करवा चौथ व्रत
– पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है व्रत
– संकल्प शक्ति का प्रतीक है करवा चौथ व्रत
– अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत है करवा चौथ
– कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है व्रत
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पूजन सामग्री
– धूप, दीप, कपूर, रोली, चंदन, सिंदूर
– काजल, पुष्प, मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, बिंदी
– कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर
– बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा
– खीर, पुआ, फल, मिठाई
– सूखा मेवा, पूड़ी और गुड का हलवा
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श्री चंद्र अर्घ्य
– चंद्रमा का चित्र अग्निकोण में स्थापित करें
– चावल को भिगो कर पीस लें
– पिसे चावल का गोल आकार बनाएं
– चापल की पीठी से 5 लंबी डंडियां बनाएं
– गोलाकार चंद्र के ऊपर पूर्व से पश्चिम तक 4 डंडियां लगाएं
– पांचवी डंडी थोड़ी चौड़ी बनाएं, आकृति चौथ के चांद जैसी होना चाहिए
– चंद्र देव का पूजन करें
– चंद्र को अर्घ्य पूजा सम्पन्न करें
– चंद्र स्तुति, पूजन, आराधना विशेष फलदायी होती है
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– सौभाग्यवती स्त्रियां लाल वस्त्र पहनें
– हाथों में मेहंदी लगाएं
– सोलह श्रृंगार करें
– शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें
– करवा चौथ की कथा सुनें
– माता पार्वती को सुहाग सामग्री चढ़ाएं
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‘करवा चौथ’ शुभ मुहूर्त
– शनिवार शाम 7:42 पर करें पूजा
– चंद्रोदय का समय शाम 7:42
– चतुर्थी तिथि शनिवार शाम 6:38 से रविवार शाम 4:55 बजे तक
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करवा चौथ पूजा विधि
– सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें
– घर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्र बनाएं
– आठ अठावरी, हलवा, पक्के पकवान बनाएं
– पीली मिट्टी से गौरी बनाएं साथ ही गणेश जी बनाकर गौरी की गोद में बिठाएं
– गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं, चौक बनाकर आसन को उस पर रखें
– गौरी को चुनरी ओढ़ाएं
– सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें
– जल से भरा हुआ लोटा रखें
– करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें, दक्षिणा रखें
– रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं
– गौरी-गणेश और करवा की पूजा करें
– पति की दीर्घायु की कामना करें
– करवा पर 13 बिंदी रखें
– गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा सुनें
– करवा पर हाथ घुमाकर सास के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें
– रात्रि में चंद्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चंद्रमा को अर्घ्य दें
– पति से आशीर्वाद लें
– पति को भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन करें
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पति की आयु होगी लंबी
नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥
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16 श्रृंगार में क्या है ?
– सिंदूर
– काजल
– मेहंदी
– शादी का विशेष परिधान
– गजरा
– टीका
– नथ
– कानों के कुंडल
– मंगल सूत्र
– हार
– बाजूबंद
– चूड़ियां या कंगन
– अंगूठी
– कमरबंद
– बिछुएं
– पायल
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काजल क्यों जरूरी ?
– आंखों की सुंदरता बढ़ती है
– स्त्रियां पर बुरी नजर का कुप्रभाव नहीं पड़ता
– आंखों संबंधी रोगों से बचाव होता है
मेहंदी क्यों जरूरी ?
– मेहंदी के बिना शृंगार अधूरा माना जाता है
– मेहंदी जितनी अच्छी रचेगी, पति-पत्नी के संबंध उतने ही मधुर होंगे
लाल जोड़ा क्यों जरूरी ?
– लाल रंग सुहाग का प्रतीक
– दुल्हन को विवाह में लाल रंग का ही जोड़ा पहनना चाहिए
– धार्मिक कर्म में पत्नी को लाल परिधान पहनना चाहिए
बिंदी का महत्व
– सुहागिन स्त्री को बिंदी जरूर लगानी चाहिए
– लाल और गोल बिंदी सबसे शुभ
– कुमकुम या सिंदुर से माथे पर लाल बिंदी जरूर लगाना चाहिए
– ऐसा करने से परिवार की समृद्धि बढ़ती है
बिंदी लगाने के लाभ
– बिंदी लगाने से मन एकाग्र होता है
– मन शांत रहता है
– सिरदर्द कम होता है
– चेहरे, गर्दन, पीठ, ऊपरी शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है
– अनिद्रा की समस्या दूर होती है
– जहां बिंदी लगाई जाती है, उस जगह की नसें और आंखों की नसों का होता है संबंध
– झुर्रियां कम दिखाई देती हैं
– चेहरे की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह शुरू हो जाता है, जिससे स्किन टाइट और पोषित होती है
मंगलसूत्र का महत्व
– सौभाग्यवती स्त्री की सबसे बड़ी निशानी है मंगलसूत्र
– विवाह के बाद मंगलसूत्र पहनना अनिवार्य
– मंगलसूत्र में काले मोती शिव और सोना माता पार्वती का प्रतीक
– स्त्री को बुरी नजर से बचाता है मंगलसूत्र
– काले मोती पति-पत्नी और परिवार को बुरी नजर से बचाते हैं
– मंगलसूत्र पहनने वाली महिला और उसके पति पर शिव कृपा बनी रहती है
मंगलसूत्र का ग्रहों से संबंध
– मंगलसूत्र का पीला धागा और सोना या पीतल बृहस्पति का प्रतीक
– मंगलसूत्र पहनने से बृहस्पति मजबूत होता है
मंगलसूत्र और सावधानियां
– मंगलसूत्र या तो स्वयं खरीदें या अपने पति से लें
– मंगलसूत्र किसी से उपहार में न लें और न ही दें
– मंगलसूत्र मंगलवार को न खरीदें
– धारण करने के पूर्व इसे मां पार्वती को अर्पित करें
– जब तक बहुत ज्यादा जरूरी न हो मंगलसूत्र न उतारें
– अगर उतारना भी पड़े तो गले में काला धागा जरूर पहनें
– मंगलसूत्र एक बार पहनने के बाद उतारा नहीं जाता
– मंगलसूत्र को बार-बार उतारना अशुभ
– एक समय में सिर्फ एक ही मंगलसूत्र का उपयोग करें
– मंगलसूत्र सिर्फ गले में ही पहनें
– किसी दूसरे का मंगलसूत्र न पहनें, ऐसा करने से पति का आयु कम होती है, दांपत्य जीवन में तनाव बढ़ सकता है
मांग में सिंदूर का महत्व
– विधि पूर्वक सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है
– सिंदूर का लाल रंग शक्ति का प्रतीक
– सिंदूर देवी लक्ष्मी का प्रतीक
– देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर पांच स्थानों पर रहती हैं और उन्हें सिर पर स्थान दिया गया है
– जो महिलाएं देवी का स्मरण कर रोजाना मांग में सिंदूर भरतीं हैं उन्हें आर्थिक कष्ट नहीं होता
मांग में सिंदूर भरने के लाभ
– रक्तचाप नियंत्रित रहता है
– मन शांत रहता है
– स्वस्थ बेहतर होता है
– सिंदूर में मौजूद पारा त्वचा को बढ़ती उम्र को यानि झुर्रियों से बचाता है
– सिंदूर के कारण चेहरे पर झुर्रियां जल्दी नहीं पड़तीं
– तनाव, सिर दर्द, अनिद्रा की समस्या दूर होती है
– माथे पर सिंदुर लगाने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है
– सिंदूर लगाने से त्वचा स्वस्थ और जवां दिखती है
– सिंदूर लगाने से बालों में जूं और लीखें नहीं लगतीं
मांग का सिंदूर और सावधानियां
– जितनी लंबी मांग हो उतना लंबा सिंदूर भरें
– मांग भरने में सिर्फ सिंदूर का ही प्रयोग करें
– अपने सिंदूर को किसी से शेयर न करें
– मांग में हमेशा अपना सिंदूर ही भरें
– मांग हमेशा सीधी रखें
– केसरिया सिंदूर जो हनुमान जी को अर्पित किया जाता है उसे ही शास्त्रों में मांग में भरने का विधान
मांग के सिंदूर का वैज्ञानिक कारण
– मांग में जहां सिंदूर भरा जाता है वहां एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं
– ये बहुत ही संवेदनशील भी होती है और सिर के मध्य भाग तक होती है
– सिंदूर में उपस्थित पारा धातु ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है
– गृहस्थ जीवन के कारण आए तनाव को दूर करने में मदद करता है
मांग में सिंदूर से स्वास्थ्य लाभ
– मांग में सिंदूर लगाने से स्वास्थ अच्छा रहता है
– रक्तचाप नियंत्रित रहता है, कामोत्तेजना बढ़ती है
– सिंदूर लगाने से महिलाओं की पिट्यूटरी ग्रंथियां स्थिर रहती हैं
बिंदी लगाने के लाभ
– बिंदी लगाने से मन एकाग्र होता है
– मन शांत रहता है
– सिर दर्द से राहत मिलती है
– चेहरे, गर्दन, पीठ, ऊपरी शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है
– अनिद्रा की समस्या दूर होती है
– माथे में जहां बिंदी लगाई जाती है, उस जगह की नसें और आंखों की नसों का गहरा संबंध होता है
– बिंदी लगाने से झुर्रियां कम दिखाई देती हैं
– बिंदी लगाने से चेहरे की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह शुरू हो जाता है
– स्किन टाइट और पोषित होती है
– लाल और गोल बिंदी लगाना शुभ
चूड़ियों का महत्व
– चूड़ियां सुहागिन स्त्री की महत्वपूर्ण निशानी
– सुहागिनों को चूड़ियां पहनना अनिवार्य
– कांच, सोने, चांदी की पहन सकते हैं चूड़ियां
– सुहागिनें सोने की चूड़ियों के साथ कांच की चूड़ी जरूर पहनें
– सिर्फ अविवाहित महिलाएं ही अकेले सोने की चूड़ियां पहन सकती हैं
– सुहागिनें बिना चूड़ी के कभी न रहे
– रंग-बिरंगी चूड़ियां पहननी पड़ें, तो लाल चूड़ी जरूर पहनें
– बार-बार लगती हो नजर तो चूड़ियों के सेट में काली चूड़ी पहनें
पायल क्यों जरूरी ?
– पायल किसी भी कन्या या स्त्री के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण आभूषण
– पायल के घुंघरुओं की आवाज से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है
सोलह श्रृंगार के लाभ
– जो स्त्रियां सोलह श्रृंगार को धारण करती हैं उनके घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती
– ऐसी स्त्रियों पर स्वयं महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है
– सोलह श्रृंगार करने वाली स्त्री के परिवार में सुख बढ़ता है
– वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है
– पति-पत्नी और परिवार में खुशियां बढ़ती हैं
– कष्ट ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता
इन बातों का रखें ध्यान
– महिलाएं की मांग में सिंदूर हमेशा होना चाहिए
– माथे पर हमेशा बिंदी होनी चाहिए, बिंदी लाल रंग की और गोल हो तो और बेहतर
– हाथों में हमेशा चूड़ियां होनी चाहिए
– पार्टी के लिए रंगी बिरंगी चूड़ियां पहननी पड़े तो एक लाल चूड़ी जरूर पहनें
– सुहागिनें सिर्फ सोने की चूड़ी या कड़े न पहनें, साथ में कांच की चूड़ी जरूरी
– पत्नी को पति का नाम नहीं लेना चाहिए, ऐसा करने पर पति की आयु कम होती है
– पुरुषों को अपनी पत्नी का दिल नहीं दुखाना चाहिए
– महिला कुल की लक्ष्मी का रूप मानी जाती है
– जिस घर की महिला दुखी रहती है उस घर में कष्ट बना रहता है और घर में बरकत नहीं होती
– जो बहु अपनी सास को और जो सास अपनी बहुत को दुखी रखती है उनके घर में सुख-समृद्धि नहीं रहती
– पुरुषों को घर की महिलाओं का और महिलाओं को पुरुषों का आदर करना चाहिए, ऐसा न होने गृह क्लेश बढ़ना तय