक मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है यह साक्षात् भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से यश, मान, प्रतिष्ठा, धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से कामना भेद से, यह भोग और मोक्ष दोनों को देने वाला है। 1. मेष राशि तथा वृश्चिक राशि के लिए चैदहमुखी रुद्राक्ष यह रुद्राक्ष हनुमान जी का स्वरूप माना गया है। इसलिए इसे मेष, तथा वृश्चिक राशि वाले व्यक्ति धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से बल, बृद्धि, धन, पद, प्रतिष्ठा...
गले के स्वर यंत्र के कैंसर में आवाज भारी हो जाती है। गले की लसिका ग्रंथियों में सूजन भी आ जाती है। इसके अतिरिक्त सांस लेने एवं निगलने में तकलीफ होती है, खांसी के साथ रक्त मिश्रित बलगम आ जाता है। गले एवं कान में तीव्र दर्द होता है। गले की ग्रास नलिका अथवा ग्रसनी के कैंसर में निगलने की तकलीफ होती है साथ ही स्वर यंत्र पर दबाव के कारण आवाज में बदलाव आ जाता है। रोगी को सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है, गले में दर्द...
विद्यार्थियों के लिए परीक्षा का समय पास आ रहा है और परीक्षा पास आते ही विद्यार्थियों को उसका भय सताने लगता है। पढ़ाई में मन नहीं लगना, पाठ याद न होना, पुस्तक खुली होने पर भी मन का पढ़ाई में एकाग्रचित्त न होना, रात को देर तक नींद न आना या मध्य रात्रि में नींद उचट जाना आदि परीक्षा के भय के लक्षण हंै। परीक्षा पढ़ाई का केवल एक मापक है, यह विद्यार्थी के ज्ञान का आकलन मात्र है। व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव या लाभ-हानि इसके द्वारा निर्धारित...
काल सर्प योग राहु से केतु के मध्य अन्य सभी ग्रहों के आ जाने से बनता है। जब राहु से केतु के मध्य अन्य ग्रह होते हैं, तो उदित और जब केतु से राहु के मध्य होते हैं, तो अनुदित काल सर्प योग की रचना होती है। राहु जिस भाव में स्थित होता है उसी के अनुसार 12 प्रकार के काल सर्प योग बनते हैं। उनका फल भी उन्हीं भावों के अनुसार कहा गया है, जिसका विवेचन इस पत्रिका में विस्तार से किया गया है। काल सर्प योग को समझने...
संभाव्य वर एवं वधू के स्वभाव, मानसिक स्तर, पसन्द एवं नापसंद की परख जन्मकुण्डली में ग्रहों की स्थिति के विष्लेषण एवं दोनों की कुण्डलियों में मौजूद ग्रहों के आधार पर किया जाता है। यदि दोनों साथियों के गुणों में अधिकतम समानता है तो उनके बीच प्रेम, सौहार्द तथा एक-दूसरे के प्रति एवं परिवार के प्रति आकर्षण निश्चित है। यदि स्थिति इसके विपरीत है तो दोनों का दाम्पत्य संबंध तनावपूर्ण, दुःखी एवं समस्याग्रस्त होगा तथा ऐसी स्थिति में कालान्तर में सम्बन्धों में दरार पड़ना भी अवश्यंभावी हो जाता है। अतः हमेशा...
गणेश जी के मंत्र का स्मरण कर के यात्रा प्रारंभ करने से यात्रा निर्विघ्न एवं लाभप्रद होती है। शकुन विचार करना भी सफल यात्रा का रहस्य माना गया है। जब हम किसी भी यात्रा को प्रारंभ करते हैं, तो जो भी व्यक्ति, वस्तु, जीव हमारे सम्मुख होते हैं, वे शकुन कहलाते हैं, जैसे किसी स्त्री का दिखना, किसी का छींकना, जानवर दिखना आदि कई शुभाशुभ शकुन होते हैं। यात्रा में हाथी, घोड़ा, ब्राह्मण, जल से भरा हुआ बर्तन, दही, नेवला, पुत्रवती स्त्री, श्रृंगार किये हुए स्त्री, कन्या, सरसांे आदि शुभ...
ज्योतिष शास्त्र में हर दिन को एक अधिपति दिया गया है। जैसे- रविवार का सूर्य, सोमवार का चंद्र, मंगलवार का मंगल, बुधवार का बुध, बृहस्पतिवार का गुरु, शुक्रवार का शुक्र व शनिवार का शनि। इसी प्रकार दिन के खंडों को भी आठ भागों में विभाजित कर उनको अलग-अलग अधिष्ठाता दिये गये हैं। इन्हीं में से एक खंड का अधिष्ठाता राहु होता है। इसी खंड को राहुकाल की संज्ञा दी गई है। राहुकाल में किये गये काम या तो पूर्ण ही नहीं होते या निष्फल हो जाते हैं। इसीलिए राहुकाल में...
ज्योतिष में पुनरुथान को तीन भागों में बंटा जा सकता है ज्योतिष के मूल नियम: प्रत्येक ग्रह, भाव, या राशि को ज्योतिष में किसी न किसी का कारक माना गया है, जैसे सूर्य को आखों का, तो चंद्र को मन का, प्रथम भाव को तन का, तो द्वितीय भाव को धन का, मेष को क्रोधी, तो वृष को मेहनती आदि। इसी प्रकार ग्रहों के अपने घर, उनकी मित्रता, उच्च-नीच अंश, दृष्टियां आदि अनेक ऐसे नियम हैं, जो ज्योतिष सीखने की पहली सीढ़ी पर सिखा दिये जाते हैं और सारी ज्योतिष...