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कितना उपुक्त है मंगल दोष शांति

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मंगल दोष की वजह से विवाह में देरी हो तो ये उपाय जरूर करने चाहिए। माना जाता है कि इन उपायों को करने से विवाह में आ रही बाधाएं जल्द दूर होती हैं और मनचाही कन्या से विवाह होता है।

जिन जातकों की जन्म कुंडली के 1,4,7 और 12 वें भाव में मंगल होता है, उन्हें मांगलिक दोष होता है। इस दोष के कारण जातक को कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे उनके भूमि से संबंधित कार्यो में बाधा आती है। विवाह में विलंब होता है। ऋण से मुक्ति नहीं मिलती, वास्तुदोष उत्पन्न हो सकता है आदि- आदि। इन सब दोषों के शमन के लिए अवन्तिका यानि उज्जैन में मंगल दोष निवारण के लिए विशेष पूजा कराने का विधान है। मंगल ग्रह की जन्म स्थली उज्जैन में पूजा करने से दोष समाप्त हो जाता है।

मंगल की शांति के लिए अवन्तिका में भात पूजा कराने का विधान है। मंगल की क्रूर दृष्टि यहां पूजा करने से कृपा दृष्टि में बदल जाती है। यह पूजा उज्जैन में स्थित श्री अंगारेश्वर महादेव मंदिर में पुरोहितों द्वारा संपन्न कराई जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव का दही भात का लेप करने से अग्नि शांत(मांगलिक दोष निवारण) होती है। इस प्रक्रिया में भगवान गणपति पूजन, माताजी पूजन, संकल्प, भगवान शिव का अभिषेक, पंचामृत पूजा, भात का पूजन(पंचामृत में उबले हुए भात मिलाकर) शिवलिंग पर लेप किया जाता है।
उज्जैन के 84 मंदिरों में से 43वें मंदिर के रूप में प्रतिष्ठित अंगारेश्वर महादेव मंदिर की प्राचीनता के बारे में यहाँ के पुजारी पं मनीष उपाध्याय बताते हैं कि अंगारक को तपस्या करने का निर्देश भगवान शिव ने दिया था। साथ ही यह भी बताया कि अवन्तिका के महाकाल वन मे खगरता के संगम पर गंगेश्वर के उत्तर में ब्रह्माजी द्वारा स्थापित शिवलिंग है। जिसकी पूजा देवता गंधर्व करते हैं । अंगारक ने यहीं सोलह हजार वर्ष तक तप किया।

उपाध्याय के अनुसार पहले क्षिप्रा का पाट चौड़ा था। इसलिए इस शिवलिंग का पूजन नहीं हो पाता था। वर्ष 1973 की बाढ़ में मंदिर ध्वस्त हो गया था। इसका पुनर्निमाण सन 1980 में हुआ। स्कंध पुराण , अग्नि पुराण, के रूप में गंगारक का ही उल्लेख मिलता है तथा गणेश पुराण मे अंगारक स्तोत्र यहां मंगल दोष निवारणार्थ भात पूजा और अन्य पूजा संपन्न होती हैं। शांत प्रिय और एकाग्र मन से अंगारेश्वर महादेव की पूजा करने पर मनोकामनाएं पूरी होती हेैं। मंगल शांति होने से लाभ मिलता है।

इस पूजा के प्रभाव से भूमि के अटके काम, ऋण मुक्ति, वास्तुदोष, संतान, विवाह में मांगलिक दोष से व्यवधान, व्यापार में रूकावटें आदि का शमन हो जाता हैं ।





—-मंगल दोष शांति के विशेष दान :—-

शास्त्रानुसार लाल वस्त्र धारण करने से व किसी ब्रह्मण अथवा क्षत्रिय को मंगल की निम्न वास्तु का दान करने से जिनमे – गेहू, गुड, माचिस, तम्बा, स्वर्ण, गौ, मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य तथा भूमि दान करने से मंगल दोष दूर होता है | लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल जनित अमंगल दूर होता है |
—– तुलसी के पौधे को (रविवार को छोड़कर) हर शाम प्रणाम कर उसके पास घी का दीपक जलाएं। तुलसी के मनकों की माला पहनें और भगवान कृष्ण का श्रद्धा से पूजन कीजिए। कृष्ण की एक तस्वीर तुलसी के पौधे के पास भी स्थापित कीजिए।
—-अगर कुंडली में मंगल के कारण विवाह में विलंब हो रहा है तो जेब या पर्स में चांदी का चौकोर टुकड़ा सदा अपने साथ रखें। यह मंगल दोष के प्रभाव को कम कर आपका कार्य सिद्ध कर देगा।
—–जिन लोगों की कुंडली मांगलिक होती है उन्हें प्रति मंगलवार मंगलदेव के निमित्त विशेष पूजन करना चाहिए। मंगलदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं जैसे लाल मसूर की दाल, लाल कपड़े का दान करना चाहिए।
—-जिन लोगों की कुंडली में मंगलदोष है उनके द्वारा प्रतिदिन या प्रति मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करें। इस प्रकार भी मंगल दोष की शांति हो सकती है।
——शुक्ल पक्ष के मंगलवार को चांदी का एक टुकड़ा लेकर उसे जमीन में गड्ढा खोदकर रख दें। अब उस पर पानी डालें और थोड़ी मिट्टी भी डाल दें। तत्पश्चात इस पर तुलसी का पौधा लगा दें। इस पौधे का ध्यान रखें और नियमित जल आदि डालें। यह उपाय भी मंगल के कुप्रभाव को दूर कर विवाह में बाधाओं का निवारण करता है।
—-शास्त्रों के अनुसार मंगल दोष का निवारण अंगारेश्वर महादेव, उज्जैन (मध्यप्रदेश) में ही हो सकता है। अन्य किसी स्थान पर नहीं। उज्जैन ही मंगल देव का जन्म स्थान है और मंगल के सभी दोषों का निवारण यहीं किए जाने की मान्यता है। मंगलदेव के निमित्त भात पूजा की जाती है। जिससे मंगल दोषों की शांति होती है।
—अगर किसी युवती के विवाह में मंगल की वजह से बाधा आ रही है तो शुक्ल पक्ष के मंगलवार को भगवान राम-सीता व हनुमानजी के चित्र की स्थापना करें और दीपक जलाकर सुंदरकांड का पाठ करें।
—बंदरों व कुत्तों को गुड व आटे से बनी मीठी रोटी खिलाएं |
—– मंगल चन्द्रिका स्तोत्र का पाठ करना भी लाभ देता है |
—– माँ मंगला गौरी की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता है |
—– कार्तिकेय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुशप्रभाव में लाभ मिलता है |
—— मंगलवार को बताशे व गुड की रेवड़ियाँ बहते जल में प्रवाहित करें |
—– आटे की लोई में गुड़ रखकर गाय को खिला दें |
—– मंगली कन्यायें गौरी पूजन तथा श्रीमद्भागवत के 18 वें अध्याय के नवें श्लोक का जप अवश्य करें |
—- मांगलिक वर अथवा कन्या को अपनी विवाह बाधा को दूर करने के लिए मंगल यंत्र की नियमित पूजा अर्चना करनी चाहिए।
—- मंगल दोष द्वारा यदि कन्या के विवाह में विलम्ब होता हो तो कन्या को शयनकाल में सर के नीचे हल्दी की गाठ रखकर सोना चाहिए और नियमित सोलह गुरूवार पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए |
—– मंगलवार के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से व हनुमान जी को सिन्दूर एवं चमेली का तेल अर्पित करने से मंगल दोष शांत होता है |
—– महामृत्युजय मंत्र का जप हर प्रकार की बाधा का नाश करने वाला होता है, महामृत्युजय मंत्र का जप करा कर मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक व दांपत्य जीवन में मंगल का कुप्रभाव दूर होता है |
—– यदि कन्या मांगलिक है तो मांगलिक दोष को प्रभावहीन करने के लिए विवाह से ठीक पूर्व कन्या का विवाह शास्त्रीय विधि द्वारा प्राण प्रतिष्ठित श्री विष्णु प्रतिमा से करे, तत्पश्चात विवाह करे |
—– यदि वर मांगलिक हो तो विवाह से ठीक पूर्व वर का विवाह तुलसी के पौधे के साथ या जल भरे घट (घड़ा) अर्थात कुम्भ से करवाएं।
—-यदि मंगली दंपत्ति विवाहोपरांत लालवस्त्र धारण कर तांबे के पात्र में चावल भरकर एक रक्त पुष्प एवं एक रुपया पात्र पर रखकर पास के किसी भी हनुमान मन्दिर में रख आये तो मंगल के अधिपति देवता श्री हनुमान जी की कृपा से उनका वैवाहिक जीवन सदा सुखी बना रहता है |
—मांगलिक-दोष दूर करते हैं मंगल के यह 21 नाम।

निम्न 21 नामों से मंगल की पूजा करें—-
1. ऊँ मंगलाय नम:
2. ऊँ भूमि पुत्राय नम:
3. ऊँ ऋण हर्वे नम:
4. ऊँ धनदाय नम:
5. ऊँ सिद्ध मंगलाय नम:
6. ऊँ महाकाय नम:
7. ऊँ सर्वकर्म विरोधकाय नम:
8. ऊँ लोहिताय नम:
9. ऊँ लोहितगाय नम:
10. ऊँ सुहागानां कृपा कराय नम:
11. ऊँ धरात्मजाय नम:
12. ऊँ कुजाय नम:
13. ऊँ रक्ताय नम:
14. ऊँ भूमि पुत्राय नम:
15. ऊँ भूमिदाय नम:
16. ऊँ अंगारकाय नम:
17. ऊँ यमाय नम:
18. ऊँ सर्वरोग्य प्रहारिण नम:
19. ऊँ सृष्टिकर्त्रे नम:
20. ऊँ प्रहर्त्रे नम:
21. ऊँ सर्वकाम फलदाय नम:

विशेष:— किसी अनुभवी और विद्वान ज्योतिषी से चर्चा करके ही श्री अंगारेश्वर महादेव पर मंगलदोष निवारण के उपाय भट पूजन आदि करना चाहिए। मंगल की पूजा का विशेष महत्व होता है। अपूर्ण या कुछ जरूरी पदार्थों के बिना की गई पूजा प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है।

कैसे पहुंचे उज्जैन—–

इंदौर (55 किलोमीटर) निकटतम हवाई अड्डा है. यह भोपाल, मुंबई, दिल्ली और ग्वालियर से जुड़ा है.
इंदौर (55 किलोमीटर)में बस स्टोप है. यह भोपाल, मुंबई, दिल्ली और ग्वालियर से जुड़ा है.

इंदौर (55 किलोमीटर)में रेलवे स्टेशन है. यह भोपाल, मुंबई, दिल्ली और ग्वालियर से जुड़ा है.

क्या करें अगर कुंडली में राहु-मंगल हों साथ-साथ?

ज्योतिष में मंगल और राहु मिल कर अंगारक योग बनाते हैं। लाल किताब में इस योग को पागल हाथी का नाम दिया गया है। अगर यह योग किसी की कुंडली में होता है तो वो व्यक्ति अपनी मेहनत से नाम और पैसा कमाता है। ऐसे लोगों के जीवन में कई उतार चढ़ाव आते हैं।

यह योग अच्छा और बुरा दोनों तरह का फल देने वाला है। ज्योतिष में इस योग को अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुंडली में यह योग होने पर इसकी शांति करवाना चहिए नहीं तो लंबे समय तक परेशानियां बनी रहती हैं। उज्जैन में अंगारेश्वर महादेव मन्दिर में मंगल-राहु अंगारक योग की शांति होती है।



क्या प्रभाव होता है कुंडली के बारह घरों में मंगल-राहु अंगारक योग का?

1- कुंडली के पहले घर में मंगल-राहु अंगारक योग होने से पेट के रोग और शरीर पर चोट का निशान रहता है।
ये उपाय करें- रेवडिय़ां, बताशे पानी में बहाएं।
2- कुंडली के दूसरे भाव में अंगारक योग होने से धन संबंधित उतार चढ़ाव आते हैं। ऐसे लोग धन के मामलों में जोखिम लेने से नहीं घबराते हैं।
ये उपाय करें- चांदी की अंगूठी उल्टे हाथ की लिटील फिंगर में पहनें।
3- जिन लोगों की कुंडली के तीसरे भाव में ये योग होता उनको भाइयों और मित्रों से सहयोग मिलता है और वो लोग मेहनत से पैसा, मान सम्मान कमाते हैं।
ये उपाय करें- घर में हाथी दांत रखें।
4- कुंडली के चौथे भाव में ये योग होने से माता के सुख में कमी आती है और भूमि संबंधित विवाद चलते रहते हैं।
ये उपाय करें- सोना, चांदी और तांबा तीनों को मिलाकर अंगूठी पहनें।
5- कुंडली के पांचवें भाव में अंगारक योग योग जुए, सट्टे, लॉटरी और शेयर बाजार में लाभ दिलाता है।
ये उपाय करें- रात को सिरहाने पानी का बर्तन भरकर रखें और सुबह उठते ही पेड़-पौधों में डालें।
6- जिन लोगों की कुंडली के छठे घर में मंगल-राहु एक साथ होते हैं ऐसे लोग ऋण लेकर उन्नति करते हैं। अच्छे वकील और चिकित्सक भी इसी योग के कारण बनते हैं।
ये उपाय करें- कन्याओं को दूध और चांदी का दान दें।
7- कुंडली के सातवें भाव में अंगारक योग साझेदारी के काम में फायदा दिलाता है।
ये उपाय करें- चांदी की ठोस गोली अपने पास रखें।
8- जिन लोगों की कुंडली के आठवें घर में अंगारक योग बनता है ऐसे लोगों को वसीयत में सम्पत्ति मिलती है। ऐसे लोगों को ऐक्सीडेंट का खतरा होता है।
ये उपाय करें- एक तरफ सिकी हुई मीठी रोटियां कुत्तों को डालें।
9- कुंडली के नवें घर में ये योग बनता है तो ऐसे लोग कर्मप्रधान होते है ऐसे लोगों की किस्मत ज्यादातर साथ नहीं देती। ये लोग कुछ रूढ़ीवादी होते हैं।
ये उपाय करें- मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।
10- दसवें भाव में अंगारक योग जिन लोगों की कुंडली में होता है वो लोग रंक से राजा बन जाते हैं।
ये उपाय करें- मूंगा रत्न धारण करें।
11- कुंडली के लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव में अंगारक योग होने से प्रॉपर्टी से लाभ मिलता है।
ये उपाय करें- मिट्टी के बर्तन में सिन्दूर रख कर, उसे घर में रखें।
12- बारहवें भाव में अंगारक योग होता है उन लोगों का पैसा विदेश में जमा होता है। ऐसे लोग रिश्वत में पकड़ा जाते हैं कभी कभी जेल यात्रा के योग भी बनते हैं।

ये उपाय करें- रोज सुबह थोड़ा शहद खाएं।

मंगल से प्रभावित होते हैं मंगली—-

ज्योतिष के अनुसार मंगली लोगों पर मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव होता है। यदि मंगल शुभ हो तो वह मंगली लोगों को मालामाल बना देता है। मंगली व्यक्ति अपने जीवन साथी से प्रेम-प्रसंग के संबंध में कुछ विशेष इच्छाएं रखते हैं, जिन्हें कोई मंगली जीवन साथी ही पूरा कर सकता है। इसी वजह से मंगली लोगों का विवाह किसी मंगली से ही किया जाता है।
कौन होते हैं मंगली?
कुंडली में कई प्रकार के दोष बताए गए हैं। इन्हीं दोषों में से एक है मंगल दोष। यह दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह मंगली कहलाता है। जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के 1, 4, 7, 8, 12 वें स्थान या भाव में मंगल स्थित हो तो वह व्यक्ति मंगली होता है।
मंगल के प्रभाव के कारण ऐसे लोग क्रोधी स्वभाव के होते हैं। ज्योतिष के अनुसार मंगली व्यक्ति की शादी मंगली से ही होना चाहिए। यदि मंगल अशुभ प्रभाव देने वाला है तो इसके दुष्प्रभाव से कई क्षेत्रों में हानि प्राप्त होती है। भूमि से संबंधित कार्य करने वालों को मंगल ग्रह की विशेष कृपा की आवश्यकता है।
मंगल देव की कृपा के बिना कोई व्यक्ति भी भूमि संबंधी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। मंगल से प्रभावित व्यक्ति अपनी धुन का पक्का होता है और किसी भी कार्य को बहुत अच्छे से पूर्ण करता है।
हमारे शरीर में सभी ग्रहों का अलग-अलग निवास स्थान बताया गया है। ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह हमारे रक्त में निवास करता है।

मंगली लोगों की खास बातें—-
मंगली होने का विशेष गुण यह होता है कि मंगली कुंडली वाला व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण निष्ठा से निभाता है। कठिन से कठिन कार्य वह समय से पूर्व ही कर लेते हैं। नेतृत्व की क्षमता उनमें जन्मजात होती है।
ये लोग जल्दी किसी से घुलते-मिलते नहीं परंतु जब मिलते हैं तो पूर्णत: संबंध को निभाते हैं। अति महत्वाकांक्षी होने से इनके स्वभाव में क्रोध पाया जाता है। परंतु यह बहुत दयालु, क्षमा करने वाले तथा मानवतावादी होते हैं। गलत के आगे झुकना इनको पसंद नहीं होता और खुद भी गलती नहीं करते।
ये लोग उच्च पद, व्यवसायी, अभिभाषक, तांत्रिक, राजनीतिज्ञ, डॉक्टर, इंजीनियर सभी क्षेत्रों में यह विशेष योग्यता प्राप्त करते हैं। विपरित लिंग के लिए यह विशेष संवेदनशील रहते हैं, तथा उनसे कुछ विशेष आशा रखते हैं। इसी कारण मंगली कुंडली वालों का विवाह मंगली से ही किया जाता है।

ग्रहों का सेनापति है मंगल—-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौ ग्रह बताए गए हैं जो कुंडली में अलग-अलग स्थितियों के अनुसार हमारा जीवन निर्धारित करते हैं। हमें जो भी सुख-दुख, खुशियां और सफलताएं या असफलताएं प्राप्त होती हैं, वह सभी ग्रहों की स्थिति के अनुसार मिलती है। इन नौ ग्रहों का सेनापति है मंगल ग्रह। मंगल ग्रह से ही संबंधित होते है मंगल दोष। मंगल दोष ही व्यक्ति को मंगली बनाता है।

पाप ग्रह है मंगल—
मंगल ग्रह को पाप ग्रह माना जाता है। ज्योतिष में मंगल को अनुशासन प्रिय, घोर स्वाभिमानी, अत्यधिक कठोर माना गया है। सामान्यत: कठोरता दुख देने वाली ही होती है। मंगल की कठोरता के कारण ही इसे पाप ग्रह माना जाता है। मंगलदेव भूमि पुत्र हैं और यह परम मातृ भक्त हैं। इसी वजह से माता का सम्मान करने वाले सभी पुत्रों को विशेष फल प्रदान करते हैं। मंगल बुरे कार्य करने वाले लोगों को बहुत बुरे फल प्रदान करता है।

मंगल के प्रभाव—-
मंगल से प्रभावित कुंडली को दोषपूर्ण माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल अशुभ फल देने वाला होता है उसका जीवन परेशानियों में व्यतीत होता है। अशुभ मंगल के प्रभाव की वजह से व्यक्ति को रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं। साथ ही, मंगल के कारण संतान से दुख मिलता है, वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा होता है, साहस नहीं होता, हमेशा तनाव बना रहता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ज्यादा अशुभ प्रभाव देने वाला है तो वह बहुत कठिनाई से जीवन गुजरता है। मंगल उत्तेजित स्वभाव देता है, वह व्यक्ति हर कार्य उत्तेजना में करता है और अधिकांश समय असफलता ही प्राप्त करता है।

मंगल का ज्योतिष में महत्व:-—– ज्योतिष में मंगल मुकदमा ऋण, झगड़ा, पेट की बीमारी, क्रोध, भूमि, भवन, मकान और माता का कारण होता है। मंगल देश प्रेम, साहस, सहिष्णुता, धैर्य, कठिन, परिस्थितियों एवं समस्याओं को हल करने की योग्यता तथा खतरों से सामना करने की ताकत देता है।

मंगल की शांति के उपाय:-—- भगवान शिव की स्तुति करें। मूंगे को धारण करें। तांबा, सोना, गेहूं, लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल फूल, केशर, कस्तुरी, लाल बैल, मसूर की दाल, भूमि आदि का दान।

विवाह के दौरान इसे दोष के रूप में क्यों माना जाता है?



मंगल ग्रह 1,4,7,8 और 12 वें घर में होने से घर को प्रभावित करता है, इसे मंगल दोष कहा जाता है। मंगल ग्रह एक ऐसा ग्रह है जो आग, बिजली, रसायन, हथियार, आक्रामकता, उच्च ऊर्जा, रक्त, लड़ाई , दुर्घटना आदि का प्रतिनिधि माना जाता है। चलो देखते हैं क्या इन घरों में स्थित मंगल हो रहे प्रभावो के नतीजों का प्रतिनिधि है? घर में जो भी यह स्थित है या इसकी दृष्टि से उस घर पर मंगल के प्रभाव को जीवन के पहलुओं में अनुभव करने के लिए प्रतिनिधित्व करती है|

यदि मंगल 1 घर में है तब वह 1, 4, 7 और 8 वें घर को प्रभावित करेगा। 1 घर व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए व्यक्ति बहुत संयमहीन होता है। 4 घर सदन का प्रतिनिधित्व करता है, व्यक्तियों की वाहन, घर से जुड़ी समस्याओं या जैसे आग, रसायन के कारण दुर्घटना, बिजली आदि की संभावना होती है| और 7 घर वैवाहिक जीवन, और साझेदारी में पति व्यवसाय का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए अशांत विवाहित जीवन की संभावना होती है, पति या पत्नी बहुत गर्म स्वभाव प्रकृति के हो तो साझेदारी में नुकसान हो सकता है| 8 घर मौत का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए व्यक्ति के लिए अचानक घातक दुर्घटना की संभावना होती है| बेशक ये बहुत व्यापक दिशानिर्देश हैं| कुंडली के समग्र गुणवत्ता, ग्रहों की शक्ति, आदि ग्रहों के पहलुओं की तरह कई अन्य कोणों से अध्ययन करने की आवश्यकता होती है।
यदि मंगल 4 घर में है तब यह 4 घर में 7, 10 और 11 घर को प्रभावित करेगा | हमने 4 और 7 घर पर प्रभाव देखा है। 10 वाँ घर कैरियर, पिता, नींद आदि का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए लगातार परिवर्तन कैरियर में गड़बड़ी विकार अनिंद्रा या यहाँ तक कि पिता की जल्दी मौत आदि की संभावना को दर्शाता है। 11 वाँ घर जीवन में मौद्रिक लाभ अर्जित करता है, इसलिए दुर्घटनाओं के कारण नुकसान, चोरी आदि की संभावना होती हैं।

यदि मंगल 7 घर में है तब यह 10 वे घर को प्रभावित करता है| 1 और 2 घर के अलावा 7 और 2 घर में होता है जो व्यक्ति को धन के बारे में विचार देता है। यह व्यक्ति के परिवार को संकेत देता है और यह भी 8 घर के साथ 7 घर में विवाहित जीवन में मृत्यु या साझेदारी में व्यापार के संकेत देता है इसलिए इस घर पर मंगल दृष्टि की वजह से परिवार के सदस्यों के बीच संयमहीन और आक्रामक व्यवहार जैसे मुद्दों को बना सकता हैं। जिससे धन की हानि की संभावना भी होती है।

8 सभा यह 11, 2 और 3 घर को प्रभावित करता है। 3 घर एक व्यक्ति की मौखिक संचार कौशल ,व्यक्ति की आवाज, व्यक्ति की उपलब्धियों, भाइयों और बहनों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए मंगल से भाई बहन के बीच तनाव पैदा हो सकता है, व्यक्ति बोलने में बहुत अशिष्ट और अभिमानी हो सकता है, दूसरों से अक्सर चोट और शायद सफलता से अधिक विफलताओं से पीडित हो सकता है।
12 वें घर में मंगल ग्रह 3, 6 और 7 घर को प्रभावित करता है। 12 वाँ घर व्यक्ति के खर्च प्रकृति को संकेत करता है । इसलिए व्यक्ति से अधिक खर्च प्रकृति का हो सकता है। 6 घर रोग, चोरी नौकरों के कारण को, मातृ चाचा आदि संकेत करता है। व्यक्ति को अम्लता के कारण बीमारियों, हाइपरटेंशन, रक्त आदि रोग होने की संभावना होती है।
इस प्रकार आप पर्यवेक्षक हैं कि अगर मंगल से इन घरों में परेशानी है ,जो विवाहित जीवन को प्रभावित करते है, इसलिए कुंडली में मंगल दोष अनुपयुक्त माना जाता है।

किन स्थितियों में जीवन साथी की कुडंली में मंगल दोष होने पर मिलान किया जाता हैं?

यदि शनि 1, 4, 7, 8, 12, घर में हो।
यदि शनि 7 वें घर के साथ 3 या 10वें दृष्टि को प्रभावित कर रहा हो। यानि यदि शनि 5 वें या 10वें घर में हैं।
यदि शक्तिशाली बृहस्पति कर्क, धनु ,मीन या वरगोतम, उच्चा नवमांश, सप्तमांश आदि पहले घर में हो।
यदि 7 वें घर में बृहस्पति 5 वें या 9 वें से प्रभावित हैं 3 या 11वें घर में रखा गया हैं।
यदि राहु या केतु 1 या 7वें घर में स्थित हो ।
मंगल के 21 वीं सदी में महत्व क्या हैं?
मंगल ग्रह एक लड़ाकू ग्रह है। जो कठिन परिस्थितियों से बाहर आने में मदद करता हैं, तनाव से निपटने में मदद देता है।
यह आक्रामकता से जरूरी चुनौतियों को लेना सिखाता हैं।
यह व्यक्ति को उघोग प्रकृति देता हैं ।
मंगल ग्रह उच्च अनुशासन, अच्छा प्रशासन और कर्म निर्णय लेना सिखाता हैं, ये सब किसी भी सफल नेता के लिए आवश्यक गुण है।
मंगल ग्रह एक सर्जन ,जनरल, एयर मार्शल, एडमिरल, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , व्यवसायी आदि के लिए एक उपहार हैं।