Other Articles

संतानहीनता योग- ज्योतिषीय कारण और निवारण –

168views

संतानहीनता के लिए महर्षि पाराषर ने अनेक कारणों का उल्लेख किया है, जिसमें प्रमुख कारण जातक का किसी ना किसी प्रकार से शाप से ग्रस्त होना भी बताया है। यदि जन्मांग में पंचमस्थान का स्वामी शत्रुराषि का हो, छठवे, आठवे या बारहवें भाव में हो या राहु से आक्रांत हो या मंगल की पूर्ण दृष्टि हो तो संतान प्राप्ति में बाधा होती है। यदि संतान बाधाकारक ग्रह सूर्य हो तो पितरों का शाप संतान में बाधा देता है। वहीं यदि चंद्रमा प्रतिबंधक ग्रह हो तो माता या किसी स्त्री को दुख पहुॅचाने के कारण संतानबाधक योग बनता है। यदि मंगल से संतान बाधक हो तो भाईबंधुओं के शाप से संतानसुख में कमी होती है। यदि गुरू संतानहीनता में कारक ग्रह बनता हो तो कुलगुरू के शाप के कारण संतानबाधा होती है। यदि शनि के कारण संतान बाधा हो तो पितरों को दुखी करने के कारण संतान में बाधा होती है तथा राहु के कारण संतान प्राप्ति के मार्ग में बाधा हो तो सर्पदोष के कारण संतानसुख बाधित होता है। इसी प्रकार ग्रहों की युक्ति या ग्रह दषाओं के कारण भी संतान में बाधा या हीनता का कारण बनता हो तो उचित ज्योतिषीय निदान द्वारा संतानहीनता के दुख को दूर किया जा सकता है। उक्त ग्रह दोष निवारण उपाय के साथ पयोव्रत करना लाभकारी होता है। पयोव्रत का व्रत फाल्गुनमास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से त्रयोदषी तक किया जाता है। विधिविधान से किया गया व्रत संतानहीनता का दोष दूर कर संतान सुख प्रदान करता है।

Pt.P.S.Tripathi
Mobile No.- 9424225005,9893363928
Landline No. 0771-4035992,4050500
Feel free to ask any questions