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रुद्राक्ष का रहस्य: गणेश और शिव–पार्वती रुद्राक्ष के उपाय व नियम…!

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गणेश रुद्राक्ष और शिव–पार्वती रुद्राक्ष

हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में रुद्राक्ष को अत्यंत पवित्र और चमत्कारी माना गया है। यह केवल एक बीज नहीं, बल्कि भगवान शिव के आशीर्वाद का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष अलग–अलग देवताओं और ग्रहों से जुड़े होते हैं। इनमें गणेश रुद्राक्ष और शिव–पार्वती रुद्राक्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

1. गणेश रुद्राक्ष क्या है?

गणेश रुद्राक्ष एक दुर्लभ रुद्राक्ष है, जिसकी बनावट हाथी के सूंड (गणेश जी के स्वरूप) से मिलती-जुलती मानी जाती है। इसे भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि, विवेक और शुभारंभ के देवता कहा जाता है। इसलिए यह रुद्राक्ष विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनके जीवन में बार-बार रुकावटें आती हैं।

गणेश रुद्राक्ष के लाभ

  1. कार्य में सफलता

    • किसी भी नए कार्य, व्यवसाय या नौकरी की शुरुआत में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

  2. बुद्धि और निर्णय क्षमता में वृद्धि

    • छात्रों, प्रतियोगी परीक्षार्थियों और शोध कार्य से जुड़े लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी।

  3. व्यवसाय में उन्नति

    • व्यापार में स्थिरता, लाभ और सही निर्णय लेने की शक्ति देता है।

  4. मानसिक तनाव से मुक्ति

    • नकारात्मक विचारों को कम करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।

  5. राहु–केतु दोष में सहायक

    • विशेष रूप से राहु–केतु से उत्पन्न भ्रम और अस्थिरता को कम करता है।

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गणेश रुद्राक्ष के उपाय

  • बुधवार के दिन गणेश रुद्राक्ष धारण करें।
  • ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • यदि धारण संभव न हो, तो इसे पूजा स्थल में रखकर प्रतिदिन पूजन करें।
  • व्यापार स्थल में रखने से आर्थिक बाधाएं कम होती हैं।

गणेश रुद्राक्ष धारण करने के नियम

  1. रुद्राक्ष को धारण करने से पहले गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करें।
  2. लाल या पीले धागे में धारण करना शुभ माना जाता है।
  3. नशा, मांसाहार और झूठ से यथासंभव बचें।
  4. सोते समय रुद्राक्ष उतारना आवश्यक नहीं, पर स्वच्छता बनाए रखें।

2. शिव–पार्वती रुद्राक्ष क्या है?

शिव–पार्वती रुद्राक्ष को गौरी-शंकर रुद्राक्ष भी कहा जाता है। इसमें प्राकृतिक रूप से दो रुद्राक्ष जुड़े होते हैं, जो भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक माने जाते हैं।

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यह रुद्राक्ष दांपत्य जीवन, प्रेम, संतुलन और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।

शिव–पार्वती रुद्राक्ष के लाभ

  1. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति

    • पति–पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और सामंजस्य बढ़ाता है।

  2. विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण

    • विवाह में देरी या रुकावटों को दूर करने में सहायक।

  3. मानसिक संतुलन

    • क्रोध, अहंकार और तनाव को शांत करता है।

  4. परिवार में सकारात्मक ऊर्जा

    • गृह-क्लेश को कम करता है और वातावरण को शांत बनाता है।

  5. आध्यात्मिक उन्नति

    • ध्यान और साधना में स्थिरता लाता है।

शिव–पार्वती रुद्राक्ष के उपाय

  • सोमवार के दिन शिव–पार्वती रुद्राक्ष धारण करें।
  • ॐ नमः शिवाय” मंत्र का नियमित जाप करें।
  • अविवाहित व्यक्ति विवाह हेतु इसे गले में धारण कर सकते हैं।
  • दांपत्य जीवन में तनाव होने पर दोनों पति–पत्नी इसका पूजन करें।

शिव–पार्वती रुद्राक्ष धारण करने के नियम

  1. रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
  2. सफेद या लाल धागे में धारण करना श्रेष्ठ माना जाता है।
  3. स्त्री और पुरुष दोनों इसे धारण कर सकते हैं।
  4. अशुद्ध अवस्था में रुद्राक्ष का अपमान न करें।
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3. गणेश रुद्राक्ष और शिव–पार्वती रुद्राक्ष साथ में धारण करना

  • यदि कोई व्यक्ति जीवन में सफलता और पारिवारिक सुख दोनों चाहता है, तो दोनों रुद्राक्ष एक साथ धारण कर सकता है।
  • ध्यान रखें कि दोनों को अलग-अलग मंत्रों से सिद्ध किया जाए।

4. रुद्राक्ष से जुड़ी सावधानियां

  • टूटा या खंडित रुद्राक्ष धारण न करें।
  • नकली रुद्राक्ष से बचें, हमेशा प्रमाणित रुद्राक्ष ही लें।
  • रुद्राक्ष को पवित्र भाव से धारण करें, यह आस्था का विषय है।

निष्कर्ष

गणेश रुद्राक्ष और शिव–पार्वती रुद्राक्ष दोनों ही जीवन के विभिन्न पहलुओं को संतुलित करने में सहायक हैं।

  • गणेश रुद्राक्ष जहां बुद्धि, सफलता और बाधा निवारण का प्रतीक है,
  • वहीं शिव–पार्वती रुद्राक्ष प्रेम, दांपत्य सुख और मानसिक शांति प्रदान करता है।

यदि इन्हें सही विधि, नियम और श्रद्धा के साथ धारण किया जाए, तो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य देखने को मिलते हैं।