Chhath 2022 : जानें,छठ पूजा पर क्यों रखती 36 घंटे का निर्जला व्रत,जानिए पूजा की विधि
Chhath 2022: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी से छठ पूजा की शुरुआत होती है। छठ को सूर्य षष्ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है।छठ में डूबते और उगते सूर्य की पूजा की जाती है। इस साल 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक छठ पर्व की धूम रहेगी।लोक आस्था का पर्व छठ 26 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। चार दिवसीय इस पर्व में स्वच्छता और नियम का खास ख्याल रखा जाता है। छठ को लेकर लोगों की आस्था बेहद ही अटूट है तभी तो इस पर्व में घर जाने के लिए लोग सालभर से इंतजार करते हैं। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, यूपी और नेपाल के मधेश क्षेत्र में छठ की धूम काफी रहती है। छठ में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं।
मान्यता है कि छठ का व्रत करने से छठी मईया सुनी गोद को भर देती हैं। इसके साथ ही संतान की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करती हैं। लेकिन छठ व्रत को सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इस पर्व में कई नियमों का सख्ती से पालन करता होता है। इसके साथ ही पूरे विधि विधान के साथ छठ मईया की उपासना करना भी बहुत जरूरी होता है। छठ पूजा में कुछ गलतियां ऐसी हैं, जिन्हें भूलकर नहीं करना चाहिए। वरना इससे छठी मईया नाराज हो जाती हैं और पूजा का फल भी नहीं देती हैं।
छठ पूजा के दौरान न करें ये गलतियां
1. लहसुन और प्याज को हाथ भी नहीं लगाएं
नहाय खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत होती है। इस साल यह दिन 28 अक्टूबर, 2022 को है। नहाय खाय के दिन व्रती महिलाएं प्रात:काल स्नान कर के साफ सुथरे वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करती हैं। नहाय खाय के दिन व्रती महिलाओं को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, जिसमें लहसुन प्याज नहीं रहता है। व्रतियों का पूरे चार दिन लहसुन, प्याज से दूर रहना चाहिए। दरअसल, कहते हैं कि तीज त्योहार में इसके सेवन से पवित्रता भंग हो जाती है।
2. रखें पवित्रता का विशेष… ख्याल
छठ पूजा में पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। ऐसे में आप भी छठ का व्रत रखने जा रहे हैं तो इस चीज का विशेष ख्याल रखें। छठ पूजा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों को झूठे हाथों से नहीं छुएं। पूजा सामाग्री और बर्तनों को बच्चों से दूर रखें। पूजा की चीजों को छूते समय अपने हाथों को साफ करें और अन्य चीजें छूने के बाद छठ के सामानों को न छूएं।
छठ का व्रत करने वाली महिलाओं को पलंग और गद्दा पर नहीं सोना चाहिए। छठ पूजा के चारों दिन व्रतियों को जमीन पर आसन बिछाकर सोना चाहिए। इससे व्रत करने वालों की साधना पूरी होती है।
छठ में डाला काफी महत्वपूर्ण होता है, इसलिए पूजा में हमेशा नया डाला का ही प्रयोग करें। इसके अलावा बर्तन और अन्य पूजा सामाग्री भी नया होना चाहिए। वहीं अगर बर्तन किसी धातु के बने हुए हैं तो उसे साफ कर के इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन डाला हमेशा नया ही खरीदा जाएगा।
छठ पूजा के प्रसाद के लिए लाई गई हर चीज का इस्तेमाल पूजा समाप्त होने के बाद करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि छठ के प्रसाद को अपने मन से न बढ़ाएं। छठ पूजा की सभी सामाग्री को साफ हाथों से ही छुएं। वहीं मान्यता है कि एक बार जिन चीजों को आप चढ़ाने लगते हैं, उसे फिर हर साल चढ़ाना होता है।
छठ पर्व में यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि फल पक्षियों का जूठा न हो। अगर पेड़ों पर फल और फूल को पशु-पक्षी ने अगर जुठलाया हो तो उसे पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। फल-फूल शुद्ध हो इसका विशेष ध्यान रखें।