पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की अराधना करने से भगवान उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। साल में एक महीना ऐसा आता है जिसे सावन का महीना कहते और इस महीने में भक्तक भोले बाबा का नाम जपते हैं। प्रति वर्ष 12 शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन सभी में दो शिवरात्रि सबसे खास होती है। जिसमें से महाशिवरात्रि और सावन की शिवरात्रि मनुष्य के सभी पाप को धो देती है। ऐसे में सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्व् है क्यों कि इसमें व्रत रखने वालों के पाप का नाश होता है और कुवारें लोगों को मनचाहा वर या वधु मिलता है। इसके साथ ही आज प्रदोष व्रत और वो भी सोमवार मतलब सोमप्रदोष भी है जिसे करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है. माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के पाप धूल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है.
सोम प्रदोष व्रत की विधि –
- प्रदोष व्रत करने के लिए मनुष्य को त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए.
- नित्यकर्मों से निवृ्त होकर, भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें.
- इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है.
- पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते है.
- पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है.
- अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाई जाती है.
- प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है.
- इस प्रकार पूजन की तैयारियां करके उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए.
- पूजन में भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाना चाहिए.
सोम प्रदोष व्रतकथा